आज़ादी के बाद पाकिस्तान की पहली राजधानी कौन सी थी?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 10/10/2021

भारत सरकार अधिनियम-1919 में प्रावधान था कि हर 10 साल में इसकी समीक्षा होगी। इसी के मुताबिक 1927 में एक आयोग बना, जो नवंबर में भारत पहुँचा। ब्रिटिश सरकार ने इसे सोच-समझकर दो साल पहले गठित किया। कारण कि ब्रिटेन में 1929 में चुनाव होने थे। उसमें लेबर पार्टी के जीतने की संभावना थी। लेबर पार्टी भारत को ‘स्वराज का अधिकार’ देने की पक्षधर थी। लिहाज़ा तत्कालीन रूढ़िवादी सरकार के गृह मंत्री ने लॉर्ड बिरकेनहैड ने आयोग के ज़रिए संदेश देने की कि वे भी भारत के पक्ष में सोच रहे हैं। जबकि इन्हीं बिरकेनहैड ने ब्रिटिश संसद में 1919 के सुधारों का विरोध किया था। बहरहाल, नए आयोग के गठन का समर्थन लेबर पार्टी ने भी किया। उसके प्रतिनिधि भी आयोग के सदस्य बनाए गए। अध्यक्ष सर जॉन साइमन बनाए गए, जो वकील थे। 

हालाँकि साइमन आयोग की रिपोर्ट 1930 तक प्रकाशित नहीं की गई। इसी बीच 1929 में ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार बन गई। रैमसे मैकडोनाल्ड ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बने। उन्होंने साइमन आयोग के निष्कर्षों से अपनी सरकार को अलग कर लिया। प्रधानमंत्री पद संभालने के कुछ पहले ही उन्होंने घोषणा की थी, “मैं उम्मीद करता हूँ कि राष्ट्रमंडल देशों के हमारे समूह में कुछ महीनों में ही एक नया अधिराज्य (ऐसा देश, जिसे आधी आज़ादी मिली हो) शामिल हो जाएगा। उसे राष्ट्रमंडल के अन्य देशों की तरह ही आत्म-सम्मान और स्व-शासन का अधिकार होगा। मैं भारत की ही बात कर रहा हूँ।” इस तरह भारत में स्वराज की स्थापना के लिए सभी चीजें अनुकूल थीं। अक्टूबर-1929 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने भी संकेत दिया था कि भारत को अर्ध-स्वराज देने का लक्ष्य तय कर लिया गया है। हालाँकि इन आश्वासनों में अब भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की कोई रुचि नहीं थी। 

फिर भी नवंबर-1930 में लंदन में गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया। लेकिन इसमें पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किसी सदस्य ने हिस्सा नहीं लिया। भारत से प्रतिनिधिमंडल गया, जिसमें राजे-रजवाड़ों से लेकर विभिन्न समूहों-संगठनों के सदस्य थे। लेकिन चूँकि इसमें अहम राजनीतिक प्रतिनिधि नहीं थे, इसलिए सम्मेलन से अधिक कुछ निकला नहीं। इस बीच लॉर्ड इरविन ने महात्मा गाँधी को सम्मेलन में भाग लेने के लिए मना लिया। उन्हें मई-1930 में गिरफ़्तार किया गया था, लेकिन समझौते के तहत उन्हें पहले रिहा किया गया। सरकार ने दमनकारी कानूनों को भी वापस लिया। बदले में गाँधी जी ने आंदोलन रोक दिया। वे सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए लंदन जाने को राजी हो गए। हालाँकि जब वे लंदन पहुँचे तो वहाँ सरकार बदल गई। वहाँ अब ‘राष्ट्रीय सरकार’ थी, जिसके प्रधानमंत्री तो रैमसे मैकडोनाल्ड ही थे, लेकिन बहुमत रूढ़िवादियों का था। गाँधी जी ने इस सम्मेलन में अपनी ओर से कोई रचनात्मक सुझाव या समाधान नहीं दिया। बजाय उन्होंने अल्पसंख्यकों को चुनाव में आरक्षण देने का विरोध किया। इससे दोनों पक्षों किसी सहमत नतीजे पर नहीं पहुँच पाए। 

इन परिस्थितियों में ब्रिटेन सरकार ने अपने हिसाब से जो निष्कर्ष निकाले, उनसे 1935 के भारत सरकार अधिनियम की रूपरेखा बनी। इस अधिनियम में उस वक्त तक संवैधानिक विकास के सभी चरणों को समाहित किया गया। दो नए सिद्धांत और जोड़े गए। एक- संघीय ढाँचा बनाया जाना चाहिए। दूसरा- प्रांतों में जनता की चुनी हुई और उसी के लिए उत्तरादायी सरकारें होनी चाहिए। इस अधिनियम के तहत नए प्रांत गठित किए जाने थे। भारत में केंद्र के स्तर पर ‘द्विशासन का सिद्धांत’ कायम रहने वाला था। इसमें ‘आरक्षित विषयों’ के साथ अंतिम निर्णय का अधिकार ब्रिटिश संसद के पास ही रहना था। जबकि प्रांतों में ‘द्विशासन का सिद्धांत’ ख़त्म कर दिया गया था। वहाँ निर्वाचित सरकारों के गठन का रास्ता साफ किया गया था। उसकी शक्तियाँ भी बढ़ाई जाने वाली थीं। 

यह अधिनियम दो साल बाद लागू हुआ। हालाँकि सरकार के अधिकारों या स्वरूप में इससे कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। नतीज़े में स्वतंत्रता आंदोलन भी जारी रहा जिसने अब भारतीय जन-जीवन के हर स्तर पर असर बना लिया था। फिर भी 1935 का अधिनियम भारतीय स्वाधीनता के अंतिम लक्ष्य की तरफ़ बड़ा कदम तो था ही। इसने स्वतंत्र भारत के संसदीय संस्थानों तथा नए संविधान की नींव तैयार कर दी थी। सरकार की लोकतांत्रिक अवधारणा को भारत में साकार करने का रास्ता तैयार कर दिया था। यह भारत की बहुसंख्य आबादी को ये गारंटी देने वाला भी साबित हुआ कि उनकी संस्कृति, परंपराएँ आदि अब उनके अपने हाथों में सुरक्षित रहने वाली हैं। हालाँकि इससे अल्पसंख्यक मुसलिम आबादी में यह डर बैठ गया कि उनका सांस्कृतिक, धार्मिक अस्तित्व ख़तरे में पड़ने वाला है। इस डर का कोई इलाज नहीं था। आगे चलकर इसी के नजीज़े में भारत का विभाजन हुआ। 

इस बीच 1939 में फिर विश्वयुद्ध छिड़ गया। इस दौरान फिर साबित हुआ कि भारत में सत्ता, शक्ति का असली केंद्र दिल्ली में (अंग्रेजों के पास) ही है। तत्कालीन वायसराय ने बिना सलाह-मशविरे के घोषणा कर दी कि ब्रिटेन की ओर से भारत भी विश्वयुद्ध में शामिल होगा। ब्रिटेन ने भारतीयों को तुरंत पूरी आज़ादी देने की माँग भी ख़ारिज कर दी थी। लिहाज़ा, विरोध में 15 नवंबर 1939 को कांग्रेस की सभी प्रांतीय सरकारों ने इस्तीफ़ा दे दिया और स्वतंत्रता आंदोलन अधिक तेज हो गया। उधर, विश्वयुद्ध में फ्रांस ने घुटने टेक दिए। ब्रिटेन अकेला पड़ गया। इधर, भारत पर जापानी आक्रमण का ख़तरा बढ़ गया। ऐसे में ब्रिटेन ने कुछ झुकने के संकेत दिए। लेकिन जब जापान की सेना पीछे हटी तो भारत सरकार का रुख़ फिर बदल गया। उसने भारतीय नेताओं को जेल में डालने का रास्ता चुना। 

हालाँकि, विश्वयुद्ध ख़त्म होने तक दो चीजें स्पष्ट गईं। एक- ब्रिटेन की लेबर पार्टी की तत्कालीन सरकार का भारत को ताकत के बल पर अधीन रखने का अब कोई इरादा नहीं है। दूसरी- ब्रिटेन के लिए भारत को अधिक दिनों तक अधीन रखना अब संभव भी नहीं है। लिहाज़ा ऐसे प्रयास शुरू किए गए, जिनसे भारत विभाजन टल सके। हालाँकि ये प्रयास सफल नहीं हुए। भारत का बँटवारा करना पड़ा और 15 अगस्त 1947 को दो देश अस्तित्व में आए, हिंदुस्तान और पाकिस्तान। इसमें हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली थी, जबकि पाकिस्तान की उस वक्त कराची।
(जारी…..)
अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
——
(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
——
पिछली कड़ियाँ : 
51. आजादी के आंदोलन में 1857 की क्रांति से ज्यादा निर्णायक घटना कौन सी थी?
50. चुनाव में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देने के पीछे अंग्रेजों का छिपा मक़सद क्या था?
49. भारत में सांकेतिक चुनाव प्रणाली की शुरुआत कब से हुई?
48. भारत ब्रिटिश हुक़ूमत की महराब में कीमती रत्न जैसा है, ये कौन मानता था?
47. ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

सोशल मीडिया पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *