ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 2/10/2021

स्टीफन का दृष्टिकोण व्यावहारिक था। सिद्धांतों की उन्होंने ज़्यादा परवाह नहीं की। उन्होंने कानून के सामान्य ढाँचे को आकार दिया। जहाँ विशिष्ट किस्म की ख़ामियाँ देखीं, वहाँ उनके समाधान भी सुझाए। अपने पूर्ववर्तियों की तरह वे भी ग्रामीण समुदाय के मौज़ूदा ढाँचे की ‘जड़ता’ को तोड़ना चाहते थे। उन्होंने लिखा था, “यह तथ्य है कि ग्रामीण समुदाय के संस्थानों में, वे चाहे कहीं के भी हों, सदियों से बहुत मामूली बदलाव ही आया है। इससे साबित होता है कि भारतीय समुदाय भी सदियों से ठहरी हुई अवस्था में है। यह स्थिति संपदा, बौद्धिकता, राजनीतिक अनुभव और नैतिक तथा बौद्धिक परिवर्तनों के अनुकूल नहीं है। जबकि यह अनुकूलता बदलाव की प्रक्रिया के लिए आवश्यक है।” इस तरह, वे ग्रामीण समुदायिक व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव और ज़मीनें ज़मींदारों को सौंपने जैसे उपाय जरूरी मानते थे। इस तरह के उपायों को विकास के लिए होने वाली तकलीफों का हिस्सा मानते थे। 

एक अन्य विशेषज्ञ जॉन स्ट्रेची के विचार भी अहम थे। वे 1868 में वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य बने थे। उन्हें 1876 में वित्त विशेषज्ञ सदस्य के तौर पर जिम्मेदारी दी गई थी। वे भी मानते थे कि शिक्षित भारतीयों को सरकारी नौकरियाँ दी जानी चाहिए। उनसे विधायी मसलों पर विचार-विमर्श भी किया जाना चाहिए। इससे आर्थिक लाभ होंगे लेकिन वे इस पर भी आश्वस्त थे कि अगर स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर कार्यकारी अधिकार दिए गए तो यह ब्रिटिश साम्राज्य के अंत की शुरुआत होगी। उन्होंने कहा भी था, “हमारी आशंका के पीछे भारतीयों पर अविश्वास या उनका अपमान करने का भाव नहीं है। बल्कि साधारण सा कारण है कि आख़िर हम हैं तो विदेशी ही। इसके अलावा यहाँ हमारे साम्राज्य का बने रहना सिर्फ़ हमारे ही नहीं भारतीयों के हित में भी है। इसीलिए भारत के प्रति हमारा ये कर्त्तव्य है कि हम यहाँ अपना साम्राज्य बरकरार रखें। हाँ, हम स्थानीय लोगों को सरकार में बड़ी हिस्सेदारी देने के लिए तैयार हैं।… मगर इस पर दोराय नहीं होनी चाहिए कि ऐसे तमाम राजनीतिक व सैन्य पद हमारे पास रहें, जिन पर देश की निर्भरता है। ये बहुत ज्यादा नहीं हैं। इनमें राज्यों के राज्यपाल हैं। सेना के प्रमुख अधिकारी हैं। जिलों के न्यायाधीश, उनके मुख्य-मुख्य अधीनस्थ अधिकारी/कर्मचारी आदि। इस तरह के और भी तमाम पदों पर, हर परिस्थिति में सिर्फ अंग्रेजों की नियुक्ति की जानी चाहिए।” 

उस दौरान 1876 से 1880 तक लॉर्ड लिटन वायसराय थे। उनका मानना कुछ अलग था। वे मानते थे कि ऐसे हालात में प्रशासनिक कार्यों के लिए भारतीय समुदाय का समर्थन न लेने का सिद्धांत मूर्खता के सिवाय कुछ नहीं है। मई 1877 में उन्होंने लिखा था, “भारत को पूरी तरह हासिल करने और उसका पूरा लाभ लेने के लिए भारतीय अभिजात्य वर्ग ज़रूरी है। ऐसा मुझे लगता है। मैं पूरी तरह आश्वस्त हूँ कि यह हमारे विचार का अहम विषय होना चाहिए।” तब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री (बेंजमिन) डिज़रायली थे। लिटन ने उन्हें भी पत्र भेजा। इसमें लिख, “अपने प्रशासन को मज़बूती देने के हमारे अभियान में भारत के उस वर्ग का सहयोग बहुत मायने रखता है, जो सामाजिक रूप से मज़बूत है। जिसके संपर्कों का दायरा व्यापक है और जो अपनी इस स्थिति की वज़ह से ही स्थानीय आबादी में गहरा असर रखता है।” 

उधर, ब्रिटेन की मुख्य विपक्षी लिबरल (उदारवादी) पार्टी भी 1876 से 1880 के बीच तत्कालीन सरकार की भारत संबंधी नीतियों का तीखा विरोध कर रही थी। वह उस कानून को भी चुनौती दे रही थी, जिसके तहत महारानी विक्टोरिया को भारत का संवैधानिक प्रमुख घोषित किया गया था। सरकार ने इसी कानून के जरिए भारतीय भाषाओं के अख़बारों पर 1878 में तमाम प्रतिबंध लगाए थे। इसका भी विपक्षी तीखा विरोध कर रहे थे। लिबरल पार्टी के नेता विलियम एवर्ट ग्लैडस्टोन ने 1877 में एक लेख में लिखा, “नैतिक रूप से जरूरी तो यह था कि भारतीयों की भलाई को ध्यान में रखते हुए भारत पर शासन किया जाता। हमने जिस भारतीय मध्यवर्ग को आकार दिया, उसे भी ऐसे ही शासन की अपेक्षा थी। हम पर यह अपेक्षा पूरी करने का दायित्व था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।” 

इस बीच, 1880 में लिबरल पार्टी ने ब्रिटेन में चुनावी जीत हासि कर सरकार भी बना ली। ग्लैडस्टोन प्रधानमंत्री बने। उस समय लॉर्ड रिपन को भारत का वायसराय बनाया गया। वे 1880 से 1884 तक इस पद पर रहे। भारत के कुछ वर्गों द्वारा विरोध के बावजूद उनके कार्यकाल में कई सुधार किए गए। अख़बारों पर पाबंदी लगाने वाला कानून निष्प्रभावी किया गया। स्थानीय स्व-शासन की इकाईयों को भी अपने हिसाब से काम करने की आज़ादी दी गई। हालाँकि रिपन ने नगरीय निकायों को असल अधिकार देने की पहल की तो इसका विरोध भी हुआ। विरोध करने वालों में अंग्रेज अधिकारी तो थे ही, बड़ी संख्या में ब्रिटिश समुदाय के ग़ैर-अधिकारी सदस्य भी थे। वे लोग जो “भारत और उसके निवासियों को सिर्फ़ अपने मुनाफ़े का स्रोत मानते थे। जिन्होंने अपने हितों से ऊपर कभी कुछ देखा नहीं। जो ख़ुद को विजेता और भारतीयों को अपने अधीन शासित नस्ल की तरह ही देखते थे।” ब्रिटेन में भी रिपन की पहल का विरोध हो रहा था। फिट्ज़जेम्स स्टीफन ने तो एक मार्च 1883 को ‘द टाइम्स’ को लिखे पत्र रिपन की नीति की खुलकर आलोचना की थी। इसमें उन्होंने लिखा था, “रिपन और ब्रिटेन की सरकार उस नींव को ही हिलाने का इरादा रखते हैं, जिस पर भारत की ब्रिटिश सरकार टिकी हुई है”। वास्तव में ग्लैडस्टोन की नीतियाँ, सिर्फ़ भारत में ही नहीं, ब्रिटेन में भी उदारवादियों के बीच दो-फाड़ की स्थिति पैदा कर रही थीं। इसमें एक तरफ इन नीतियों का समर्थक वर्ग था। दूसरी तरफ़ विरोधी। ग्लैडस्टोन के इरादे से भी ऐसा लग रहा था, जैसे वह ब्रिटिश साम्राज्य को छिन्न-भिन्न करने की मंशा रखते हैं।
(जारी…..)

अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ : 
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

 

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