नीलेश द्विवेदी, भाेपाल मध्य प्रदेश
ये कहानी शुरू होती है 10 जून 2022 से। ऑस्ट्रेलिया में भारत और इंग्लैंड के बीच टी-20 क्रिकेट विश्वकप का सेमीफाइनल मुक़ाबला था। रोहित शर्मा को भारतीय टीम का पूर्णकालिक कप्तान बने ठीक-ठाक समय हो चुका था। इसलिए उनसे उम्मीदें थीं कि वे टीम को न सिर्फ़ फाइनल में ले जाएँगे, बल्कि ख़िताबी जीत भी दिलवाएँगे। आख़िर टी-20 प्रारूप की ही इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में अपनी मुम्बई इंडियन्स टीम का नेतृत्त्व करते हए उसे वे पाँच बार ख़िताब दिलवा चुके थे। लेकिन टी-20 विश्वकप में वे भारतीय प्रशंसकों की उम्मीदें पूरी नहीं कर सके। इंग्लैंड ने एकतरफ़ा मुक़ाबले में भारत को 10 विकेट से हराकर फाइनल की दौड़ से बाहर कर दिया।
फिर आई तारीख़ सात जून 2023 की। रोहित शर्मा की अगुवाई वाली भारतीय क्रिकेट टीम इस बार टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुँच चुकी थी। इंग्लैंड के ओवल क्रिकेट मैदान पर भारत का मुक़ाबला ऑस्ट्रेलिया से हुआ। देश को अब भी रोहित से उम्मीदें कि वे भारत को एक लम्बे अन्तराल के बाद विश्व कप ख़िताब जिताएँगे। लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 209 रन से हराकर ख़िताब अपने नाम कर लिया।
इस ख़िताबी हार का ज़ख़्म अभी हरा ही था कि रोहित शर्मा की कप्तानी वाली भारतीय टीम को दूसरा बड़ा झटका लग गया। साल 2023 का ही था और तारीख़ थी 19 नवम्बर। एकदिवसीय क्रिकेट के विश्वकप में सेमीफाइनल तक सभी मैच जीतकर फाइनल में पहुँचने वाली भारतीय टीम अपने ही देश में आख़िरी ख़िताबी मुक़ाबले के लिए ऑस्ट्रेलिया से भिड़ी। लेकिन अहमदाबाद के क्रिकेट स्टेडियम में उफान मारती भारतीय जनभावनाओं के बीच ऑस्ट्रेलिया ने भारत के हाथों से ख़िताबी जीत छीन ली। उसे छह विकेट से हराकर ख़िताब अपने नाम कर लिया।
और फिर आया 2024 का जून महीना। टी-20 क्रिकेट विश्वकप का मौक़ा। तारीख़ 24 जून। रोहित शर्मा की भारतीय टीम उसी ऑस्ट्रेलिया से मुक़ाबले के लिए मैदान में उतरी, जिसने उससे एक साल से कम समय में दो बार ख़िताबी जीत छीन ली थी। रोहित इसे भूले नहीं थे। इस बार सेमीफाइनल तक पहुँचने के रास्ते में यही मैच सबसे अहम पड़ाव भी था। लिहाज़ा, उन्होंने आगे बढ़कर मोर्चा सँभाला और 41 गेंदों पर 92 रन ठोक डाले। उनकी इस कप्तानी पारी से भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 24 रनों से हराकर सेमीफाइनल की दौड़ से बाहर कर दिया।
हालाँकि आगे सेमीफाइनल मुक़ाबला भी मानो रोहित के लिए निजी मामले जैसा ही था। उसी इंग्लैंड के साथ, जिसने उन्हें दो साल पहले इसी पड़ाव पर शिक़स्त देकर फाइनल की दौड़ से बाहर किया था। रोहित उसे भी कैसे भूल सकते थे? सो, उन्होंने इस बार भी अपने ही ऊपर ज़िम्मेदारी ली और अंग्रेज गेंदबाज़ों पर टूट पड़े। सिर्फ़ 39 गेंदों में 57 रन ठोककर टीम के लिए पहले उन्होंने पहले जीत का आधार बनाया। फिर बाकी काम गेंदबाज़ी, क्षेत्ररक्षण के समय धारदार कप्तानी करके पूरा किया। इस तरह एक साल के भीतर तीसरी बार टीम को विश्व कप प्रतिस्पर्धा के फाइनल (तीनों प्रारूप के) में ले गए।
अलबत्ता, फाइनल मुक़ाबले में में नियति ने उनके नायब यानि उपकप्तान हार्दिक पंड्या के लिए कारसाज़ी (बिगड़ा काम बनाने का हुनर) कर रखी थी। इस मैच में रोहित शर्मा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी चुनी। पर वे ख़ुद जल्दी आउट हो गए। उनके साथ पारी शुरू करने उतरे विराट कोहली ने 59 गेंदों पर 76 रन बनाए और पूरी प्रतिस्पर्धा में पहली बार उनका बल्ला चला। लेकिन टी-20 क्रिकेट के हिसाब से धीमी गति से क्योंकि उन्होंने अपने 50 रन बनाने के लिए 48 गेंदें खेल डालीं। इसीलिए जब भारत की पारी 176 रन पर पूरी हुई तो लगा कि 15-20 रन कम रहे हैं।
यह आशंका सही साबित होती हुई भी लगी क्योंकि 16वें ओवर तक दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 24 गेंदों पर सिर्फ़ 26 रन बनाने थे। उसके हाथ में छह विकेट थे और क्रीज पर हेनरिक क्लासेन तथा डेविड मिलर जैसे बल्लेबाज़ डटे हुए थे। भारतीय खिलाड़ियों का मनोबल भी ढलान पर दिख रहा था। मगर तभी रोहित ने 17वाँ ओवर हार्दिक को थमा दिया और पहली ही गेंद पर उन्होंने क्लासेन को विकेटकीपर ऋषभ पन्त के हाथों कैच करा दिया। बस, यहीं से भारतीय टीम और उसके समर्थकों का जोश लौट आया। जबकि अफ्रीकी टीम दबाव में आ गई।
हालाँकि डेविड मिलर के रहते जीत अभी भारतीय टीम से दूर ही थी। दक्षिण अफ्रीका को आख़िरी ओवर में जीत के लिए महज़ 16 रन बनाने थे। टी-20 क्रिकेट में इतने रन तीन-चार गेंदों में भी बन सकते हैं। लेकिन पहले कहा न, नियति ने इस वक़्त हार्दिक के लिए कारसाज़ी कर रखी थी। सो, रोहित ने आख़िरी ओवर के लिए गेंद उन्हीं के हाथों में सौंप दी। उन्होंने इस बार भी पहली ही गेंद ऐसी फेंकी कि मिलर ख़ुद को रोक नहीं पाए। उन्होंने उस पर छक्का मारने का प्रयास किया और सीमा रेखा पर सूर्यकुमार यादव ने शानदार कैच लेकर उन्हें चलता कर दिया।
इसके बाद तो आगे जैसे सब औपचारिकताएँ ही थीं। हार्दिक ने अगली तीन गेंदों में किसी भी बल्लेबाज़ को हाथ खोलने नहीं दिया और ओवर की पाँचवीं गेंद पर एक विकेट और झटक कर भारत के लिए ख़िताबी जीत की इबारत लिख दी। सो, ज़ाहिर तौर पर जैसे ही ओवर की आख़िरी गेंद फेंके जाने की औपचारिकता पूरी हुई, रोहित और हार्दिक की आँखें ख़ुद पर काबू न रख सकीं। खुलकर छलक पड़ीं। बहुत देर तक छलकती रहीं। निश्चित तौर पर दोनों की आँखों में बीते वक़्त के वे हर लम्हे तैरे होंगे, जब उन्हें एक के बाद एक लगातार चोट खानी पड़ीं थीं।
याद कीजिए। यही वे दो खिलाड़ी हैं, जिन्हें लेकर अभी कुछ महीने पहले तक आईपीएल के पूरे सत्र में विवाद बना हुआ था। गुजरात को 2022 में आईपीएल ख़िताब जिताने वाले कप्तान हार्दिक को 2024 के लिए मुम्बई इंडियन्स ने अपनी तरफ़ कर लिया था। उनके लिए रोहित से मुम्बई इंडियन्स की कप्तानी वापस ली गई थी। लेकिन यह दाँव चला नहीं। पूरे आईपीएल में हार्दिक का न बल्ला चला, न कप्तानी और न वे गेंद से प्रभावी प्रदर्शन कर सके। रोहित के समर्थकों ने भी उन्हें मैदान के बाहर-भीतर जमकर परेशान किया। अन्त में उनकी टीम भी आख़िरी क्रम पर रही। यही नहीं, आईपीएल ख़त्म होते ही हार्दिक घरेलू मोर्चे पर पत्नी के साथ विवाद की स्थिति से भी जूझते रहे। और इस भारी दबाव के बीच उनके सामने बतौर भारतीय उपकप्तान विश्वकप में ख़ुद को साबित करने की चुनौती पेश हुई थी।
सो अब कहिए, तमाम प्रतिकूलताओं से जूझकर निकले ये दोनों खिलाड़ी ही बड़े नायक हुए न?
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