टीम डायरी
दोहरे चरित्र वाले लोग लोकतांत्रिक प्रणाली और अभिव्यक्ति की आज़ादी जैसी सुविधाओं को किस तरह अपने पक्ष में भुनाते रहते हैं, यह ताज़ा मसला इसका प्रमाण है। तस्वीर में, और नीचे दिए गए ट्वीट में भी (जो शायद एक्स से हटाया भी जा सकता है, क्योंकि ऐसे कई पोस्ट हटाए गए हैं) दिख रही मोहतरमा का नाम आरफा खानम है। ये समाचार जगत की एक चर्चित वेबसाइट की सम्पादक हैं। ख़ुद को बुद्धिजीवी वर्ग का मानती हैं। साथ ही स्वयं को साम्प्रदायिक सद्भाव का समर्थक भी कहती रहती हैं। पर इनके साम्पद्रायिक सद्भाव की मिसाल देखें।
इन्होंने आज, बकरीद के मौक़े पर जानबूझकर एक पोस्ट डाली। इसमें एक मुस्लिम युवक गाय को लेकर जा रहा है। उसे साझा करते हुए उन्होंने मुस्लिम समुदाय को बकरीद की शुभकामनाएँ दीं। गाय, जिसे हिन्दू समाज में पवित्र दर्ज़ा हासिल है। और बकरीद पर बकरे की क़ुर्बानी दी जाती है। यह दोनों बातें आरफ़ा खानम को अच्छी तरह पता हैं। तो फिर क्या वे इस तरह की पोस्ट से यह सन्देश देना चाहती थीं कि मुस्लिम समुदाय बकरे की जगह गाय की क़ुर्बानी दे? यह हो भी सकता है, क्योंकि दुषित सोच किसी भी स्तर तक नीचे जा सकती है।
हमारी हिंदू बहन शर्मिष्ठा ने माफी भी मांगी और वीडियो डिलीट किया फिर भी उसको जेल हो गई
— Tiger Raja Satire (@TigerRajaSinggh) June 7, 2025
एक देश में दो कानून कैसे हो सकते.?
गौमाता का अपमान करोड़ो हिंदू नहीं सहेंगे
हिंदुओं इस ख़ातून को सबक सिखाना है रिपोस्ट करते रहो
चलो इसे हिंदू एकता की ताक़त दिखाते हे🔥✊#ArrestAarfaKhanam pic.twitter.com/NbaU7CDyzh
हालाँकि, आरफ़ा खानम की इस पोस्ट पर थोड़ी ही देर में विवाद हो गया। जानबूझकर हिन्दुओं की भावनाएँ आहत करने के आरोप में उनकी ग़िरफ़्तारी की माँग उठने लगी। सोशल मीडिया पर यह माँग अब भी जोर-शोर से चल रही है। अलबत्ता, अब तक उनकी ग़िरफ़्तारी तो नहीं हुई, लेकिन अपनी पोस्ट हटाकर आरफ़ा ने माफ़ी ज़रूर माँग ली। साथ ही कहा कि वह हमेशा से साम्प्रदायिक सद्भाव की पक्षधर रही हैं।
यद्यपि यहाँ भी दिलचस्प बात देखिए। इनके साम्प्रदायिक सद्भाव की परिभाषा कहती है कि कोई बार-बार उकसाए जाने के बाद अगर भावावेश में मुस्लिम समुदाय पर कोई ग़ैरज़रूरी टिप्पणी कर दे तो उसे माफ़ी क़तई नहीं मिलनी चाहिए। भले ही वह बार-बार अपनी ग़लती स्वीकार करता रहे। उनके मुताबिक, मुस्लिम समुदाय को आहत करने वाले व्यक्ति को सिर्फ़ सज़ा मिलनी चाहिए। ऐसा वे ख़ुद पहले कह चुकी हैं। नीचे उन्हीं का पिछला पोस्ट है, जिसमें उन्होंने साफ़ राय ज़ाहिर की है। बंगाल की शर्मिष्ठा पंचोली का मामला भी ऐसा ही है।
हिंदू शेरनी नूपुर शर्मा @NupurSharmaBJP ने माफी मांगी लेकिन ये गिरफ्तारी पर अड़ी रही
— Tiger Raja Satire (@TigerRajaSinggh) June 7, 2025
इस आरफा खानम @Adv_AarfaKhanam की भाषा देखो हम इसे इसी भाषा में जवाब देंगे
इसको जेल भेजना नूपुर शर्मा,शर्मिष्ठा बहन के लिए न्याय होगा गिरफ्तारी तक रिपोस्ट करते रहो 🚨#ArrestAarfaKhanam pic.twitter.com/r8MQ6TqJGA
वहीं इसके ठीक उलट अगर कोई आरफ़ा जैसा मुस्लिम जानबूझकर हिन्दू समुदाय की भावना आहत करे, जैसा कि उन्होंने किया है, तो उसे माफ़ी मिल जानी चाहिए, ऐसा उनके द्वारा जारी ताज़ा वीडियो से लगता है। क्यों? क्योंकि इस देश में लोकतंत्र है और अभिव्यक्ति की आज़ादी भी! है न, रोचक-सोचक? दरअस्ल, भारतीय समाज में यदि नफ़रती वातावरण कहीं है भी, तो ऐसे ही दोहरे चरित्र वाले लाेगों की वज़ा से है।
समझिए, सचेत रहिए और ऐसे लोगों से सावधान रहिए।