माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 30/10/2021
धार्मिक राष्ट्रवाद के प्रति वैसे, मध्यम वर्ग के उन सदस्यों में आकर्षण कम था जो कांग्रेस सदस्य तो थे ही, 1892 के परिषद-अधिनियम के बाद विधान परिषदों में भी चुने गए थे। इनमें अधिकांश डॉक्टर, वकील, स्कूल-शिक्षक, व्यापारी आदि थे। इन लोगों को सामान्यत: किसानों और उनकी परेशानियों से भी कम ही सहानुभूति थी। यह एक दिलचस्प तथ्य है कि आज़ादी के आंदोलन के दौरान उदारवादी नेताओं का एक बड़ा वर्ग कानूनी पेशे से आया था। ज़ाहिर तौर पर उनके मन में कानून के प्रति सम्मान था। लिहाज़ा वे वैधानिक माध्यमों और प्रक्रिया से ही अंग्रेजों पर आज़ादी के लिए दबाव बनाने के पक्षधर थे। इस बाबत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संदर्भ में एक गोपनीय रिपोर्ट भी उल्लेखनीय है। इसके मुताबिक 1899 तक इस संगठन 13,839 प्रतिनिधि थे। इनमें 40 प्रतिशत यानि लगभग 5,444 कानूनी पेशे से ताल्लुक़ रखते थे। अन्य बड़े समूहों में 2,629 ज़मीन-जायदाद के क्षेत्र से संबंध रखने वाले और 2,091 व्यावसायिक वर्गों से थे। शेष पत्रकार, डॉक्टर, शिक्षक आदि।
कांग्रेस शुरू में ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की तरह ही पट्टेदारों, ज़मींदारों के हित के ख़िलाफ़ किसी भी तरह के कानूनी बदलाव का विरोध किया करती थी। कारण ये था कि उसका अधिकांश वित्तीय समर्थन बड़े ज़मींदारों पर ही निर्भर था। वाणिज्यिक वर्गों का भी वह इसी आधार पर समर्थन करती थी। उनका साथ देती थी। कांग्रेस में इस वर्ग से ताल्लुक़ रखने वाले सदस्यों को लगता था कि ब्रिटिश शासन स्वदेशी पूंजीपतियों का समर्थन नहीं करता। इस मामले में वे कुछ सही भी थे। अंग्रेजी-शासन ने निस्संदेह ब्रिटिश व्यापार-उपक्रमों का पक्ष लिया। उन्होंने स्वदेशी उद्योगों को प्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित भी नहीं किया। लेकिन यह मुख्य रूप से भारतीय पूँजी और उद्यमों की कमी के कारण ही था।
वैसे, औद्योगिक सुधारों के प्रति कांग्रेस का रवैया यह भी दर्शा रहा था कि उसके सदस्य श्रमिकों के मित्र नहीं थे। बहरहाल, सरकारी नौकरियों में कार्यरत उच्च शिक्षित वर्ग और व्यावसायिक वर्गों के प्रतिनिधियों का कांग्रेस के मंच पर एक साथ आना आज़ादी की लड़ाई में अहम मोड़ साबित हुआ। इससे बड़ी मात्रा में आवश्यक धनराशि आई। साथ ही हिंसक संघर्ष के बजाय अहिंसक आंदोलन के पक्ष में रास्ता तैयार हुआ।
हालाँकि स्वतंत्रता आंदोलन की क्रमिक प्रक्रिया में 1905 तक की अवधि निराशा से ही अधिक भरी थी। कांग्रेस अपनी मांगों के साथ किसी परिणाम पर पहुँचती नहीं दिख रही थी। धार्मिक राष्ट्रवाद अपना प्रभाव फैला रहा था। लेकिन वह सरकार को चुनौती देने की स्थिति में नहीं था। मुसलमानों को अंग्रेजों के प्रति वफ़ादारी से कुछ हासिल होता नहीं दिख रहा था। इस दौर में कांग्रेस पर उदारवादी नेताओं का ही असर अधिक था, जिनका ब्रिटिश सद्भावना पर विश्वास बना हुआ था। जैसे- दादाभाई नौरोजी (1825-1917), जो पारसी थे। वे 1886, 1893 और 1906 कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। वे कुछ समय इंग्लैंड में रहे। वहाँ उदारवादी (लिबरल) पार्टी के टिकट पर 1892 में ब्रिटिश संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ कॉमंस) के लिए भी चुने गए। ताकि वहाँ रहकर ब्रिटिश सरकार और ब्रिटेन के सांसदों को विश्वास दिला सकें कि भारत में जनप्रतिनिधित्त्व वाले संस्थानों की स्थापना होना चाहिए।
इसी तरह, महादेव गोविंद रानाडे (1842-1901)। वे 30 साल तक न्यायाधीश थे। इस दौरान स्वाभाविक तौर पर राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहे। उन्होंने मुख्यत: सामाजिक और आर्थिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया। उनकी गतिविधियों ने राजनीतिक रूप से सक्रिय अन्य लोगों को प्रेरित किया। ऐसे ही, गोपाल कृष्ण गोखले (1866-1915) भी क्रमिकतावादी सुधार और सहयोग के पक्षधर थे। उन्होंने 1905 में ‘सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी’ बनाई। इस संगठन के बाबत उन्होंने कहा था, “इसके सदस्य भारत की भलाई के लिए स्पष्ट रूप से ब्रिटिश सरकार के स्नेह को स्वीकार करते हैं। इसका लक्ष्य स्वशासन है। इस लक्ष्य को कई वर्षों के सतत् धैर्य और बलिदान से ही प्राप्त किया जा सकता है।”
ये सभी लोग ब्रिटिश शासन के ढाँचे के अंदर रहते हुए शिक्षा के माध्यम से स्वशासन का लक्ष्य हासिल करने में विश्वास करते थे। लेकिन 1905 तक धीरे-धीरे उनका प्रभाव शून्य होता गया क्योंकि वे समय के साथ नहीं चल सके। उनकी माँगों ने न सरकार को प्रभावित किया और न अन्य राष्ट्रवादी निकायों को।
इसी बीच, प्रशासनिक कारणों से 1905 में ही अंग्रेजों ने बंगाल के विशाल प्रांत को दो हिस्सों में विभाजित करने का फैसला किया। इसकी घोषणा होते ही चरमपंथी आंदोलनकारियों को एक बड़ा अवसर हाथ लग गया। यह मामला विभिन्न वर्गों को भावनात्मक रूप से एक कर सकता था। इससे आज़ादी के आंदोलन को गति दी जा सकती थी। लिहाज़ा उन्होंने अपने मक़सद के लिए इस मुद्दे का इसका इस्तेमाल किया। वे काफ़ी हद तक सफल भी रहे क्योंकि नरमपंथी नेता भी, भले पीछे छूट जाने के डर से सही, उनके आंदोलन से जुड़ गए। आंदोलन के दौरान अतिवादी गतिविधि और शांतिपूर्ण आर्थिक बहिष्कार, दोनों का सरकार पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया।
बहिष्कार अगस्त 1904 में शुरू हुआ। इसे व्यापक समर्थन मिला। विशेष रूप से भारतीय मिल-मालिकों का भी। तब घर में बुने कपड़े पहनना स्वतंत्रता-संघर्ष की अभिव्यक्ति का प्रमुख माध्यम बन गया। उधर, अतिवादी गतिविधियों के लिए छात्रों की गुप्त समितियाँ बनीं। बम फेंकने वाले और राजनीतिक हत्या करने वाले इनके सदस्य लोकप्रिय नायक बन गए। उनके अंतिम संस्कार में जन-भावनाओं का सैलाब देखा गया। मुज़फ्फरपुर में 1908 में पहली हत्या के बाद कई राजनीतिक हत्याएँ हुईं। ऐसी गतिविधियाँ भारत तक सीमित नहीं रहीं। लंदन तक इनका असर दिखा। वहाँ इंपीरियल इंस्टीट्यूट में एक पंजाबी (मदनलाल ढींगरा) ने सर कर्जन वायली की हत्या कर दी। इससे ब्रिटेन के नेताओं और वहाँ की जनता को भी भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन की गंभीरता का आभास हुआ।
(जारी…..)
अनुवाद : अभिनव, सम्पादन : नीलेश द्विवेदी
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ :
72. वन्देमातरम् के लेखक बंकिम चंद्र चटर्जी ब्रिटिश सरकार में किस पद पर थे?
71. कांग्रेस की स्थापना को ह्यूम ‘सेफ्टी वॉल्व’ योजना क्यों कहते थे?
70. कांग्रेस की स्थापना में एओ ह्यूम की मदद किसने की थी?
69. ब्रह्म समाज के लोगों को ‘अंग्रेजों का गुप्त प्रतिनिधिˆ क्यों कहा जाता था?
68. महर्षि अरबिन्दो को अपना महाकाव्य ‘सावित्री’ लिखने में कितने साल लगे?
67. कलकत्ता कला विद्यालय के प्राचार्य ईबी हैवेल ने इस क्षेत्र में कौन से अहम बदलाव किए?
66.कौन से मुस्लिम सुधारक ख़ुद को हिन्दुओं का ‘आख़िरी अवतार’ कहते थे?
65. बाल-विवाह के विरोधी किस समाज-सुधारक ने बेटी की शादी 13 की उम्र में की थी?
64. ब्रिटिश सरकार के दौर में महिला शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
63. देश जब आज़ाद हुआ, तब कितने प्रतिशत आबादी अशिक्षित थी?
62. लॉर्ड कर्जन को कुछ भारतीयों ने ‘उच्च शिक्षा के सर्वनाश का लेखक’ क्यों कहा?
61. आईसीएस में पहली बार कितने भारतीयों का चयन हुआ था और कब?
60. वायसराय जॉन लॉरेंस को ‘हमारा सबसे बड़ा शत्रु’ किस अंग्रेज ने कहा था?
59. कारखानों में काम करने की न्यूनतम उम्र अंग्रेजों ने पहली बार कितनी तय की थी?
58. प्लास्टिक उत्पादों से भारतीयों का परिचय बड़े पैमाने पर कब हुआ?
57. भारत में औद्योगिक विस्तार का अगुवा किस भारतीय को माना जाता है?
56. क्या हम जानते हैं, भारत में सहकारिता का प्रयोग कब से शुरू हुआ?
55. भारत में कृषि विभाग की स्थापना कब हुई?
54. अंग्रेजों ने पहली बार लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र कितनी तय की थी?
53. ब्रिटिश भारत में कानून संहिता बनाने की प्रक्रिया पहली बार कब पूरी हुई?
52. आज़ादी के बाद पाकिस्तान की पहली राजधानी कौन सी थी?
51. आजादी के आंदोलन में 1857 की क्रांति से ज्यादा निर्णायक घटना कौन सी थी?
50. चुनाव में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देने के पीछे अंग्रेजों का छिपा मक़सद क्या था?
49. भारत में सांकेतिक चुनाव प्रणाली की शुरुआत कब से हुई?
48. भारत ब्रिटिश हुक़ूमत की महराब में कीमती रत्न जैसा है, ये कौन मानता था?
47. ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया?
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?
अभी क़रीब एक महीने पहले की बात है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक… Read More
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(लेखक विषय की गम्भीरता और अपने ज्ञानाभास की सीमा से अनभिज्ञ नहीं है। वह न… Read More
दुनिया में तो होंगे ही, अलबत्ता हिन्दुस्तान में ज़रूर से हैं...‘जानवरख़ोर’ बुलन्द हैं। ‘जानवरख़ोर’ यानि… Read More
हम अपने नित्य व्यवहार में बहुत व्यक्तियों से मिलते हैं। जिनके प्रति हमारे विचार प्राय:… Read More