टीम डायरी
ये दिल्ली के मशहूर ‘मैक्स’ अस्पताल में लगे सूचना पटल हैं। इन पर लिखी सूचनाओं पर ग़ौर कीजिए। कहने के लिए तो सूचनाएँ हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखी हैं। लेकिन वास्तव में हिन्दी इनमें ढूँढने से भी नहीं मिलेगी। क्योंकि हिन्दी के नाम पर अंग्रेजी के शब्दों को सिर्फ़ देवनागरी लिपि में लिख दिया गया है। जैसे- एडमिशन डेस्क, बिलिंग असिस्टेंस डेस्क, काउंसलिंग डेस्क आदि।
ऐसे ही नीचे वाली तस्वीर में भी- मॉनिटरिंग कमेटी, बेड वग़ैरा देखिए। इन शब्दों से क्या मतलब लगाया जाए? बस, यही कि इस अस्पताल के लोगों को हिन्दी लिखना नहीं आती। या फिर वे हिन्दी को क़मतर समझते हैं। अथवा उन्होंने यह मान लिया है कि यहाँ सिर्फ़ वही लोग आते हैं, जो अंग्रेजी भाषा और उसके शब्दों से परिचित हैं। लिहाज़ा, किसी की सुविधा के लिए सूचना पटल पर हिन्दी लिखने की ज़रूरत ही नहीं है।
पर जो भी हो, बड़े-बड़े संस्थानों में बैठे लोगों को इतनी छोटी सी बात समझ लेना चाहिए कि इस तरह अपनी भाषा का अनादर कर के अस्ल में वे ख़ुद को ही छोटा साबित कर रहे हैं। क्योंकि इस तरह से निरर्थक कृत्यों से न तो वे अपनी भाषा का मान बढ़ा रहे हैं और न ही उसकी गरिमा का ख़्याल रख रहे हैं!
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ये तस्वीर दिल्ली से डायरी के एक सजग पाठक ने भेजी है। #अपनीडिजिटलडायरी उनकी आभारी है। इस पर अपनी प्रतिक्रिया हमें नीचे कमेंट बॉक्स में लिख भेजिए।
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2- ‘सरकार’ हिन्दी के लिए ऐसे कैसे जगेगा स्वाभिमान, जब आप ही…!
1- आज विश्व हिन्दी दिवस है… और ये विश्व ‘विधालय’ अनुदान आयोग है!