कारखानों में काम करने की न्यूनतम उम्र अंग्रेजों ने पहली बार कितनी तय की थी?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 18/10/2021

ब्रिटिश भारत में 1858 से पहले कई बार अकाल, भुखमरी, महामारी आदि की स्थितियाँ बनीं। उनसे बड़े बेतरतीब तरीके से निपटा गया था। साल 1866-67 तक ये हाल रहा। उसी साल पूर्वी भारत में भयंकर अकाल पड़ा। ओडिशा में व्यापक असर हुआ। इसकी गंभीरता को देर से पहचाना गया। स्थिति अनियंत्रित हो गई। बारिश शुरू होने से तमाम रास्ते बंद हो गए। इससे ओडिशा के लिए ज़रूरी चीजों की आपूर्ति ठप हो गई। नतीज़ा ये हुआ कि करीब एक तिहाई आबादी भूखमरी, महामारी से जान गँवा बैठी। सरकार ने बारिश के बाद प्रभावित इलाकों में खाद्यान्न पहुँचाया लेकिन तब तक देर हाे चुकी थी। पहले की तरह इसकी भी जाँच हुई। जाँच रिपोर्ट देखने के बाद तत्कालीन वायसराय लॉरेंस की सोच बदली। इसीलिए जब 1868 में अकाल पड़ा तो उन्होंने साफ कहा कि लोगों की ज़िंदगियाँ बचाना सरकार का काम है। लेकिन तब राहत परियोजनाएँ बेतरतीब तरीके से संचालित की गईं। कहीं-कहीं इतनी राहत बाँट दी गई कि कहा जाने लगा- लोग अकाल-अवधि में ज़्यादा सुख से रह रहे हैं। आख़िर 1880 में अकाल आयोग बना। इसकी रिपोर्ट में कहा गया, “वास्तव में लोगों के जीवन की सुरक्षा का दायित्व सरकार का ही है। मग़र अब तक के अनुभव बताते हैं कि राहत-सामग्री बेतरतीब तरीके से कहीं कम, कहीं ज़्यादा बाँटी गई।…दुरुपयोग की ये प्रवृत्ति अगर रुक जाए तो ज़िंदगियाँ बचाने का उद्देश्य बेहतर तरीके से हासिल हो सकेगा।” 

आख़िर इस तरफ़ ध्यान दिया गया। सरकार ने एक अकाल संहिता बना दी, जिसकी 1883 में घोषणा हुई। इसके आधार पर ‘सुरक्षात्मक रेल-पथ’ बनवाए गए। ऐसे, जो अभावग्रस्त क्षेत्रों में ज़रूरत की चीजें पहुँचाने के काम आते थे। इससे पहले बैलगाड़ियों, ताँगों आदि से सामान भेजना पड़ता था। अकाल के समय ये साधन भी नहीं मिलते थे क्योंकि जानवर भूसा-चारे के अभाव के शिकार हो जाते थे। लेकिन 1897 तक रेल-प्रणाली का विस्तार हो गया था। राहत कार्यों के लिए योजना तैयार थी। जरूरत के हिसाब से पारिश्रमिक तय हो चुके थे। विशेष दुकानें खोली जा चुकी थी। यहाँ लोगों को सरकार की तय कीमत पर राशन मिलता था। कार्यस्थलों के पास चिकित्सालय, चिकित्सक आदि उपलब्ध करा दिए गए थे। करों में राहत देने और मुफ़्त बीज-वितरण आदि के नियम बना दिए गए थे। इसका असर ये हुआ कि उत्तर भारत में 1896-97 में जब अकाल पड़ा तो अधिकांश चीजें स्पष्ट थीं। इसलिए अकाल प्रभावित करीब तीन करोड़ लोगों तक राहत-सामग्री आदि का वितरण बेहतर ढंग से हो सका। हालाँकि 1899 में फिर बारिश कम होने से अकाल के हालात बिगड़े। लेकिन फिर स्थितियाँ पहले जितनी नहीं बिगड़ी। 

इसके बाद 1901 में नए अकाल आयोग की रपट आई। उसमें मौजूदा अकाल राहत-संहिता में कुछ परिवर्तन सुझाए गए। ताकि कार्यकुशलता बढ़ाई जा सके। इसमें स्पष्ट था कि राहत-संहिता से अकाल तो नहीं रोके जा सकते लेकिन सरकार उपलब्ध संसाधनों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल तो कर ही सकती है। इस सबका नतीज़ा ये रहा कि आगे के वर्षों में जब अकाल पड़े तो राहत कार्यों का संचालन लगातार बेहतर और प्रभावी होता गया। भारत में आखिरी बार ब्रिटिश शासन ने 1943 में अकाल का सामना किया। 
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भारत में औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार के साथ भारतीय श्रमिकों को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा की जरूरत महसूस की गई। लिहाज़ा भारत सरकार ने कई कानून बनाए। लेकिन वे अधिक प्रभावी नहीं हो सके। इसके कई कारण थे। इनमें अव्वल तो उद्योगपतियों ने इनका विरोध किया था। उनकी दो दलीलें थीं। पहली- इससे स्थानीय उद्योगों के विस्तार पर विपरीत असर पड़ेगा। दूसरी- भारतीय श्रमिक गरीब हैं, इसलिए वे पैसे कमाने के लिए मर्जी से जब तक चाहें काम करते हैं। इसीलिए जब लॉर्ड रिपन ने कामग़ारों के लिए काम के घंटे तय करने की कोशिश की तो उसका भी अज़ीब-व-ग़रीब तर्कों से विरोध हुआ। बाल-श्रमिकों के मामले में भी कहा गया कि भारत की तुलना ब्रिटेन या यूरोप से नहीं हो सकती। तब बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर एशले ईडन ने मार्च 1881 में वायसराय को लिखा, “यूरोप में आठ साल का बच्चा असहाय होता है। भारत में वह आदमी जैसा समझदार हो जाता है।” 

फिर भी जुलाई 1881 में एक कानून बना। इसमें प्रावधान कर दिया गया कि सात साल से कम का बच्चा कारखानों में श्रमिक नहीं हो सकता। वहीं, 12 साल तक के बच्चों से नौ घंटे से अधिक काम नहीं कराया जा सकता। उन्हें ख़तरनाक मशीनों से दूर रखने का भी नियम बना। इसके बाद 1891, 1911, 1922 और 1934 में बेहतर कानून बनाए गए। आगे 1934 के कानून में भी संशोधन हुआ। इसके ज़रिए काम के घंटे हफ़्ते में 50 तय कर दिए गए। श्रमिकों की न्यूनतम उम्र सात से बढ़ाकर 12 साल कर दी गई। यह भी जोड़ा गया कि 17 साल से कम का कोई व्यक्ति चिकित्सकीय तौर पर अगर उपयुक्त नहीं है तो उसे काम पर नहीं रखा जा सकता। महिला श्रमिकों के लिए भी कानूनी प्रावधान किए गए। ख़ास तौर पर उन्हें भूमिगत खदानों में काम करने से दूर करने के लिए। भूमिगत खदानों में 1928 तक क़रीब 30 फीसदी महिला श्रमिक थीं। लेकिन सरकार के प्रयासों के बाद 1936 तक एक भी नहीं बचीं। 

इसके बावज़ूद श्रमिक सुरक्षा कानूनों के बनने और उनके प्रभावी होने में अंतर बना रहा। उधर, बंबई में कारखाना श्रमिकों का एक संगठन भी बना, 1890 में। लेकिन सही मायने में पहले विश्व युद्ध के बाद भारत में श्रम-संगठनों को सफलता मिली। कारखानों में हड़तालें वग़ैरह भी होने लगीं, जो पहले नहीं होती थीं। फिर 1926 में श्रम संगठन अधिनियम अस्तित्त्व में आया। यहाँ से श्रम संगठनों को मान्यता मिलने की शुरुआत हुई। हालाँकि तब भी इन संगठनों का स्वरूप, दायरा और शक्ति कम ही थी। श्रम-संगठनों के लिए पंजीयन भी अनिवार्य नहीं था। इसलिए कम संगठन ही कानून का लाभ ले सके। इससे पहले 1920 में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना भी हुई थी। मग़र इसका स्वरूप पहले प्रशासनिक ही था। सदस्य संख्या भी कम थी। इस सबका नतीज़ा कुल ये रहा कि 1942 तक देश के 60 लाख से अधिक श्रमिकों में से सिर्फ़ 3,37,695 ही सरकार के सुरक्षात्मक श्रम-कानूनों के दायरे में आ सके थे। 
(जारी…..)
अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ : 
58. प्लास्टिक उत्पादों से भारतीयों का परिचय बड़े पैमाने पर कब हुआ?
57. भारत में औद्योगिक विस्तार का अगुवा किस भारतीय को माना जाता है?
56. क्या हम जानते हैं, भारत में सहकारिता का प्रयोग कब से शुरू हुआ?
55. भारत में कृषि विभाग की स्थापना कब हुई?
54. अंग्रेजों ने पहली बार लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र कितनी तय की थी?
53. ब्रिटिश भारत में कानून संहिता बनाने की प्रक्रिया पहली बार कब पूरी हुई?
52. आज़ादी के बाद पाकिस्तान की पहली राजधानी कौन सी थी?
51. आजादी के आंदोलन में 1857 की क्रांति से ज्यादा निर्णायक घटना कौन सी थी?
50. चुनाव में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देने के पीछे अंग्रेजों का छिपा मक़सद क्या था?
49. भारत में सांकेतिक चुनाव प्रणाली की शुरुआत कब से हुई?
48. भारत ब्रिटिश हुक़ूमत की महराब में कीमती रत्न जैसा है, ये कौन मानता था?
47. ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

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