भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 29/9/2021

सन् 1857 का विद्रोह ने भारतीय और भारत में रह रहे ब्रिटिश समुदाय के बीच खाई पैदा कर दी थी। हालाँकि कई जगहों पर अंग्रेज अधिकारी और सैनिक भारतीयों से संबंध बनाकर चल रहे थे। लेकिन ये औपचारिक ही थे। भारतीय संस्कृति में दिलचस्पी रखने वाले अंग्रेज अफ़सरों की संख्या तो नगण्य ही थी। सरकारी नौकरी या न्यायिक ढाँचे में भारतीयों को अधिक प्रतिनिधित्व देने की हर कोशिश का अब अंग्रेज विरोध कर रहे थे। भारतीयों में बढ़ती राष्ट्रीयता की भावना और सांप्रदायिक हिंसा ने उनका भय बढ़ा दिया था। 

इस बीच 1883 में एक कानून आया। इसमें प्रावधान था कि यूरोपीय समुदाय के सदस्यों के ख़िलाफ़ दायर मुकदमों की सुनवाई भारतीय जज भी कर सकते हैं। इस कानून का ब्रिटिश समुदाय ने तीखा विरोध किया। इसके विरोध में फरवरी 1883 में यूरोपीय समुदाय के सदस्यों की कलकत्ता में सभा हुई। इसमें एक वकील ने कहा, “कुटिल भारतीयों ने हमारे शासकों के दिमाग में ब्रिटिश समुदाय के ख़िलाफ़ जहर भर दिया है।” इसी तरह ‘प्रगतिशील’ समझे जाने वाले लोगों ने भी इसे ब्रिटिश समुदाय के लिए अपमानजनक बताया। इनमें महिला अधिकारों के लिए काम करने वालीं श्रीमति एनेट बेवरिज़ थीं। उन्होंने कहा, “यह कानून ‘सभ्य (यूरोपीय) महिलाओं’ को उन पुरुषों के न्यायाधिकार में ले आया है, जिन्होंने अपने ही समाज की औरतों के लिए कुछ नहीं किया या बहुत कम किया।” इस विरोध से अंग्रेज सरकार से यह बात मनवाने में सफल हो गए कि उनसे संबंधित मुकदमे उन्हीं के देश के न्यायाधीश सुनेंगे।

उस दौर में अंग्रेज मालिकों के समाचार पत्रों ने भी भारतीय राष्ट्रवादियों को खूब निशाने पर लिया। ऐसा ही एक अख़बार था, ‘इलाहाबाद पायनियर’। उसने पाँच मई 1908 के अंक में सरकार को सुझाव दिया कि राष्ट्रवादियों, क्रांतिकारियों को वैसी ही सजाएँ देनी चाहिए, जैसी 1857 के बाग़ियों को दी गई थीं। अख़बार ने लिखा, “किसी शहर या जिले में पहचाने जा चुके आतंकियों (क्रांतिकारियों) को थोक में ग़िरफ़्तार कर लिया जाना चाहिए। उनके जरिए यह संदेश दिया जाना चाहिए कि वे एक जान लेंगे तो उसके बदले उनमें से 10 को मौत के घाट उतारा जाएगा। ऐसी कार्रवाई से उनकी गतिविधियों पर जल्द लगाम लगेगी।” हालाँकि ब्रिटिश शासन के आख़िरी 20 सालों में भारतीय घटनाक्रमों पर अंग्रेजों का बहुत प्रभाव नहीं रह गया। कारण कि सभी फैसले अब ब्रिटेन की सरकार द्वारा लिए जा रहे थे। 

इसके अलावा जैसा कि पहले लिखा गया, कुछ अंग्रेज अफ़सर 1857 के बाद भी भारतीय समाज, उसके इतिहास, परंपराओं आदि में रुचि ले रहे थे। जैसे, अलेक्जेंडर कनिंघम। उन्होंने 1861 में तत्कालीन वायसराय को लिखा कि सरकार को भारत के पुरावशेषों की तरफ़ ध्यान देना चाहिए। इस पर सरकार ने उन्हें ही 1862 में पुरातत्व विभाग का निदेशक बना दिया। अनुमान था कि वे कुछ समय में भारतीय पुरावशेषों के अभिलेख तैयार कर लेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कनिंघम को ही 1871 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का महानिदेशक बनाया गया। मग़र उनके पास न पर्याप्त कर्मचारी थे, न बजट। इसीलिए पुरातत्व सर्वेक्षण का अधिकांश काम उत्तर भारत तक सीमित रहा। यद्यपि 1874 में थोड़ा विस्तार मद्रास और बम्बई प्रांतों में हुआ। यहाँ डॉक्टर जेम्स बर्गेस को इसका जिम्मा सौंपा गया। 

कनिंघम ने शुरू में बौद्ध पुरावशेषों पर काम किया। उन्होंने 1862 से 1884 तक कई स्थलों का दौरा कर 23 रिपोर्ट तैयार कीं। हालाँकि वे जिन जगहों पर गए, वहाँ बहुत समय नहीं बिता सके। फिर भी उन्होंने बेशकीमती पुरातात्विक प्रमाणों आदि से भारतीय इतिहास की कई महत्त्वपूर्ण चीजें उजागर कीं। वैसे, कनिंघम सहित उस दौर के ज़्यादातर पुरातात्त्विक विशेषज्ञ शौकिया थे। इसीलिए जेम्स बर्गेस ने कनिंघम की रपटों को “बेमेल दौरों की रपट तक बता दिया था….ऐसी जिनका न वैज्ञानिक आधार था, न वे विश्वसनीय थी।” बर्गेस अपना काम कनिंघम की तुलना में ज़्यादा व्यवस्थित तरीके से किया करते थे। 

कनिंघम के बाद 1885 में विभाग की ज़िम्मेदारी बर्गेस ने ही संभाली। उन्होंने काम तो बढ़ाया पर स्टाफ नहीं बढ़ा सके। सरकार ने भी 1881 तक इस बारे में ज़्यादा कुछ सोचा नहीं। लेकिन इसी वर्ष मेजर एचएच कोल प्राचीन स्मारकों के संरक्षक पद पर नियुक्त किए गए। वे इंजीनियर थे। उन्होंने विस्तृत रपट तैयार की। यह ‘भारत के राष्ट्रीय स्मारकों का संरक्षण’ शीर्षक से प्रकाशित हुई। इसमें बताया कि किन-किन भारतीय स्मारकों का रखरखाव-पुनरुद्धार किया जा सकता है। इसी बीच 1889 में जेम्स बर्गेस सेवानिवृत्त हो गए। उनकी जगह नए महानिदेशक की नियुक्ति नहीं हुई। इससे विभाग और उसके काम में ठहराव आ गया। फिर 1898 में लॉर्ड कर्ज़न भारत के वायसराय बने। वे पहले भारत आ चुके थे। उन्होंने प्राचीन स्मारकों की उपेक्षा देखी थी। उनके लिए कुछ करना भी चाहते थे। उन्होंने कलकत्ता में एशियाटिक सोसायटी की बैठक में कहा भी था, “भारत की पुरातात्त्विक धरोहर के संबंध में मेरी सरकार की जिम्मेदारी होगी कि वह उदार नज़रिया रखे। जिससे लोगों में संदेश पहुँचे कि सरकार भारतीय कला के अमूल्य ख़जाने की संरक्षक है। उसके लिए सभी साधन उपलब्ध कराने को आतुर है। अगले कुछ सालों तक मेरी निगरानी में यह सब होने वाला है।”

कर्ज़न ने भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक के तौर पर 1902 में जॉन मार्शल को नियुक्त किया। हालाँकि अब भी विभाग के पास पैसे और स्टाफ की कमी थी। कई कर्मचारी दो-दो पदों की ज़िम्मेदारी संभाल रहे थे। जैसे, ऑरेल स्टीन। वे पुरातत्त्व विभाग के अधीक्षक थे। साथ ही पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत में शिक्षा विभाग के महानिरीक्षक भी। फिर भी धीरे-धीरे स्मारकों के संरक्षण, रखरखाव का काम चलता रहा। मार्शल के निर्देशन, मार्गदर्शन में भारत के कई अहम स्थलों की खोज की गई। इनमें हड़प्पा, मोहनजोदाड़ो प्रमुख हैं। सिंधु घाटी सभ्यता के इन स्थलों की खोज पुरातात्त्विक इतिहास की सर्वकालिक महान उपलब्धि है। कहीं-कहीं कुछ अंग्रेज अधिकारी चित्रकला, वास्तुकला आदि में भी दिलचस्पी दिखा रहे थे। जैसे, जेम्स फर्ग्युसन, जिन्होंने 1875 में ‘हिस्ट्री ऑफ इंडियन एंड ईस्टर्न आर्किटेक्चर’ नामक पुस्तक तक लिख डाली। फिर 20वीं सदी में इस तरह के सभी काम पूरी तरह पश्चिम के पेशेवर जानकारों के एकाधिकार में आ गए, जो ब्रिटिश शासन के अंत तक जारी रहे।

(जारी…..)

अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ : 
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

 

 

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