भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 23/9/2021

पश्चिम ने मुख्य रूप से दो साधनों से भारतीय साहित्य पर असर छोड़ा। पहला- छापाखाने की व्यवस्था और दूसरा- अंग्रेजी भाषा की शिक्षा से। हालाँकि अंग्रेजों से पहले भारतीय भाषाओं में गाथागीत, लोकगीत, रचनाओं के रूपांतर आदि की साहित्यिक परंपराएँ थीं। ये तमाम रचनाएँ या तो संस्कृत में थीं या अरबी, फारसी में। उस समय ये बौद्धिक वर्ग की भाषाएँ थीं। इसके बाद जब भारतीय लोग पश्चिमी भाषा, विचार आदि के संपर्क में आए तो उन्हें लगा कि देशज भाषाओं में उनके विचारों को व्यक्त करने के लिए उपयुक्त शब्दकोष नहीं है। इससे नव-शिक्षित भारतीयों की स्वाभाविक रुचि अंग्रेजी भाषा, साहित्य की तरफ़ हुई। वे अंग्रेजी को अभिव्यक्ति का ज़रिया बनाने की ओर प्रोत्साहित हुए। शुरुआत यहाँ भी बंगाल से हुई। जैसे, राममोहन रॉय ने अंग्रेजी भाषा में शानदार, सुगठित गद्य लिखे। अलबत्ता, उस दौर में भारतीयों ने अंग्रेजी में जो लिखा, वह अधिकांशत: गद्य रूप ही था। इस लेखन के विषय मुख्यत: सामाजिक और राजनीतिक होते थे। लेकिन यह लेखन ज़्यादातर दिखावटी था क्योंकि शिक्षित भारतीय वर्ग में चंद लोग ही थे जो अंग्रेजी भाषा को धाराप्रवाह तरीके से बरत सकते थे। 

फिर छपाई की शुरुआत हुई। इसने ख़ास तौर पर कविता को मौखिक परंपरा से मुक्ति दिलाई। इससे नए प्रयोगों को प्रोत्साहन मिला। इसके नतीज़े में 1830 के बाद के दशकों में पद्य के स्वरूप में पर्याप्त नवाचार और रूपांतरण हुए। मसलन, माइकल मधुसूदन दत्त ने मिल्टन से अतुकांत और छोटे-छोटे (आठ या छह पँक्तियों के) छंदों में बँटी कविता को आत्मसात् किया। फिर उनके अनुयायियों की कथात्मक काव्य रचनाओं में बायरन और स्कॉट का भी प्रभाव विशेष रूप से दिखा। 

उस वक़्त बंगाल के श्रीरामपुर में बैप्टिस्ट चर्च विलियम कैरी (1761-1834) के नेतृत्व में काम कर रहा था। उनकी अगुवाई में व्याकरण और अनुवाद पर काफ़ी काम हुआ। बहुत सा काम तो कैरी ने ख़ुद किया। ख़ासकर संस्कृत शास्त्रों के अनुवाद का। मग़र उस समय का ज़्यादातर अनुवाद कामचलाऊ से अधिक नहीं था। कुछ ही ऐसा था, जिसे रचनाकर्म कहा जाए। प्राथमिक रूप से यह अनुवाद विद्यालयों में उपयोग के लिए हो रहा था। पूरी तरह से ईसाई मिशनरियों के उद्देश्यपूर्ति के लिए। इसीलिए ईसाई धर्म से जुड़े कार्यों, आवश्यकताओं, नैतिक शिक्षाओं आदि तक सीमित था। 

भारत में पहला अख़बार भी ‘बंगाल गजट’ कलकत्ता में 1760 में प्रकाशित हुआ। इसे जेम्स हिकी ने निकाला था। हालाँकि दो साल बाद ही वॉरेन हेस्टिंग्स ने इसका प्रकाशन रुकवा दिया। कारण कि अख़बारों और संपादकों की तरफ सरकार का रवैया प्रमुखत: तिरस्कारपूर्ण ही था। उसका मानना था कि अख़बारों को सरकार के नियंत्रण में होना चाहिए। उस समय अंग्रेजी भाषा के अख़बार मूल रूप से अंग्रेज पाठकों से ही प्रयोजन रखते थे। उनमें वे गुण-दोष भी थे जो ब्रिटेन की समकालीन पत्रकारिता में पाए जाते थे। वे वास्तव में ब्रिटिश अख़बारों के संकलन या उनके पुन:प्रकाशन जैसे थे। उस दौर में अंग्रेजी भाषा की कई पत्रिकाएँ भी ब्रिटेन में छप रहीं समकालीन पत्रिकाओं जैसी ही थीं। 

इसके बाद, सरकार ने 1823 में दो कानून पारित किए। इनके जरिए बड़ी शांति से प्रेस पर पाबंदियाँ लगा दीं। ख़ास तौर पर अंग्रेजी भाषा और अंग्रेजों के मालिकाने वाले समाचार पत्र-पत्रिकाओं पर। उस समय भारतीय भाषाओं के एक-दो समाचार पत्र ही थे। फिर भी उस समय की परिस्थितियों के मद्देनज़र विरोध हुआ और राममोहन रॉय ने इसकी शुरुआत की। उनका साथ द्वारकानाथ टैगोर सहित पाँच अन्य गणमान्य बंगालियों ने दिया। इन्होंने भारत में पहली बार प्रेस की स्वतंत्रता की माँग की। हालाँकि यह माँग कलकत्ता के सर्वोच्च न्यायालय ने ख़ारिज़ कर दी। इसके ख़िलाफ़ लंदन की प्रीवी काउंसिल (ब्रिटेन के राजा की सलाहकार परिषद) में अपील की गई लेकिन वहाँ भी सुनवाई नहीं हुई। 

उस समय स्वदेशी भाषा का पहला अख़बार श्रीरामपुर, बंगाल के मिशनरी जोशुआ मार्शमैन ने निकाला। पहले वह मासिक समाचार पत्र था, पर जल्द ही इतना लोकप्रिय हो गया कि साप्ताहिक करना पड़ा। इस अख़बार का नाम ‘समाचार दर्पण’ था। मार्शमैन इसके संपादक थे। अख़बार का पहला अंक 23 मई 1818 को प्रकाशित हुआ। इसमें भारतीय और विदेशी दोनों ख़बरें होती थीं। फिर 1829 से इसमें बंगाली और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में एक साथ समाचार छपने लगे। हालाँकि काफ़ी समय तक विभिन्न झंझावातों का सामना करने के बाद आख़िर 1852 में यह बंद हो गया। 

उस समय राजा राममोहन राय को भी समाज सुधार के अपने अभियान के लिहाज़ से अख़बार निकालना मुफ़ीद लगा। उससे उनके विचार जन-जन तक पहुँच सकते थे। लिहाज़ा उन्होंने दिसंबर 1821 में ‘संबाद कौमुदी’ नामक अख़बार शुरू किया। इसमें उनके विचारों को इतने जोरदार तरीके से रखा गया कि अख़बार में काम करने वाले एक पत्रकार ने तो इस्तीफ़ा ही दे दिया। वह राममोहन रॉय द्वारा सती प्रथा के उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे आंदोलन के ख़िलाफ़ हो गया। उसने प्रतिरोधी अख़बार शुरू कर दिया। इसी समय राममोहन रॉय के विचारों के विरुद्ध ‘समाचार चंद्रिका’ नामक अख़बार भी लोकप्रिय हो रहा था। इस प्रतिरोध को ‘संबाद कौमुदी’ झेल नहीं पाया। इससे उसे 1822 में बंद करना पड़ा। हालाँकि अगले ही साल इसका प्रकाशन फिर शुरू हुआ। राममोहन रॉय ने फारसी भाषा में भी ‘मिरुत-उल-अख़बार’ निकाला, 1822 में। लेकिन प्रेस पर पाबंदी वाले कानूनों के विरोध में 1823 में इसे बंद कर दिया।

बम्बई में पहला साप्ताहिक अख़बार ‘मुंबइना समाचार’ गुजराती भाषा में 1822 में निकाला गया। वहीं, हिंदी भाषा का पहला समाचार पत्र ‘बनारस अख़बार’ 1845 में शुरू हुआ। उधर, दक्षिण में ईसाई मिशनरी ने 1831 में तमिल भाषा में पहली मासिक समाचार पत्रिका निकालनी शुरू की। वैसे, दक्षिण भारत में 1858 तक निकलने वाले समाचार पत्र-पत्रिकाओं में से अधिकांश ईसाई मिशनरियों ने ही शुरू किए थे। ये उन्हीं के उद्देश्यों की पूर्ति करते थे। इस तरह, भारतीय समाचार पत्र-पत्रिकाएँ पश्चिमी शिक्षा और विचारों पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा रहे थे। साथ ही, हिंदुस्तानी भाषाओं के इस्तेमाल पर भी ठोस प्रभाव छोड़ रहे थे। ये पत्र-पत्रिकाएँ सरल-सहज वाक्यों के सटीक प्रयोग कर रहे थे। अति-अलंकृत साहित्यिक भाषा की जगह साधारण बोलचाल की भाषा को भी लोकप्रिय बना रहे थे।

(जारी…..)

अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ : 
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

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