वायसराय जॉन लॉरेंस को ‘हमारा सबसे बड़ा शत्रु’ किस अंग्रेज ने कहा था?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 21/10/2021

भारत के लोगों के स्वास्थ्य के प्रति सरकार का रुख़ ब्रिटेन से प्रेरित था। दरअसल अंग्रेज फौजियों की मृत्यु दर तब बहुत ज़्यादा थी। इसके मद्देनज़र फ्लोरेंस नाइटिंगेल (ब्रिटेन की समाज सुधारक और आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक) ने ब्रिटिश सरकार को मज़बूर किया कि वह सैन्य ठिकानों में साफ-सफाई की जाँच कराए। इसी क्रम में भारत में भी जाँच का फैसला किया गया। लिहाज़ा मई 1859 में ब्रिटेन सरकार ने एक आयोग बनाया। लेकिन इस आयोग ने लंदन में बैठे-बैठे ही सतही रायशुमारी के आधार पर रिपोर्ट दी। ब्रिटेन सरकार ने नाइटिंगेल से इस पर विशेषज्ञ राय माँगी। उन्होंने राय दी भी लेकिन सरकार ने रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की। तब नाइटिंगेल ने अख़बारों के ज़रिए अपनी राय सार्वजनिक कर दी। इसमें उन्होंने भारत के संबंध में लिखा, “सरकार के इंतज़ाम स्वच्छता के मोर्चे पर आधे-अधूरे ही हैं। जल-आपूर्ति और नालियों की व्यवस्था आपस में कभी अलग नहीं की जा सकती। लेकिन बंबई में अगर पानी की आपूर्ति बेहतर है तो नालियों का बंदोबस्त नहीं है। कलकत्ता में नालियों का इंतज़ाम अच्छा है, तो पानी की आपूर्ति ठीक नहीं है। मद्रास में तो दोनों व्यवस्थाएँ नहीं हैं।”

नाइटिंगेल की राय से भारत के तत्कालीन वायसराय जॉन लॉरेंस बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने बंगाल में स्वच्छता आयोग बना दिया। इस आयोग ने सिफारिश की कि कलकत्ता से गुजरने वाली हुगली नदी में शवों को बहाने पर रोक लगाई जाए। मगर स्थानीय आबादी इस रोक के पक्ष में नहीं है। लिहाज़ा लॉरेंस ने स्वच्छता आयोग की ये ही नहीं, सभी सिफारिशें ठंडे बस्ते में डाल दीं। स्वच्छता प्रशासन को भी जेल महानिरीक्षक के अधीन कर दिया। तब 1866 में स्वच्छता आयोग के सदस्य जॉन सदरलैंड ने लॉरेंस को ‘हमारा सबसे बड़ा शत्रु’ कहकर संबोधित किया था। इसके बाद 1919 में लोकस्वास्थ्य को स्थानांतरित विषयों में शामिल कर दिया गया। यानि वे विषय जो प्रांतीय सरकारों को सौंपे गए। फिर 1937 में केंद्रीय स्वास्थ्य सलाकार मंडल बनाया गया। लेकिन फिर भी सरकारी स्तर पर स्थिति ये थी कि 1947 तक आधे से अधिक नगरीय निकायों और तीन-चौथाई जिलों में चिकित्सा अधिकारी तक नहीं थे। जबकि 30,000 से अधिक आबादी वाले एक-तिहाई कस्बों में जल-आपूर्ति ठीक नहीं थी। करीब 4,000 अस्पताल और दवाख़ाने ग्रामीण इलाकों में स्थापित किए गए थे। लेकिन इनमें हरेक केंद्र पर 62,000 से अधिक लोगों के स्वास्थ्य का जिम्मा था। 

वैसे, स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी वित्तीय समस्याएँ थीं ही। इससे भारत के लोगों को पश्चिम के चिकित्सा विज्ञान का लाभ नहीं मिल पा रहा था। परंपरागत पद्धतियों, झाड़-फूँक आदि से बीमारियों को ठीक किया जाता था। पश्चिमी चिकित्सा विज्ञान के प्रति महात्मा गाँधी का रुख़ भी सकारात्मक नहीं था। उन्होंने एक बार अख़बार ‘हिंद स्वराज’ में लिखा था, “यूरोपीय चिकित्सक हमारी धार्मिक आस्थाओं पर चोट करते हैं। उनकी दवाओं में या तो जानवरों की चरबी होती है या शराब। ये चीजें हिंदु, मुसलमान दोनों के लिए वर्जित हैं। चिकित्सकीय इलाज भोग-विलास, स्व-आसक्ति को प्रश्रय देता है ताकि लोग आत्म-नियंत्रण से दूर हो जाएँ। अस्पताल पापकर्म के प्रचार-प्रसार के संस्थान हैं… यूरोपीय औषधि-विज्ञान का अध्ययन करने का मतलब है, हम अपनी दासता को और गहरा करते जाएँगे।”

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शिक्षा के मामले में ज़रूर कुछ उल्लेखनीय था। सर चार्ल्स वुड 1854 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के ‘नियंत्रण मंडल’ के अध्यक्ष थे। उन्होंने भारत की भावी शिक्षा-नीति के बारे में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डलहौजी को एक पत्र लिखा था। उसे ‘वुड घोषणा पत्र’ कहा जाता है। उसमें कहा गया था कि जो लोग ‘अपनी शिक्षा का ख़र्च ख़ुद नहीं उठा सकते, उन्हें शिक्षित करने की ज़िम्मेदारी सरकार की है।’ वुड्स ने जो बदलाव सुझाए, वे पूरी परंपरागत व्यवस्था के लिए चुनौती थे। उनकी तरह और भी लोग थे, जो 1857 की बग़ावत के बावजूद मानते थे कि सरकार को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। हालाँकि उनकी संख्या कम थी।

उस समय तक कोलकाता, मद्रास, बंबई में विश्वविद्यालय स्थापित हो चुके थे। ये सिर्फ़ परीक्षा आयोजित करते थे। कलकत्ता विश्वविद्यालय से 11 महाविद्यालय 1859 तक संबंद्ध थे। जबकि बंबई से दो और मद्रास से एक ही। जबकि सरकारी महाविद्यालय करीब 13 थे। इनमें 1,909 विद्यार्थी थे। वहीं सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालय चार थे। इनमें 878 विद्यार्थी थे। इनके अलावा 74 उच्चतर सरकारी विद्यालय थे। इनमें 10,989 विद्यार्थी थे। इस स्तर के या इससे नीचे वाले सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों की संख्या 209 थी। इनमें 16,956 विद्यार्थी थे। सामान्य विद्यालयों की संख्या 25 थी। इनमें 2,241 विद्यार्थियों का दाख़िला था। विशेष विषयों के लिए 16 महाविद्यालय थे। उनमें 1,154 विद्यार्थी थे। जबकि 1860-61 तक करीब 193 मिशनरी विद्यालयों में 23,963 विद्यार्थी थे।

इस तरह भारत में अंग्रेजी शिक्षा की प्रगति के मामले में स्थिति संतोषजनक थी। लेकिन स्थानीय भाषा की शिक्षा उपेक्षित थी। इसका एक कारण ये था “अधिकांश भद्रजन इंग्लैंड से लौटे थे। वे मातृभाषा से सरोकार खो चुके थे। उन्हें उसे समझने और उसकी देशज सुंदरता की प्रशंसा करने में दिक्कत होने लगी थी। इसका नतीज़ा ये हुआ कि उन्होंने विद्यालयों में अपनी मातृभाषा को अनदेखा करना शुरू कर दिया।” बंगाल में तो स्थानीय भाषा के विद्यालयों के प्रति सरकार का रवैया ऐसा था, जैसे वे हों ही नहीं। 

शायद इसीलिए वायसराय लॉर्ड मेयो (1869 से 1872) ने सर डब्ल्यू डब्ल्यू हंटर को इस बारे में लिखे एक पत्र में कहा था, “मुझे शिक्षा नीति के तौर-तरीके पसंद नहीं हैं। कुछ सैकड़ा बाबू जैसे लोगों को सरकारी ख़र्च पर हम अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दे रहे हैं। इनमें बहुत से ऐसे हैं जो अपना ख़र्च ख़ुद उठा सकते हैं। उनमें शिक्षा हासिल करने का मक़सद भी लगभग सबका यही है कि सरकारी नौकरी मिल जाए।… अब तक हमने लाखों आम लोगों को शिक्षित करने के लिए कुछ नहीं किया है। जिन बाबुओं को हमने शिक्षित किया, वे भी इस मामले में निश्चित रूप से कभी कुछ नहीं करेंगे।… इसीलिए मेरा मानना है कि बाबुओं को अपने तरीके से वह पूरा ज्ञान हासिल करने देना चाहिए जो वे करना चाहते हैं। लेकिन इसके साथ हमें ग्राम्य आबादी को शिक्षित करने के भी प्रयास करने चाहिए।” 
(जारी…..)
अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ : 
59. कारखानों में काम करने की न्यूनतम उम्र अंग्रेजों ने पहली बार कितनी तय की थी?
58. प्लास्टिक उत्पादों से भारतीयों का परिचय बड़े पैमाने पर कब हुआ?
57. भारत में औद्योगिक विस्तार का अगुवा किस भारतीय को माना जाता है?
56. क्या हम जानते हैं, भारत में सहकारिता का प्रयोग कब से शुरू हुआ?
55. भारत में कृषि विभाग की स्थापना कब हुई?
54. अंग्रेजों ने पहली बार लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र कितनी तय की थी?
53. ब्रिटिश भारत में कानून संहिता बनाने की प्रक्रिया पहली बार कब पूरी हुई?
52. आज़ादी के बाद पाकिस्तान की पहली राजधानी कौन सी थी?
51. आजादी के आंदोलन में 1857 की क्रांति से ज्यादा निर्णायक घटना कौन सी थी?
50. चुनाव में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देने के पीछे अंग्रेजों का छिपा मक़सद क्या था?
49. भारत में सांकेतिक चुनाव प्रणाली की शुरुआत कब से हुई?
48. भारत ब्रिटिश हुक़ूमत की महराब में कीमती रत्न जैसा है, ये कौन मानता था?
47. ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

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