नीलेश द्विवेदी, भोपाल मध्य प्रदेश
आज सोशल मीडिया की रील की एक रियल कहानी और उसके तीन चरण देखिए।
पहला चरण : जाल का शुरुआती आकर्षण
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की 12 साल की बच्ची है, दीपा यादव। छठवीं कक्षा में पढ़ती है। यही कोई छह-आठ महीने पहले उसे किसी ने इंस्टाग्राम की रील बनाना सिखा दिया। उसमें आत्मविश्वास गजब है। सो, उसी के बलबूते उसने ठेठ बुन्देलखंडी बोली में बात करते हुए रील बनाना शुरू कर दिया। ‘बिन्नू रानी’ (बुन्देलखंड अंचल में बेटियों को ‘बिन्नू’ कहा जाता है) के नाम से। और उसके आत्मविश्वास तथा ठेठ बोली का असर ये हुआ कि इंस्टाग्राम पर आज उसे पसन्द करने वालों की तादाद पाँच-छह महीने में ही लाखों में हो गई है। उसकी लोकप्रियता और आत्मविश्वास से मशहूर कवि कुमार विश्वास तक प्रभावित हुए। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उसे भोपाल में अपने सरकारी आवास पर बुला भेजा। वहाँ उसे दुलारा और अपने हाथ से भोजन कराया (पहला वीडियो देखिए)। कुमार विश्वास और दिग्विजय सिंह ने कामना है की कि यह बच्ची ऐसे ही आत्मविश्वास से नाम रोशन करती रहे।
ध्यान दीजिए : शुरू में सोशल मीडिया इसी तरह किसी को भी अपने जाल में फँसाता है।
#Bundelkhand की बेटी और Instagram Star Binnu Rani ने Bhopal पहुंचकर Madhya Pradesh के पूर्व मुख्यमंत्री Digvijaya Singh से मुलाकात की है। दरअसल Digvijaya Singh ने Binnu Rani से मुलाकात करने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद Binnu अपने परिवार के साथ Bhopal पहुंची है। Kumar Vishwas भी… pic.twitter.com/B1sZu4ZEJB
— MP First (@MPfirstofficial) June 18, 2024
दूसरा चरण : रील के लिए जोखिम में जान
महाराष्ट्र के पुणे शहर का ताज़ातरीन मामला (दूसरा वीडियो देखिए)। दो लड़के और एक लड़की किसी अधूरी इमारत की छत पर चढ़ जाते हैं। एक लड़का हाथ में मोबाइल लेकर वीडियो बनाना शुरू करता है। दूसरा छत पर पेट के बल लेट जाता है। और लड़की उस लड़के के हाथों के सहारे छत से नीचे लटक जाती है। फिर एक हाथ छोड़ देती है। इसके बाद किसी तरह जूझते हुए ऊपर चढ़ती है। मगर यह सब क्यों? इंस्टाग्राम की रील के लिए। ताकि उनकी रील चर्चित हो जाए। वह हुई भी। उनकी रील सोशल मीडिया ही नहीं, मीडिया की सुर्ख़ियों में भी छा गई। हालाँकि किस कीमत पर? जान के जोख़िम की कीमत पर। क्योंकि जरा सी चूक से लड़की की जान चली जानी थी।
ध्यान दीजिए : सोशल मीडिया जितनी जल्दी लोकप्रियता देता है, उतनी ही तेजी से वापस ले भी लेता है। इसी कारण सुर्ख़ियों में बने रहने के लिए कई लोग इस तरह के जोख़िम लेने से भी नहीं हिचकते। क्योंकि तब तक उन्हें इस सस्ती लोकप्रियता का चस्का लग चुका होता है।
Instagram #influencers' quest for #viral content takes a dangerous turn in #Pune.
— Lokmat Times (@lokmattimeseng) June 20, 2024
A shocking video shows risky stunts for a 'Reel', including hanging a girl from an abandoned building. Criticism mounts over such extreme antics, highlighting safety concerns.#Instagram #Reel pic.twitter.com/FUl7JuQpkD
तीसरा चरण : रील रियल में जान भी ले लेती है
महाराष्ट्र के छत्रपति सम्भाजीनगर का मामला। इसी सोमवार, 17 जून की दोपहर का वक़्त। श्वेता दीपक सुरवसे नाम की 23 साल की लड़की अपने दोस्त शिवराज संजय मुले के साथ पहाड़ी पर स्थित दत्तधाम मन्दिर जाती है। श्वेता को अभी कार चलाना ठीक से आता नहीं है। फिर भी वह शिवराज से आग्रह कर ड्राइविंग सीट पर बैठती है। उसे कार को रिवर्स करते हुए पीछे ऊँचाई वाली जगह पर ले जाना है (तीसरा वीडियो देखिए)। और उसके ऐसा करने के दौरान शिवराज को उसका वीडियो बनाना है। कारण? वही एक, इंस्टाग्राम की रील। सस्ती लोकप्रियता। तो धीरे-धीरे कार पीछे जाना शुरू होती है। दूसरी तरफ, वीडियो बनना शुरू होता है। शिवराज थोड़ी ही देर बाद श्वेता से ब्रेक लगाने को कहता है। लेकिन श्वेता का पैर ब्रेक की जगह एक्सलरेटर पर पड़ जाता है। कार तेज़ रफ़्तार से पीछे जाकर गहरी खाई में गिर जाती है। श्वेता की मौक़े पर ही मौत हो जाती है।
ध्यान दीजिए : सोशल मीडिया के लिए रील बनाने के दौरान किसी की मौत होने का यह कोई अकेला मामला नहीं है। ऐसे मामले आए दिन सामने आते हैं। क्योंकि सस्ती लोकप्रियता के चस्के का अन्त आख़िर में ऐसे अंज़ाम पर ही होता है।
Making a reel proved costly for a girl. Car fell into a ditch and the girl died. pic.twitter.com/865bY9qVXs
— ᏙᏦ🇮🇳 (@_VK86) June 18, 2024
सो, अन्त में अब सबसे अहम सवाल? रील की रियल कहानी के तीनों चरणों से अच्छी तरह वाक़िफ़ होने को बावज़ूद हम बच्चों को इस तरफ़ जाने से रोकते क्यों नहीं? दिग्वियज सिंह और कुमार विश्वास जैसे नामी तथा ज़िम्मेदार लोग भी दीपा जैसी बच्चियों से यह क्यों नहीं कहते कि वह रील को छोड़ रियल पर ध्यान दे? उन्हें सस्ती लोकप्रियता का रास्ता छोड़कर किन्हीं अन्य अच्छे कामों के माध्यम से नाम कमाने के लिए क्यों प्रोत्साहित नहीं करते?
ये सवाल गम्भीर हैं। आने वाली पीढ़ी का भविष्य बचाने के लिए इन पर ज़िम्मेदारी से विचार करना ही होगा।