ब्रह्म समाज के लोगों को ‘अंग्रेजों का गुप्त प्रतिनिधिˆ क्यों कहा जाता था?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 30/10/2021

विद्रोह के बाद ब्रिटिश ताज ने जब भारत का शासन अपने हाथ में लिया, तो महारानी विक्टोरिया ने एक घोषणा पत्र जारी किया। इसमें भारतीयों से वादा किया गया कि सार्वजनिक सेवा में उनके साथ भेदभाव नहीं होगा। जबकि वास्तविकता ये थी कि अंग्रेज विशुद्ध रूप से नस्लीय आधार पर भारतीयों से भेदभाव करते रहे। उन्होंने नई परिषदों में जिन भारतीयों को शुरू में मनोनीत किया, वे अधिकांश पुराने शासक वर्ग के प्रतिनिधि थे। वे उन लोगों में नहीं थे, जिनके बारे में मैकॉले का पूर्वानुमान था कि ‘रंग और खून में भारतीय लेकिन पसंद, विचार, नैतिकता और बौद्धिकता में अंग्रेज’ होंगे। बल्कि, ऐसे लोगों को नागरिक सेवाओं में उच्च पदों से वंचित कर दिया जाता था। 

यही नस्लीय और सांस्कृतिक भेदभाव अनिवार्य रूप से धार्मिक पुनरुत्थानवाद का कारण बना। वहीं आर्थिक, राजनीतिक भेदभाव ने उदारवादी और अतिवादी राष्ट्रवाद को जन्म दिया। भारतीय प्रतिक्रिया के ये दो पहलू 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में अलग-अलग थे। लेकिन 20वीं सदी के शुरू में साथ आ गए। इस बीच, तीसरा दृष्टिकोण भी सामने आया, पूर्वी और पश्चिमी नैतिक मूल्यों के मेल-जोल का। शुरुआत राममोहन रॉय जैसे सुधारकों ने की। इस कार्य को ‘ब्रह्म समाज’ के ज़रिए उनकी मृत्यु के बाद देबेंद्रनाथ टैगोर (1817-1905) और केशब चंद्र सेन (1839-84) ने अपने-अपने तरीकों से आगे बढ़ाया। इन सबके कार्यों ने रबींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी जैसे व्यक्तियों की धार्मिक समझ को विकसित करने में मदद की। हालाँकि, दयानंद सरस्वती (1824-83) ने पश्चिमी विचारों को ख़ारिज़ किया। आर्यों के धर्म को पुनर्जीवित किया। वेदों की प्रतिष्ठा फिर स्थापित की। उनकी शिक्षा क्रांतिकारी थी। इसके लिए उन्होंने 1875 में तत्कालीन बॉम्बे में आर्य समाज की स्थापना की थी। 

उस समय रूढ़िवादी हिंदुओं को ‘ब्रह्म समाज’ के सदस्य विशिष्ट रूप से अधार्मिक लगते थे। इस संगठन के कई लोगों ने वास्तव में भारतीय जीवन के कई पहलुओं की निंदा की थी। वे अपने सामान्य व्यवहार में पूरी तरह पश्चिमी रहन-सहन अपना चुके थे। हालाँकि उन्होंने धर्म नहीं बदला था। इसलिए उनके विचारों और सुधार की उनकी इच्छा के बारे में माना गया कि यह हिंदु धर्म की नींव को विकृत करने की योजना है। तब अधिकांश हिंदुओं की मान्यता में ब्रिटिश सरकार भी धर्मनिरपेक्ष नहीं थी। वह ईसाई मत को तरज़ीह देने वाली सरकार थी। इसीलिए रूढ़िवादी हिंदुओं को ‘ब्रह्म समाज’ के लोग अंग्रेजों के ‘गुप्त प्रतिनिधि’ जैसे जान पड़ते थे। ऐसे, जो हिंदु धर्म को कमजोर करने के मक़सद से ईसाई मिशनरियों के लिए रास्ता बना रहे थे। वे उन्हें धर्म के लिए ख़तरा मानने लगे थे।

इसी भावना ने दयानंद को प्रेरित किया कि वे हिंदु धर्म को पुनर्जीवित, पुनर्प्रतिष्ठित करने के लिए काम करें। पश्चिमीकरण की प्रवृत्ति को रोकें। हालाँकि ‘आर्य समाज’ के उद्देश्य इससे कहीं अधिक थे। जैसा एक समकालीन अंग्रेज ने बताया भी है कि दयानंद का तर्क यह था कि “भारत के धर्म के साथ-साथ उसकी संप्रभुता भारतीय लोगों की होनी चाहिए। यानि दूसरे शब्दों में, भारतीयों के लिए भारतीय धर्म, भारतीयों के लिए भारतीय संप्रभुता।” 

इसी तरह, हिंदु धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा का काम रामकृष्ण परमहंस (1836-86) और उनके शिष्य विवेकानंद (1862-1902) ने भी किया। दोनों ने पारंपरिक हिंदु धर्म में समाज सेवा और स्वावलंबन के विचारों को जोड़ा। विवेकानंद की अपील ने तो राष्ट्रवादी नेताओं को राजनीतिक रूप से बहुसंख्य भारतीयों की अपेक्षाओं को व्यक्त करने का अवसर दिया। इससे ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन को व्यापकता मिली। उन्होंने भारत के नौजवानों से आग्रह किया कि वे लाखों गरीब और भूखे देशवासियों के जीवन को बदलने के लिए ख़ुद को समर्पित करें। उन्होंने युवाओं में ऐसी राष्ट्रवादी भावना को भरा जिसमें न केवल वास्तविकता थी बल्कि उद्देश्य भी था। यह चरित्र में पूरी तरह भारतीय थी।  

हिंदु धर्म के आत्मविश्वास को संबल देने का काम बहुत हद तक ‘थियोसोफिकल सोसायटी’ ने भी किया। इसकी स्थापना 1875 में न्यू यॉर्क में रूस की आध्यात्मिक नेता मैडम ब्लेवत्स्की ने की। इस सोसायटी ने पूरे दिल से हिंदुवाद को स्वीकारा। उसे एक अर्द्ध-बौद्धिक तरीके से व्यक्त किया। साथ ही प्रचारित-प्रसारित भी किया। ख़ास तौर पर पश्चिम में। इस सोसायटी की दूसरी अध्यक्ष एनी बेसेंट बनीं। वे भारतीय राजनीति में सक्रिय हुईं और 1917 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी चुनी गईं। 

इस बीच, नरमपंथियों और अंग्रेजों का साथ देने वालों ने अर्ध-राजनीतिक आंदोलन जारी रखा हुआ था। यह आंदोलन अलबत्ता, शिक्षित वर्गों के सीमित हित का ही प्रतिनिधित्व करता था। आम भाषा में कहें तो उदारवादी नेता वे थे, जो धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण रखते थे। वे मानते थे कि धर्म को राजनीति से अलग रखना चाहिए। सब कुछ होने के बावज़ूद वे अंग्रेजों के इरादों पर भरोसा करते रहे। यहाँ तक कि जब अंग्रेजों ने नागरिक सेवा में उच्च पदों से उच्च-शिक्षित भारतीयों को वंचित किया, तब भी उन्होंने तीखे विरोध का रास्ता नहीं अपनाया। इस तरह वे ख़ुद को भारतीय जनता से दूर करते गए। फिर भी, भारतीय राष्ट्रवाद को विकसित करने में नरमपंथियों की भूमिका को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता।
(जारी…..)
अनुवाद : अभिनव, सम्पादन : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ : 
68. महर्षि अरबिन्दो को अपना महाकाव्य ‘सावित्री’ लिखने में कितने साल लगे?
67. कलकत्ता कला विद्यालय के प्राचार्य ईबी हैवेल ने इस क्षेत्र में कौन से अहम बदलाव किए?
66.कौन से मुस्लिम सुधारक ख़ुद को हिन्दुओं का ‘आख़िरी अवतार’ कहते थे?
65. बाल-विवाह के विरोधी किस समाज-सुधारक ने बेटी की शादी 13 की उम्र में की थी?
64. ब्रिटिश सरकार के दौर में महिला शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
63. देश जब आज़ाद हुआ, तब कितने प्रतिशत आबादी अशिक्षित थी?
62. लॉर्ड कर्जन को कुछ भारतीयों ने ‘उच्च शिक्षा के सर्वनाश का लेखक’ क्यों कहा?
61. आईसीएस में पहली बार कितने भारतीयों का चयन हुआ था और कब?
60. वायसराय जॉन लॉरेंस को ‘हमारा सबसे बड़ा शत्रु’ किस अंग्रेज ने कहा था?
59. कारखानों में काम करने की न्यूनतम उम्र अंग्रेजों ने पहली बार कितनी तय की थी?
58. प्लास्टिक उत्पादों से भारतीयों का परिचय बड़े पैमाने पर कब हुआ?
57. भारत में औद्योगिक विस्तार का अगुवा किस भारतीय को माना जाता है?
56. क्या हम जानते हैं, भारत में सहकारिता का प्रयोग कब से शुरू हुआ?
55. भारत में कृषि विभाग की स्थापना कब हुई?
54. अंग्रेजों ने पहली बार लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र कितनी तय की थी?
53. ब्रिटिश भारत में कानून संहिता बनाने की प्रक्रिया पहली बार कब पूरी हुई?
52. आज़ादी के बाद पाकिस्तान की पहली राजधानी कौन सी थी?
51. आजादी के आंदोलन में 1857 की क्रांति से ज्यादा निर्णायक घटना कौन सी थी?
50. चुनाव में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देने के पीछे अंग्रेजों का छिपा मक़सद क्या था?
49. भारत में सांकेतिक चुनाव प्रणाली की शुरुआत कब से हुई?
48. भारत ब्रिटिश हुक़ूमत की महराब में कीमती रत्न जैसा है, ये कौन मानता था?
47. ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

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