निधि जैन, छतरपुर, मध्य प्रदेश से, 30/7/2021
किसी ने व्हाट्स एप पर यह कहानी मुझे भेजी। आज के दौर में जब हर कोई एक-दूसरे को गिराने की कोशिश करता है। कीचड़ उछालता है, तब यह कहानी बड़ी प्रेरक सीख देती है हमें। और चूँकि #अपनीडिजिटलडायरी पर इस तरह की चीजों को प्रमुखता से दर्ज़ किया जाता है, इसलिए सोचा डायरी पर इसे एक पन्ने की तरह जोड़ते हैं। डायरी के पाठकों के लिए। तो कहानी यूँ है….
एक दिन किसी किसान का बैल कुएँ में गिर गया। वह बैल घंटों ज़ोर-ज़ोर से रँभाता रहा। किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिए, क्या नहीं। अन्त में उसने निर्णय लिया कि चूँकि बैल काफ़ी बूढ़ा हो चूका है, अत: उसे बचाने से कोई लाभ नहीं। इसलिए उसे कुएँ में ही दफ़ना देना चाहिए। इसके बाद किसान ने अपने पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही बैल के समझ में आया कि यह क्या हो रहा है, तो वह और ज़ोर-ज़ोर से रँभाने लगा। पर थोड़ी देर बाद अचानक शान्त हो गया। इधर, सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे। इसी बीच, किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया। क्योंकि पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ ही वह बैल आश्चर्यजनक हरक़त कर रहा था। वह हिल-हिलकर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था। फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था। जैसे-जैसे किसान और उसके साथी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते, वैसे -वैसे वह हिल-हिलकर उस मिट्टी को गिरा देता। उसे सीढ़ी की तरह बनाकर ऊपर चढ़ आता। कुछ देर यही क्रम चला और फिर आख़िर में सबको अचरज में डालते हुए वह बैल कुएँ के ऊपरी किनारे तक पहुँच गया। इसके बाद कूदकर बाहर भाग गया।
बस, इतनी छोटी सी ही है, ये कहानी। लेकिन हमें बड़े अहम सवाल का ज़वाब दे जाती है। सवाल ये कि जीवन में जब कोई हमारे ऊपर मिट्टी, कीचड़ फेंके, जाे कि अक़्सर लोग करते ही हैं, तो हमें क्या करना चाहिए? उत्तर ये कि उसी कीचड़ को, उस दुर्व्यहार को सीढ़ी बनाकर, उसे प्रेरणा बनाकर, उसे ज़िद बनाकर अपनी ऊँचाई तय कर लेनी चाहिए। अपना लक्ष्य हासिल कर लेना चाहिए। वह भी चित्त को शान्त रखकर, जैसा कि उस बूढ़े बैल ने किया।
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(निधि, गृहिणी हैं। उन्हाेंने व्हाट्स एप के ज़रिए ही अपने विचार के साथ यह कहानी #अपनीडिजिटलडायरी को भेजी है। वे डायरी के नियमित पाठकों में भी शुमार होती हैं।)