भारत में औद्योगिक विस्तार का अगुवा किस भारतीय को माना जाता है?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 17/10/2021

भारत में उद्योगों का विस्तार मुख्य रूप से पूँजी के अधिग्रहण और रेलवे के फैलाव पर निर्भर रहा। यहाँ रेलवे की आधारशिला 1858 से पहले ही रख दी गई थी। सन् 1869 तक पूरे देश में 4,000 मील लंबे रेल पथ पर रेलें चलने लगी थीं। यह सब कुछ निजी पूँजी के बलबूते हुआ। हालाँकि सरकार ने रेल परियोजनाओं में पैसा लगाने वालों को गारंटी दी थी कि उन्हें पाँच फीसदी ब्याज की दर से मुनाफ़ा वापस मिलेगा। यह भरोसा देने का मकसद ये था कि ज़्यादा से ज़्यादा निवेश आकर्षित किया जा सके। सरकार ने अपनी गारंटी के बदले रेल संचालन और उस पर व्यय आदि का नियंत्रण अपने हाथ में रखा। रेलों से डाक और सेना की आवाजाही की सुविधा भी उसे मुफ्त मिली थी। एक विकल्प उसे यह भी मिला था कि वह निर्माण के 25 साल पूरे होने के बाद रेल लाइनों को खरीद भी सकती है। इसका प्रभाव ये हुआ कि 1870 के बाद सरकार ने खुद रेल लाइनें बिछानी शुरू कर दीं। हालाँकि 1880 में जब सरकारी गारंटी की अधिक प्रभावी व्यवस्था सामने आई तो निजी कंपनियों ने फिर रेल लाइनों का निर्माण शुरू किया। हालाँकि सरकार ने 1905 के बाद से धीरे-धीरे निजी रेल लाइनों को अपने नियंत्रण में लेना शुरू कर दिया। इस तरह 1940 तक ब्रिटिश-भारत की कुल रेल लाइनों का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा सरकार के नियंत्रण में आ चुका था। तब तक 43,000 मील लंबे रेल-पथ बिछ चुके थे। 

रेल-प्रणाली के विस्तार का सबसे महत्त्वपूर्ण असर दिखा, कोयले की आपूर्ति में। खास तौर पर रेल इंजनों के संचालन के लिए ये अनुकूल आवश्यक स्थिति थी। कोयले के खनन का कुछ काम तो कंपनी शासन के दौरान ही शुरू हो चुका था और 1846 तक बंगाल की खदानों से 90,000 टन कोयला निकाला जा रहा था। आगे चलकर माँग बढ़ी तो बंगाल के अलावा बिहार और उड़ीसा में भी नई कोयला खदानें शुरू की गईं। इससे 1880 तक कोयले का उत्पादन 10 लाख टन हो चुका था। फिर 1900 में 60 लाख, 1917 में 1.20 करोड़ और 1940 तक तीन करोड़ टन कोयले का उत्पादन होने लगा था। इस तरह रेल-प्रणाली के विस्तार और कोयले का उत्पादन लगातार बढ़ने से भारतीय कारखाना-उद्योग को भी फायदा हुआ। भाप से चलने वाले संयंत्रों को खास तौर पर इससे मदद मिली। 

इससे व्यापार-वाणिज्य को भी तेजी से बढ़त मिली। सन् 1908 तक भारत से दूसरे देशों को होने वाला व्यापार पाँच गुना तक बढ़ चुका था। विभिन्न उत्पादों की कीमतें भी पूरे देश में लगभग एक जैसी हो चुकी थीँ। स्वदेशी उद्योगों को थोड़ा नुकसान हुआ, मग़र वे आधुनिकता के साँचे में भी ढले। आयातित उत्पादों का वितरण आसान बनाने में रेल-प्रणाली से मदद मिली। इससे बंदरगाहों के आस-पड़ोस से बाहर भी उद्योग स्थापित होने लगे। नगदी-फसलों का उत्पादन बढ़ा और लोगों के पास पैसा। मग़र रेल-प्रणाली ने भारत को विश्व-व्यापार के भँवर में भी उलझा दिया। यही वजह थी कि जब 1919 से 1939 के बीच दुनिया में युद्ध छिड़े और वैश्विक आर्थिक मंदी आई तो उसका असर भारत पर भी पड़ा। 

स्वाभाविक तौर पर इसका प्रभाव कपास उद्योग में महसूस किया गया। हालाँकि विस्तार तुलनात्मक रूप से 1887 तक धीमा रहा। फिर उसी साल जब पारसी उद्योगपति जेएन टाटा ने नागपुर में कपास-कारखाना खोला तो उसके बाद तक्क्की दिखी। ऐसी कि 1914 तक भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा कपास-उत्पादक बन गया। इसी तरह जूट उद्योग को भी फायदा हुआ। चूँकि यह उद्योग तब पूरी तरह भाप-चालित संयंत्रों पर ही निर्भर था। जूट-उत्पादन में 20वीं सदी की शुरुआत तक दुनिया में भारत का एकतरफा दबदबा हो गया। लौह और इस्पात उद्योग में भी विस्तार की अगुवाई जेएन टाटा और उनके पुत्रों ने की। उन्होंने बिहार के जमशेदपुर 1911 में पहला कारखाना लगाया और सन् 1940 तक दुनिया का सबसे बड़ा लौह-इस्पात संयंत्र परिसर भारत में स्थापित था। ऐसे और भी कई उदाहरण हैं।

भारतीय उद्योगों का विस्तार 20वीं सदी की विशिष्टताओं में से एक थी। साल 1902-3 में एक रपट आई, जिसमें बताया गया कि भारतीय औद्योगिक का विस्तार मूल रूप से कपास और जूट उद्योगों तक सीमित था। इसके मुताबिक, “भारत में औद्योगिक विकास के लिहाज़ से कपास और जूट के अलावा एक ही उद्योग है, जहाँ कुछ हलचल हुई। वह है, इस्पात और पीतल उद्योग। इन उद्योगों में बीते एक साल में लगभग 20,674 लोगों को रोजगार मिला है। वहीं, जहाँ तक कृषि क्षेत्र का सवाल है तो नील कारखानों से 81,000, कपास को ओटने-दबाने, साफ करने की इकाईयों में 65,000, जूट की इसी तरह की इकाईयों में 22,000 लोगों को एक साल में रोजगार मिला है। इसके अलावा हालाँकि रेशम की कताई करने वाली (10,652) और चमड़े की इकाईयों (8,626) ने भी लोगों को रोजगार दिया है, लेकिन ये तथा ऐसे अन्य क्षेत्र अब भी ज्यादा अहमियत वाले नहीं पाए गए हैं।” 
(जारी…..)
अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
——
(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
——
पिछली कड़ियाँ : 
56. क्या हम जानते हैं, भारत में सहकारिता का प्रयोग कब से शुरू हुआ?
55. भारत में कृषि विभाग की स्थापना कब हुई?
54. अंग्रेजों ने पहली बार लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र कितनी तय की थी?
53. ब्रिटिश भारत में कानून संहिता बनाने की प्रक्रिया पहली बार कब पूरी हुई?
52. आज़ादी के बाद पाकिस्तान की पहली राजधानी कौन सी थी?
51. आजादी के आंदोलन में 1857 की क्रांति से ज्यादा निर्णायक घटना कौन सी थी?
50. चुनाव में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देने के पीछे अंग्रेजों का छिपा मक़सद क्या था?
49. भारत में सांकेतिक चुनाव प्रणाली की शुरुआत कब से हुई?
48. भारत ब्रिटिश हुक़ूमत की महराब में कीमती रत्न जैसा है, ये कौन मानता था?
47. ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

सोशल मीडिया पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *