Mumbai Airport

यहाँ बिल्कुल अलग समाज दिखाई देता है, सामान्यतया तो ऐसे लोग दिखाई नहीं देते!

विकास, दिल्ली से, 29/4/2022

अभी कुछ रोज पहले मुंबई हवाईअड्डे पर था। उड़ान में देरी हो गई। 45 मिनट की। बिना किसी पूर्व सूचना के। यहाँ भीड़ थी। कुर्सियाँ सब भरी हुईं। दूसरी उड़ानों के यात्री उठे और चले गए। कुछ कुर्सियाँ खाली हुईं तो अपन को भी एक मिली। मेरे बाईं ओर एक बच्चा बैठा था। गुमसुम। इसके पापा मेरे दाहिनी ओर बैठे। मैं इस बच्चे से बातें करने के लिए जानबूझकर इनके बीच में बैठा रहा। मैंने बात करने का प्रयास किया, पर बच्चा बोला नहीं। सम्भवत: इस बच्चे को भी हमारी तरह शिक्षा मिली हो कि अनजान लोगों से बात नहीं करनी है।

तभी, अचानक एक उद्घोषणा हुई। बोर्डिंग शुरू होने की। सब खड़े हो गए। पंक्तिबद्ध। हवाईअड्डे अक्सर भागते हुए पहुँचता हूँ। आज कुछ फुर्सत में पहुँचा तो दिमाग चल गया। या बहक गया भी पढ़ सकते हैं। मैं हवाईअड्डे पर देखता हूँ कि अधिकतर लोग सेलेब्रिटी बने घूमते हैं। फिर वे चाहें स्त्रियाँ हों या पुरुष। आजकल फेसबुक या इंस्टाग्राम पर सेलेब्रिटियों के छोटे-छोटे वीडियो बहुत वायरल हो जाते हैं। सेलेब्रिटी तो होते ही वायरल होने के लिए हैं। उनमें भी महिला सेलेब्रिटी के अधिक। कहते हैं कि भारत में फैशन के निर्धारण में बॉलीवुड और टीवी कलाकारों का बहुत योगदान है। फिर आजकल तो वैसे भी ज़माना फॉलो करने का है। पहले लोग ठाठ से कहते थे, अरे हम किसी को फॉलो नहीं करते। आज कहते हैं, अरे हाँ भाई, हम तो करते हैं। और अगर सामने वाले ने कहा कि अरे चल! हम नहीं करते फॉलो उन्हें, तो ऐसे कहेंगे गोया फॉलो नहीं करने वाला व्यक्ति अनपढ़ हो।

हवाईअड्डे पर ये फॉलोइंग कुछ ज़्यादा दिखती है। फैशन-वैशन के मामले में। अगर स्त्री हैं तो बाल खोल लिए। कपड़े कुछ ऐसे पहन लिए कि जितनी अधिक त्वचा दिख सके, दिखती रहे। आजकल तो निकर या पायज़ामा भी ट्रेंडी कहलाते हैं। और इन पर स्त्री-पुरुष, दोनों का बराबर हक दिखाई देता है। पुरुष हैं तो गले में छोटे साँप जैसा ब्लूटूथ और डाल लिया। कुल मिलाकर यहाँ बिल्कुल अलग समाज दिखाई देता है। इन लोगों को देखकर ऐसा लगता है, जैसे ये विशेष रूप से हवाईअड्डे के लिए इस तरह तैयार होकर आए हों। सामान्यतया ऐसे लोग दिखाई नहीं देते हैं। एक अलग होड़-सी दिखाई देती है यहाँ। ज़ेहन में सवाल उठता है, आख़िर क्यों? ये होड़ किसलिए?

विमान उड़ चुका था। लेकिन सवालों का ज़वाब नहीं था। लिहाज़ा, मैं खिड़की से बाहर नज़ारों को झाँकता हूँ। ऐसा दिखाई देता है जैसे किसी ने स्वर्ण भस्म बिछा दी हो मेरे बगल में। अद्भुत दृश्‍य देखकर मैं हवाईअड्डे के नज़ारों को भूल जाता हूँ। पर सवाल रह जाते हैं, निरुत्तर।  

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