कौन से मुस्लिम सुधारक ख़ुद को हिन्दुओं का ‘आख़िरी अवतार’ कहते थे?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 25/10/2021

भारतीय समाज-सुधारकों में अगला नाम दयानंद सरस्वती का उल्लेखनीय है। उन्होंने सभी धार्मिक-अवधारणाओं को ख़ारिज़ कर दिया। सुधारों के लिए अतीत में झाँका तो उन्हें समाधान वेदों में मिले। इसके बाद उन्होंने स्थापित किया कि वेदों को छोड़कर कोई धर्मग्रंथ प्रमाण नहीं है। यहाँ तक कि पश्चिमी विज्ञान के बीज भी भारतीय वेदों में हैं। भाप के इंजन, जहाज और रेल प्रणाली का मूल भी उन्होंने किसी न किसी रूप में वेदों में ही पाया। उन्होंने 1875 में अपने विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज ने सभी जातियों को वेद पढ़ने का खुला आमंत्रण दिया। मूर्ति पूजा और पशु बलि का विरोध किया। मग़र आत्मा के पुनर्जन्म के सिद्धांत को स्वीकार भी किया। कहते हैं, उन्होंने एक बार किसी राजा के आचरण पर प्रश्नचिह्न लगा दिया था। उस राजा की महिला सहचरी ने इससे नाराज़ होकर दूध में काँच मिलाकर उन्हें पिला दिया। इससे उनका निधन हो गया। 

स्वामी दयानंद के बाद प्रमुख नाम मोहनदास करमचंद गाँधी (1869-1948) का। वे केशब चंद्र सेन, विवेकानंद, टॉल्सटॉय, थोरू, रस्किन, आदि कई चिंतकों से प्रेरित थे। उन पर ईसाईयत का प्रभाव था, लेकिन उनके मौलिक विचार हिंदु परंपरा से प्रेरित थे। उनका अहिंसा का सिद्धांत जैन संप्रदाय के मूल सिद्धांतों से लिया गया था, जिसका उद्भव हिंदू धर्म से ही हुआ था। हालाँकि गाँधी दावा करते थे कि अहिंसा का सिद्धांत उन्होंने टॉल्सटॉय के विचारों से लिया है। इसी तरह वे मानते थे कि धरना और अनशन के जरिए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश किया जा सकता है। उनका यह विचार भी हिंदू परंपरा से प्रेरित था। इन तौर-तरीकों से उन्होंने अंग्रेजों से अपनी तमाम माँगें मनवाई भी। 

अलबत्ता गाँधी व्यवस्थित चिंतक नहीं थे। उन्होंने जो कहा-किया, वह उनकी तात्कालिक आवश्यकताओं के अनुरूप था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के परिस्थितियों से इतर उनके विचार बाहरी जगत में व्यावहारिक नहीं पाए गए। फिर भी उनके भारतीय और पश्चिमी जगत के प्रशंसक उन्हें महान दार्शनिक और धार्मिक विचारक मानते हैं। सही मायने में देखा जाए तो उन्हें दुनिया भर में मिला सम्मान उनके विचारों के बज़ाय आचरण के कारण अधिक था। उन्होंने अपने आप को देश और समाज के लिए समर्पित कर दिया था। वे कहते थे, “मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।” आत्मकथा में वे लिखते हैं, “सत्य ही ईश्वर है। सत्य के प्रति मेरा समर्पण ही मुझे राजनीति में लेकर आया है। इसीलिए मैं बिना हिचक पूरी नम्रता से अपनी बात कर सकता हूँ।… जो लोग कहते हैं कि धर्म का राजनीति से लेना-देना नहीं, वे धर्म को जानते ही नहीं हैं। धर्म को जाने बिना अहिंसा के सिद्धांत को भी नहीं समझा जा सकता।” इस तरह उन्होंने एक प्रकार से अपनी राजनैतिक गतिविधियों को सही ठहराया था। 

मुसलिम समाज के सुधारकों में सबसे पहला नाम सर सैयद अहमद खान का है। वे भी इसलाम के मूल स्वरूप को नुकसान पहुँचाए बिना पश्चिमी विज्ञान को स्वीकार करने के लिए उत्सुक थे। वे अंधविश्वास के घोर विरोधी थे। अपनी तार्किकता पर अधिक भरोसा करते थे। उन्होंने हालाँकि जब इसलाम को अंधविश्वासों से मुक्त करने की कोशिशें कीं, तो रूढ़िवादियों के तीखी प्रतिक्रियाओं का उन्हें सामना करना पड़ा। लेकिन उनके मूल विचारों को 20वीं सदी के मुसलिम बुद्धिजीवियों ने स्वीकार भी किया।

सर सैयद अहमद ने कई अन्य लोगों प्रेरित किया। जैसे- सैयद अमीर अली (1849-1928), जिनकी पुस्तक ‘द स्पिरिट ऑफ इसलाम’ (1891), पढ़े-लिखे मुसलिमों में काफ़ी असरदार साबित हुई। उन्होंने भी सैयद अहमद की तरह क़ुरान की पुनर्व्याख्या को प्राथमिकता दी। उसी के ज़रिए तर्क के आधार पर बहुविवाह जैसी कुप्रथाओं पर चोट की। इसीलिए कोई अचरज नहीं कि इससे भी रूढ़िवादियों को दिक्क़त हुई। फिर भी धीरे-धीरे सही पर भारत में ‘राजनीतिक इसलाम’ की प्रगति ने आधुनिकतावादी दृष्टिकोण का ही समर्थन किया। 

कवि मुहम्मद इक़बाल (1873-1958) का नाम भी उल्लेखनीय है। उन्होंने इसलाम में वास्तविक लोकतंत्र को देखा। हालाँकि अन्य आधुनिक विचारकों की तरह वे भी मानते थे, “स्वतंत्र रूप से यह परख ज़रूरी है कि यूरोप ने अब तक क्या सोचा है। वह जिन निष्कर्षों पर पहुँचा, वे हमारे भीतर सुधार में कैसे मदद कर सकते हैं।” 

मुसलिम सुधारकों में एक अन्य नाम मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद (1838-1908) का है। वे क़ादियान, पंजाब के रहने वाले थे। उन्होंने विभिन्न धर्मों, ख़ासकर इसलाम और ईसाइयत के विचारों में समन्वय, संबंध स्थापित करने की कोशिश की। पंजाब में हिंदुओं की आर्यसमाजी और ईसाइयों की मिशनरी गतिविधियों के ज़वाब में ‘अहमदिया’ आंदोलन की स्थापना की। उन्होंने 1879 में ख़ुद को ईसाई मसीहा, मुहम्मदन महदी (सर्वनाश से बचाने वाला), और हिंदु धर्म का ‘अंतिम अवतार’ घोषित कर दिया। उन्होंने दावा किया कि यीशु मरकर ज़िंदा नहीं हुए थे। वे न ही स्वर्ग गए थे। बल्कि सलीब पर चढ़ाए जाने से लगे घावों से उबरने के बाद उन्होंने भारत की यात्रा की थी और कश्मीर में उनका निधन हुआ था। हालाँकि मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद की मृत्यु के बाद उनका आंदोलन भी उदार और रूढ़िवादी धड़ों में विभाजित हो गया। लेकिन सामाजिक तौर पर अहमदिया अन्य मुसलिमों से अलग ही रहे।  

इसी तरह सिख समुदाय, जो मुसलिम-धर्मांतरण की प्रतिक्रिया में सोलहवीं शताब्दी के दौरान हिंदु धर्म से निकला। इसीलिए स्वाभाविक तौर पर इस समुदाय ने लगभग सभी हिंदु विचारों को स्वीकृति दी। लेकिन मूर्तिपूजा को स्वीकार नहीं किया। यह समुदाय 19वीं सदी के मध्य में धीरे-धीरे हिंदू धर्म की ओर लौटने लगा था। तभी 1890 में सिख-सुधारकों की एक संस्था उभरी, जिसने सिखों के लिए कई स्थानीय संघों की स्थापना की। इन्हें ‘सिंह सभा’ कहा गया। इनके ज़रिए पुरानी सिख परंपराओं को फिर स्थापित, संरक्षित और समृद्ध करने के प्रयास किए गए। समुदाय के भीतर सुधारों का भी सिलसिला शुरू किया गया।

कुल मिलाकर, भारतीयों ने सरकार और कानून में पश्चिमीकरण पर ही नहीं, ईसाई मिशनरियों के प्रचार-दुष्प्रचार के ख़िलाफ़ भी विशेष रूप से प्रतिक्रिया दी। मिशनरियों की गतिविधियाँ 1858 के बाद काफ़ी बढ़ गईं थीं। सरकार का उन्हें समर्थन था। वे हालाँकि तब अपनी ऊर्जा हिंदु समुदाय के धर्मांतरण पर ही लगा रही थीं। फिर भी उनकी गतिविधियों से अन्य समुदाय भी सचेत हुए। सभी धर्मों में सुधार प्रक्रिया उसका परिणाम थी।

(जारी…..)
अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ : 
65. बाल-विवाह के विरोधी किस समाज-सुधारक ने बेटी की शादी 13 की उम्र में की थी?
64. ब्रिटिश सरकार के दौर में महिला शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
63. देश जब आज़ाद हुआ, तब कितने प्रतिशत आबादी अशिक्षित थी?
62. लॉर्ड कर्जन को कुछ भारतीयों ने ‘उच्च शिक्षा के सर्वनाश का लेखक’ क्यों कहा?
61. आईसीएस में पहली बार कितने भारतीयों का चयन हुआ था और कब?
60. वायसराय जॉन लॉरेंस को ‘हमारा सबसे बड़ा शत्रु’ किस अंग्रेज ने कहा था?
59. कारखानों में काम करने की न्यूनतम उम्र अंग्रेजों ने पहली बार कितनी तय की थी?
58. प्लास्टिक उत्पादों से भारतीयों का परिचय बड़े पैमाने पर कब हुआ?
57. भारत में औद्योगिक विस्तार का अगुवा किस भारतीय को माना जाता है?
56. क्या हम जानते हैं, भारत में सहकारिता का प्रयोग कब से शुरू हुआ?
55. भारत में कृषि विभाग की स्थापना कब हुई?
54. अंग्रेजों ने पहली बार लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र कितनी तय की थी?
53. ब्रिटिश भारत में कानून संहिता बनाने की प्रक्रिया पहली बार कब पूरी हुई?
52. आज़ादी के बाद पाकिस्तान की पहली राजधानी कौन सी थी?
51. आजादी के आंदोलन में 1857 की क्रांति से ज्यादा निर्णायक घटना कौन सी थी?
50. चुनाव में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देने के पीछे अंग्रेजों का छिपा मक़सद क्या था?
49. भारत में सांकेतिक चुनाव प्रणाली की शुरुआत कब से हुई?
48. भारत ब्रिटिश हुक़ूमत की महराब में कीमती रत्न जैसा है, ये कौन मानता था?
47. ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

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