टीम डायरी
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भारी हिंसा हो गई। संसद से 4 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम पारित होते ही अगले शुक्रवार (जुमे), 11 अप्रैल और फिर 12 को भी मुर्शिदाबाद के सुती, धुलियान और जंगीपुर सहित कई इलाकों में इस कानून के विरोध में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। इस हिंसा में क़रीब 3 लोग मारे गए। तमाम घायल हुए। महिलाओं के साथ बदसलूकी हुई। हिन्दुओं के घरों को आग के हवाले कर दिया गया। समाचार माध्यमों के प्रतिनिधियों से बातचीत में पीड़ितों ने ख़ुद इसकी पुष्टि की है। इसके बाद हजारों लोग हिंसाग्रस्त इलाक़ों से पलायन कर सुरक्षित स्थानों में शरण ले चुके हैं। हालात अभी पूरी तरह नियंत्रण में नहीं हैं, ऐसा बताया जा रहा है।
देश के अन्य स्थानों सहित दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी वक़्फ़ कानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए। वहाँ कुछ ख़बरनवीस पहुँच गए यह जानने के लिए प्रदर्शनकारियों ने मसले का कितना इल्म है? उन्होंने हाथ में जो तख़्तियाँ पकड़ी हुई हैं, उन पर क्या लिखा है, इस बारे में कुछ पता है या नहीं? महिलाओं और युवाओं को, ख़ासकर इस बारे में कितनी जानकारी है कि वे लोग यहाँ किसलिए जुटे हुए हैं? सच मानिए, इन प्रदर्शनकारियों में अधिकांश को पता ही नहीं था कि वे यहाँ क्यों आए हैं या लाए गए हैं? चैनल का वीडियो सार्वजनिक है, देखा जा सकता है।
ऐसे में, सवाल हो सकता है कि आख़िर जानकारी मुक़म्मल न होने के बावज़ूद देशभर में अलग-अलग स्थानों पर इतनी बड़ी तादाद में मुस्लिम युवा, महिलाएँ, बड़े-छोटे, सब इतने गुस्से में क्यों हैं? तो इसके ज़वाब के लिए बहुत ज़्यादा दिमाग़ पर ज़ोर डालने की ज़रूरत नहीं है। झारखंड के मंत्री हैं, हफ़ीज-उल-इस्लाम। उन्होंने इसका ज़वाब दे दिया है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के बाबत कहा, “हम पहले शरीयत को मानते हैं, फिर संविधान को।” हालाँकि, बाद में हफीज इस बयान से थोड़ा दाएँ-बाएँ हुए, लेकिन उन्होंने इसे पूरी तरह ख़ारिज़ नहीं किया।