टीम डायरी
ये हैं स्वामी ओमा द ‘अक्क’। ये श्रीराम पर बात करते हैं। श्रीकृष्ण पर बात करते हैं। तुलसी पर बात करते हैं। वेदव्यास पर बात करते हैं। इनकी बातों में रहीम हैं, कबीर हैं, ग़ालिब हैं। बुद्ध हैं और महावीर भी। इस वीडियो में ये बता रहे हैं कि प्रेम क्या है? प्रेमी कैसा होता है? कहते हैं, “जिसे प्रेम आता है, वह किसी का नहीं होता…..” ऐसा और भी बहुत कुछ। वीडियो सुनने लायक है, सुनिएगा।
स्वामी ओमा बनारस में रहते हैं। ‘क्लब स्प्रिचुअल’ चलाते हैं। इनके लाखों समर्थक हैं। कोई इन्हें विद्वान कहता है। कोई विदुषी। मगर ये ख़ुद को ‘ओमा द अक्क’ कहते हैं। हिन्दी में ‘अक्क’ का अर्थ है ‘माँ’ या ‘बहन’। लेकिन ये ख़ुद ‘अक्क’ का मतलब बताते हैं ‘ए’ यानि ‘इनफाइनाइट’ अर्थात् अनंत, असीम। और ‘के’ मतलब ‘पार्टिकल’ अर्थात् अणु या तत्त्व। इस तरह ‘एकेके’ का अर्थ हुआ परम सत्ता, परम तत्त्व। और ‘ओमा’ का अर्थ ‘ओम’ से लगा सकते हैं या ओमनीपोटेंट (सर्वशक्तिमान्) या ओमनीप्रजेंस (सर्वव्यापी) आदि से भी। ऐसी व्याख्याएँ इनकी वेबसाइट पर है।
पर जो भी है, इन तमाम चीजों से इतर ये जिस अंदाज़ में अपनी बातों, विचारों को रखते हैं, उसे एक बड़ा वर्ग पसंद ज़रूर कर रहा है। क्योंकि तर्क की कसौटी पर इनकी बातें, विचार खरे उतरते हैं। ‘रोचक-सोचक’ होते हैं।