विजय मनोहर तिवारी की पुस्तक, ‘भोपाल गैस त्रासदी: आधी रात का सच’ से, 24/3/2022
आठ- सीआर कृष्णास्वामी राव, केबिनेट सचिव : केंद्र सरकार के शीर्ष नौकरशाह, जो प्रधानमंत्री से बंधे थे। मध्यप्रदेश के मुख्यसचिव ब्रह्मस्वरूप से जुड़े थे। मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह ने ही तब भोपाल में मीडिया को जानकारी दी थी कि उनके मुख्य सचिव दिल्ली में मंत्रिमंडलीय सचिव के संपर्क में हैं। एंडरसन मामले में केंद्र और राज्य के बीच दिल्ली की सर्वोच्च प्रशासनिक कड़ी। इनके स्तर पर बहुत संभव है कि नरसिंहराव या राजीव गांधी ने ही इन्हें मध्यप्रदेश सरकार से बात करने और एंडरसन को सरकारी विमान से दिल्ली रवाना करने को कहा हो। इन्होंने मुख्यसचिव को केंद्र की मंशा से अवगत कराया हो। तत्कालीन भोपाल कलेक्टर मोतीसिंह का यह बयान यहां अहम है कि उस दिन उन्होंने जो भी किया सीएस के कहने पर किया। यह जांच का विषय है कि एंडरसन को भोपाल से रवाना करने की समय सीमा तय की गई थी या नहीं।
नौ- ब्रह्मस्वरूप, मुख्यसचिव, मध्यप्रदेश के शीर्ष नौकरशाह : मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह से बंधे, दिल्ली के दबाव में और अपने मातहत कलेक्टर-एसपी से जुड़े। दिल्ली में केबिनेट सचिव, मुख्यमंत्री और कलेक्टर एसपी के बीच एक सक्रिय कड़ी। एंडरसन को लेकर दिल्ली से केबिनेट की ओर से जो भी निर्देश आए, इनके पास ही आए। केंद्र का दबाव मानकर इनका पूरा ध्यान अक्षरशः पालन पर केंद्रित रहा। आखिरकार इनके ही सीधे हुक्म पर कलेक्टर-एसपी ने एंडरसन का रास्ता साफ किया।
दस- मोतीसिंह, कलेक्टर व स्वराजपुरी, एसपी : अर्जुनसिंह के कृपापात्र, उनसे बंधे, प्रशासनिक तौर पर ब्रह्मस्वरूप के दबाव में, शुरू से यूनियन कार्बाइड के प्रभाव में और एंडरसन मामले में आपस में भी गहरे जुड़े। एंडरसन के साथ कैसे पेश आना है, इसका हर हुक्म इन्हें मुख्य सचिव से मिला, जिसका पूरी मुस्तैदी से पालन किया गया। इन दोनों के लंबे करियर में गैस हादसे से बड़ी चुनौती और इसके गुनहगार एंडरसन जैसा कोई प्रभावशाली आरोपी शायद ही कभी सामने आया हो। ऐसे मौके पर दोनों ने पूरी तरह अपने आकाओं के इशारों पर काम में जुटना सिर्फ अपनी बेहतरी के लिए ‘विधिसम्मत’ समझा। हालांकि ये ऐसे किसी हुक्म को मानने के लिए मजबूर नहीं थे और एंडरसन को पुलिस स्टेशन और अदालत ले जा सकते थे, लेकिन उस दिन इन्होंने खुद को सारे कानून कायदों सहित सत्ता के आगे सरेंडर किया। इन अफसरों के करियर पर बाद में कभी कोई आंच नहीं आई और एंडरसन के जाते ही मुआवजा और राहत की कहानी शुरू हो गई। ये अफसर अपनी नौकरियां पूरी करके रिटायर हुए।
ग्यारह- सुरेंद्रसिंह, टीआई, हनुमानगंज थाना भोपाल : एसपी स्वराजपुरी के दबाव में, हर फैसले के लिए उन्हीं के इशारों पर निर्भर गैस हादसे के बाद मामला इन्हीं के थाने में दर्ज हुआ। एंडरसन मामले में चल रही राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कोशिशों में स्थानीय स्तर पर सबसे निचली कड़ी। आखिर में वे चाहते तो एंडरसन को रिहा करने से इंकार कर सकते थे। लेकिन इस हाईप्रोफाइल मामले में जब सब कुछ ऊपर से ही तय हो रहा था तो हनुमानगंज थाने में बैठे टीआई ने भी ने अपने आकाओं के आदेश का पालन अपने लिए मुनासिब समझा।
बारह- जार्ज पी शुल्ज, अमेरिकी विदेश सचिव : अमेरिकी विदेश मंत्री से बंधे, भारत में एक बड़े अमेरिकी उद्योगपति की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी उद्योग समुदाय के दबाव में। इनके लिए यह जरूरी था कि एंडरसन की सुरक्षित वापसी को सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक कोशिशें हों। दिल्ली से गॉर्डन स्ट्रीब से मिली सूचना व्हाइट हाऊस को बताने के लिए उस दिन इनके पास सबसे महत्वपूर्ण जानकारी थी, जिसे तुरंत राष्ट्रपति रीगन के ऑफिस को अवगत कराया गया।
तेरह- व्हाइट हाऊस : रोनाल्ड रीगन रिपब्लिक राष्ट्रपति थे जो अपने भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाते थे। तब की दो ध्रुवीय दुनिया में भारत का झुकाव सोवियत संघ की ओर था। इसलिए यह भी मानने का कोई आधार नहीं कि भारत रीगन के दबाव में होगा। लेकिन एंडरसन मामले में अमेरिकी अधिकारियों के स्तर पर भारत सरकार के सामने अपना पक्ष जरूर रखा गया। भोपाल में उसकी रिहाई के बाद व्हाइट हाऊस से इस बारे में बाकायदा एक छोटा सा बयान भी जारी किया गया।… इस बयान को पढ़कर लगता नहीं कि अमेरिका ने एंडरसन की गिरफ्तारी को लेकर कोई बहुत फिक्र की होगी। जाहिर है कि अमेरिका के पक्ष प्रदर्शन को हमारे यहां आदेश मान लिया गया और फिर हमारे यहां मामला ‘वीवीआईपी’ का हो गया। लैरी स्पीक्स, व्हाइट हाऊस के प्रवक्ता ने एंडरसन की रिहाई के बाद वाशिंगटन में जारी बयान में कहा-अमेरिका ने भारतीय अधिकारियों से बात की है, लेकिन मुझे यह विश्वास नहीं है कि इसी की वजह से एंडरसन की रिहाई हुई है।
(जारी….)
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(नोट : विजय मनोहर तिवारी जी, मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त, वरिष्ठ लेखक और पत्रकार हैं। उन्हें हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने 2020 का शरद जोशी सम्मान भी दिया है। उनकी पूर्व-अनुमति और पुस्तक के प्रकाशक ‘बेंतेन बुक्स’ के सान्निध्य अग्रवाल की सहमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर यह विशेष श्रृंखला चलाई जा रही है। इसके पीछे डायरी की अभिरुचि सिर्फ अपने सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक सरोकार तक सीमित है। इस श्रृंखला में पुस्तक की सामग्री अक्षरश: नहीं, बल्कि संपादित अंश के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसका कॉपीराइट पूरी तरह लेखक विजय मनोहर जी और बेंतेन बुक्स के पास सुरक्षित है। उनकी पूर्व अनुमति के बिना सामग्री का किसी भी रूप में इस्तेमाल कानूनी कार्यवाही का कारण बन सकता है।)
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श्रृंखला की पिछली कड़ियाँ
31. जानिए…एंडरसरन की रिहाई में तब के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की क्या भूमिका थी?
30. पढ़िए…एंडरसरन की रिहाई के लिए कौन, किसके दबाव में था?
29. यह अमेरिका में कुछ खास लोगों के लिए भी बड़ी खबर थी
28. सरकारें हादसे की बदबूदार बिछात पर गंदी गोटियां ही चलती नज़र आ रही हैं!
27. केंद्र ने सीबीआई को अपने अधिकारी अमेरिका या हांगकांग भेजने की अनुमति नहीं दी
26.एंडरसन सात दिसंबर को क्या भोपाल के लोगों की मदद के लिए आया था?
25.भोपाल गैस त्रासदी के समय बड़े पदों पर रहे कुछ अफसरों के साक्षात्कार…
24. वह तरबूज चबाते हुए कह रहे थे- सात दिसंबर और भोपाल को भूल जाइए
23. गैस हादसा भोपाल के इतिहास में अकेली त्रासदी नहीं है
22. ये जनता के धन पर पलने वाले घृणित परजीवी..
21. कुंवर साहब उस रोज बंगले से निकले, 10 जनपथ गए और फिर चुप हो रहे!
20. आप क्या सोचते हैं? क्या नाइंसाफियां सिर्फ हादसे के वक्त ही हुई?
19. सिफारिशें मानने में क्या है, मान लेते हैं…
18. उन्होंने सीबीआई के साथ गैस पीड़तों को भी बकरा बनाया
17. इन्हें ज़िन्दा रहने की ज़रूरत क्या है?
16. पहले हम जैसे थे, आज भी वैसे ही हैं… गुलाम, ढुलमुल और लापरवाह!
15. किसी को उम्मीद नहीं थी कि अदालत का फैसला पुराना रायता ऐसा फैला देगा
14. अर्जुन सिंह ने कहा था- उनकी मंशा एंडरसन को तंग करने की नहीं थी
13. एंडरसन की रिहाई ही नहीं, गिरफ्तारी भी ‘बड़ा घोटाला’ थी
12. जो शक्तिशाली हैं, संभवतः उनका यही चरित्र है…दोहरा!
11. भोपाल गैस त्रासदी घृणित विश्वासघात की कहानी है
10. वे निशाने पर आने लगे, वे दामन बचाने लगे!
9. एंडरसन को सरकारी विमान से दिल्ली ले जाने का आदेश अर्जुन सिंह के निवास से मिला था
8.प्लांट की सुरक्षा के लिए सब लापरवाह, बस, एंडरसन के लिए दिखाई परवाह
7.केंद्र के साफ निर्देश थे कि वॉरेन एंडरसन को भारत लाने की कोशिश न की जाए!
6. कानून मंत्री भूल गए…इंसाफ दफन करने के इंतजाम उन्हीं की पार्टी ने किए थे!
5. एंडरसन को जब फैसले की जानकारी मिली होगी तो उसकी प्रतिक्रिया कैसी रही होगी?
4. हादसे के जिम्मेदारों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए थी, जो मिसाल बनती, लेकिन…
3. फैसला आते ही आरोपियों को जमानत और पिछले दरवाज़े से रिहाई
2. फैसला, जिसमें देर भी गजब की और अंधेर भी जबर्दस्त!
1. गैस त्रासदी…जिसने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को सरे बाजार नंगा किया!