टीम डायरी
जाने-माने कारोबारी आनन्द महिन्द्रा ने अभी हाल में अपनी एक प्रतिक्रिया सार्वजनिक की। वह हमेशा ही विभिन्न मसलों पर अपनी प्रतिक्रियाएँ सार्वजनिक करते रहते हैं। उनकी प्रतिक्रियाएँ चर्चा में भी रहती हैं। ज़ाहिर तौर पर इस बार भी रही। अलबत्ता, इस बार उनकी प्रतिक्रिया में हम सबके लिए ज़िन्दगी का एक अहम सबक भी छिपा हुआ था। लेकिन इससे पहले महिन्द्रा की प्रतिक्रिया पर गौर करते हैं।
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “मैं जब बिज़नेस स्कूल में पढ़ता था, तब यह विचार भी दूर की कौड़ी लगता था कि भारत कभी जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के मामले में जापान को पीछे छोड़ देगा। यह सपने जैसा लगता था, जिसे पूरा करने के बारे में कोई दुस्साहसी ही सोच सकता था। पर आज वही विचार सिर्फ़ सैद्धान्तिक नहीं रहा। हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।”
उनकी प्रतिक्रिया में और भी बातें हैं, लेकिन अपने मतलब की इतनी ही। दरअसल, आनन्द महिन्द्रा ने यह प्रतिक्रिया तब दी, जब इसी शनिवार, 24 मई को नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने घोषणा की, “भारत दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। हमने जापान को पीछे छोड़ दिया है।” हालाँकि यह घोषणा तथ्यात्मक रूप से सही नहीं थी क्योंकि उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के जिन आँकड़ों को आधार बनाया, वे पूर्वानुमान हैं। इस पूर्वानुमान के मुताबिक, अगर भारत की विकास दर छह प्रतिशत या उससे अधिक बनी रही तो वह 2025 के अन्त तक दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।
अलबत्ता, आनन्द महिन्द्रा की प्रतिक्रिया में कोई गफ़लत नहीं थी। वह जो कहना चाह रहे थे, उन्होंने कह दिया। वह जो बताना चाहते थे, उन्होंने बता दिया कि ज़िन्दगी में असम्भव से लगने वाले सपने भी सच होते हैं। इसलिए उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। लगे रहना चाहिए। और, जब वे सपने पूरे हो जाएँ, तो वहाँ भी उनके पूरे होने की खुशी मनाते हुए सन्तुष्ट होकर नहीं बैठ जाना चाहिए। आगे ज़्यादा बड़े लक्ष्य और अधिक प्रयास का सिलसिला तुरन्त शुरू कर देना चाहिए। जीवन में गति, प्रगति सद्गति, सबका मूल मंत्र यही है।