Singapur

सिंगापुर वरिष्ठ कर्मचारियों को पढ़ने के लिए फिर यूनिवर्सिटी भेज रहा है और हम?

निकेश जैन, इंदौर मध्य प्रदेश

सिंगापुर में 40 साल की उम्र से ऊपर के वरिष्ठ कर्मचारियों को पढ़ने के लिए फिर विश्वविद्यालयों में भेजा जा रहा है। क्यों? क्योंकि उन्होंने आज से 20 साल पहले जो पढ़ा, जो हुनर सीखा था, वह अब अप्रासंगिक हो चुका है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के जमाने में तेज रफ़्तार से तमाम चीजें पीछे छूट रही हैं। इसलिए सिंगापुर की सरकार चाहती है कि उसके कर्मचारी नई और उन्नत तकनीकी आवश्यकताओं के अनुरूप दक्ष एवं कुशल हों। इसके लिए वह अपने वरिष्ठ कर्मचारियों को वित्तीय सहायता (सब्सिडी) दे रही है। ताकि वे उसकी मदद से एआई और उस पर आधारित अन्य तकनीकी साधनों के बारे में पढ़ सकें। डिप्लोमा वग़ैरा हासिल कर सकें। 

जानने, सुनने में क्या ये दिलचस्प नहीं लगता कि एक देश की सरकार अपने कर्मचारियों को समय की माँग के अनुरूप प्रासंगिक बनाए रखने के लिए ऐसा ज़बर्दस्त क़दम उठा रही है। हालाँकि इसके ठीक उलट हमारे यहाँ, भारत में क्या हो रहा है? यहाँ पेशेवरों, कर्मचारियों की दक्षता, कुशलता का कोई मुद्दा ही नहीं है, जिस पर विचार किया जाए! जबकि भारत में अकुशल कामग़ारों की समस्या सिंगापुर की तुलना कहीं ज़्यादा बड़ी है। और यह कोई आज की नहीं है। शुरुआत से ही यह दिक़्क़त यहाँ बनी हुई है। इंजीनियरिंग जैसे पेशेवर पाठ्यक्रमों से डिग्रियाँ लेकर निकले बच्चे तक हमारे यहाँ बाज़ार की ज़रूरतों के हिसाब से कुशल और दक्ष नहीं होते। 

इस समस्या के कारण तमाम बड़ी-छोटी कम्पनियों को अपने नए पेशेवरों को अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप कुशल बनाने के लिए उनके प्रशिक्षण पर करोड़ों रुपए पर ख़र्च करने पड़ते हैं। इस समस्या का कारण सीधा है कि भारत में आज भी सदियों पुरानी पद्धति से विद्यार्थियों को बीकॉम, बीएससी जैसी डिग्रियाँ बाँटी जाती हैं। इन्हें लेकर कोई भी युवा बैंक से कर्ज़ लेने के लिए लायक पात्रता तो अर्जित कर लेता है, लेकिन नए ज़माने की नौकरियों के अनुरूप कुशलता हासिल नहीं कर पाता। इससे समस्या बढ़ती जाती है। तो इसका निदान क्या है?

मेरी समझ से इसका निदान दो तरीक़े से हो सकता है। पहला- तात्कालिक समाधान कि कम्पनियाँ अपनी ज़रूरत के हिसाब से नए पेशेवरों को प्रशिक्षित करती रहें। उन्हें कुशल एवं सक्षम बनाने के लिए कार्यक्रम चलाती रहें। यह काम अभी हो रहा है लेकिन इसे गति देने की ज़रूरत है। दूसरा- दीर्घकालिक निदान कि सरकार शिक्षा-व्यवस्था को उद्योगों की, बाज़ार की ज़रूरत के हिसाब से, जितनी जल्दी हो, अपडेट करे।     

आपको क्या लगता है? 

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निकेश का मूल लेख 

Singapore is asking its 40+ years aged employees to go back to the University?

Why?

Because they believe most of the skills employees developed in last 20 years will be irrelevant with the fast paced advancement in AI. The Singapore government is offering subsidized diploma courses in AI and AI based tools to these employees.

Isn’t it interesting that government is taking such drastic measures to upskill its people so they stay relevant?

How about India? Is this not an issue here?

Actually, India’s skilling problem is much bigger – the current employees will definitely have to re-skill themselves to stay relevant but India has skilling problem at the start of the funnel itself.

The students who have passed even professional courses like engineering may not be equipped with the industry required skills. Today that gap is filled by Industry itself by training these new entrants with the skills Industry needs at the workplace.

Then India has these age old degree courses which people do to call themselves graduates e.g. B.Com, B.Sc etc. These courses provide a degree which may make one eligible for a bank loan but not for a job!

India needs to fix this problem (education with no skill) first.

Meanwhile industry needs to keep its workforce up to date with the changing world of AI in India as well.

In my opinion re-skilling is best handled by industry itself and not the government.

Thoughts? 
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(निकेश जैन, शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी- एड्यूरिगो टेक्नोलॉजी के सह-संस्थापक हैं। उनकी अनुमति से उनका यह लेख #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में उन्होंने यह लेख लिंक्डइन पर लिखा है।)
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