Gas Tragedy

अब हर चूक दुरुस्त करेंगे…पर हुजूर अब तक हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे थे?

विजय मनोहर तिवारी की पुस्तक, ‘भोपाल गैस त्रासदी: आधी रात का सच’ से, 14/4/2022

देखिए कितने तरीके और कितनी पाबंदी से हमारे मंत्री काम कर रहे हैं। भोपाल के सप्रे संग्रहालय में पुरानी फाइलों को जाकर देखिए। हादसा दिसंबर में हुआ था। दस दिनों के भीतर हादसे की खबरें भीतर के पेजों पर सिमट गई थीं, क्योंकि लोकसभा चुनाव का मौसम था। हमारे तत्कालीन मंत्रियों की ऐसी कर्मठता इन फाइलों में कहीं नजर नहीं आएगी। अब देखिए, 25 साल बाद ऐसे जुट गए हैं, जैसे अचानक पीड़ितों के बारे में पता चला हो। अब वे हर चूक को दुरुस्त करने के लिए कमर कसकर सुबह बंगले से निकल रहे हैं। तीन दिन से दूसरा काम नहीं किया। हादसे पर बैठकें ही जारी हैं।…. पुनर्गठित मंत्री समूह सोमवार को त्रासदी से जुड़ी हर चूक को दुरुस्त करने के लिए केंद्र के समक्ष कई अहम सिफारिशें करेगा। इनमें, दोषी लोगों को और सख्त सजा दिलाने के लिए फिर अदालत जाने और एंडरसन के प्रत्यर्पण की फिर कोशिश करने की सिफारिश हो सकती है।

ट्रायल कोर्ट के समक्ष फरार आरोपी (एंडरसन) के बारे में एक पूरक आरोप पत्र धारा 304-दो आईपीसी के तहत पेश करने की सिफारिश भी की जा सकती हैं। एंडरसन को भारत लाकर उस पर मुकदमा चलाने के लिए अमेरिका से उसके प्रत्यर्पण के लिए नए सिरे से बात करने का सुझाव भी दिया जा सकता है। उसके प्रत्यर्पण के लिए केंद्र तीन बार नाकाम कोशिश कर चुका है, लेकिन उसको सेफ पैसेज देने का मामला गरमाने के बाद एक बार फिर यह मांग उठ रही है। गैस त्रासदी से जुड़े पर्यावरणीय पहलुओं (प्लांट से विषैला कचरा हटाए जाने, स्वच्छ पानी) की प्रभावी निगरानी के लिए केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश की अध्यक्षता में टास्क फोर्स के गठन की सिफारिश भी की जा सकती है।

मध्यप्रदेश के गैस राहत एवं पुनर्वास मंत्री बाबूलाल गौर ने कहा है कि यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर में डंप किए गए जहरीले रसायनों को सुरक्षित तरीके से नष्ट किए जाने को लेकर एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा। भोपाल मेमोरियल अस्पताल के प्रभावी संचालन के लिए उसकी जवाबदेही तय करने संबंधी सुझाव भी दिया जा सकता है। इसके साथ ही इस अस्पताल को एम्स की तर्ज पर विश्वस्तरीय बनाया जाएगा। जीओएम की लगातार तीसरे दिन रविवार को बैठक के बाद चिदंबरम ने बताया कि त्रासदी से जुड़े सभी विषयों पर गहन चर्चा हुई है। सोमवार को एक और बैठक होगी, जिसमें निष्कर्षों और सुझावों को अंतिम रूप दिया जाएगा।… 

क्या नजारा है? मंत्रीगण भोपाल से लेकर दिल्ली तक जागृत हो गए हैं। चिकित्सा सुविधाओं को विश्वस्तरीय बनाने की बातें, एंडरसन को वापस लाने के सपने, जहरीले कचरे को खत्म करने के लिए विशेषज्ञों की समिति वाह-वाह। हुजूर अब तक सब हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे थे? क्या गैस पीड़ित आपके बदहाल अस्पतालों में दर-दर ठोकरें अब तक नहीं खा रहे थे? क्या कार्बाइड के आंगन में पड़ा कचरा अचानक जहरीला हो गया? क्या एंडरसन के फरार होने का कागज अब आपकी टेबल पर आया? क्या हुआ, जो अचानक गाड़ी रफ्तार में ठीक-ठिकाने से चल रही है? वाह लगे रहिये।…. काश! आप ऐसे ही कर्मठ होते।….

….मंत्री समूह ने केस रीओपन करने की सिफारिश की है। हालांकि एंडरसन को भागने के पीछे क्या राज था और किस-किसके हाथ उसकी सुरक्षित वापसी में लगे थे, ऐसे असुविधाजनक सवालों पर कोई बात नहीं हुई है। जाहिर है सरकार की मंशा पीड़ितों को खुश करते हुए खुद बच निकलने ही है।…. खास बिंदु ये हैं- एंडरसन को भारत लाने और सुप्रीम कोर्ट का 1996 का फैसला बदलने के लिए याचिका दायर होगी। डाऊ कैमिकल्स की जवाबदेही तय होगी। पीड़ितों को 10 लाख रुपए तक मुआवजे की सिफारिश। 1392 करोड़ का पैकेज।….

एंडरसन को भारत लाने और गैस त्रासदी के आरोपियों की धारा शिथिल करने वाली फाइल सुप्रीम कोर्ट में दोबारा खोलने की बात मंत्री समूह (जीओएम) ने मान ली है। सोमवार को जीओएम की बैठक में यूनियन कार्बाइड खरीदने वाली डाऊ केमिकल्स की कोर्ट के जरिए जवाबदेही तय करने की मांग भी की गई है। जीओएम की पांचवीं बैठक के बाद गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बताया कि मंत्रियों का ध्यान प्रमुख रूप से गैस पीड़ितों को राहत देने पर था। बाद में ये सिफारिशें एक सीलबंद लिफाफे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी गई। जीओएम ने भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में जमा 350 मीट्रिक टन कचरे को साफ करने का प्रस्ताव दिया है। यह काम मध्यप्रदेश सरकार के जिम्मे होगा। 

….जीओएम ने यूनियन कार्बाइड को खरीदने वाले डाऊ केमिकल्स के खिलाफ नागरिक व आपराधिक जिम्मेदारी सहायता और पुनर्वास की जवाबदेही तय करने को कहा है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में इस संबंध में चल रहे मामले को अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। इसके अतिरिक्त यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री की जगह मेमोरियल पार्क बनाने आरोपियों की सजा बढ़ाने का भी प्रस्ताव किया गया है। सिफारिश किए गए पैकेज की रकम गैस पीड़ितों को पहले दी गई मुआवजा राशि के साथ ही जोड़ी जाएगी।

(जारी….)
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(नोट : विजय मनोहर तिवारी जी, मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त, वरिष्ठ लेखक और पत्रकार हैं। उन्हें हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने 2020 का शरद जोशी सम्मान भी दिया है। उनकी पूर्व-अनुमति और पुस्तक के प्रकाशक ‘बेंतेन बुक्स’ के सान्निध्य अग्रवाल की सहमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर यह विशेष श्रृंखला चलाई जा रही है। इसके पीछे डायरी की अभिरुचि सिर्फ अपने सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक सरोकार तक सीमित है। इस श्रृंखला में पुस्तक की सामग्री अक्षरश: नहीं, बल्कि संपादित अंश के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसका कॉपीराइट पूरी तरह लेखक विजय मनोहर जी और बेंतेन बुक्स के पास सुरक्षित है। उनकी पूर्व अनुमति के बिना सामग्री का किसी भी रूप में इस्तेमाल कानूनी कार्यवाही का कारण बन सकता है।)
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श्रृंखला की पिछली कड़ियाँ  
33. और ये हैं जिनकी वजह से केस कमजोर होता गया… 
32. उन्होंने आकाओं के इशारों पर काम में जुटना अपनी बेहतरी के लिए ‘विधिसम्मत’ समझा
31. जानिए…एंडरसरन की रिहाई में तब के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की क्या भूमिका थी?
30. पढ़िए…एंडरसरन की रिहाई के लिए कौन, किसके दबाव में था?
29. यह अमेरिका में कुछ खास लोगों के लिए भी बड़ी खबर थी
28. सरकारें हादसे की बदबूदार बिछात पर गंदी गोटियां ही चलती नज़र आ रही हैं!
27. केंद्र ने सीबीआई को अपने अधिकारी अमेरिका या हांगकांग भेजने की अनुमति नहीं दी
26.एंडरसन सात दिसंबर को क्या भोपाल के लोगों की मदद के लिए आया था?
25.भोपाल गैस त्रासदी के समय बड़े पदों पर रहे कुछ अफसरों के साक्षात्कार… 
24. वह तरबूज चबाते हुए कह रहे थे- सात दिसंबर और भोपाल को भूल जाइए
23. गैस हादसा भोपाल के इतिहास में अकेली त्रासदी नहीं है
22. ये जनता के धन पर पलने वाले घृणित परजीवी..
21. कुंवर साहब उस रोज बंगले से निकले, 10 जनपथ गए और फिर चुप हो रहे!
20. आप क्या सोचते हैं? क्या नाइंसाफियां सिर्फ हादसे के वक्त ही हुई?
19. सिफारिशें मानने में क्या है, मान लेते हैं…
18. उन्होंने सीबीआई के साथ गैस पीड़तों को भी बकरा बनाया
17. इन्हें ज़िन्दा रहने की ज़रूरत क्या है?
16. पहले हम जैसे थे, आज भी वैसे ही हैं… गुलाम, ढुलमुल और लापरवाह! 
15. किसी को उम्मीद नहीं थी कि अदालत का फैसला पुराना रायता ऐसा फैला देगा
14. अर्जुन सिंह ने कहा था- उनकी मंशा एंडरसन को तंग करने की नहीं थी
13. एंडरसन की रिहाई ही नहीं, गिरफ्तारी भी ‘बड़ा घोटाला’ थी
12. जो शक्तिशाली हैं, संभवतः उनका यही चरित्र है…दोहरा!
11. भोपाल गैस त्रासदी घृणित विश्वासघात की कहानी है
10. वे निशाने पर आने लगे, वे दामन बचाने लगे!
9. एंडरसन को सरकारी विमान से दिल्ली ले जाने का आदेश अर्जुन सिंह के निवास से मिला था
8.प्लांट की सुरक्षा के लिए सब लापरवाह, बस, एंडरसन के लिए दिखाई परवाह
7.केंद्र के साफ निर्देश थे कि वॉरेन एंडरसन को भारत लाने की कोशिश न की जाए!
6. कानून मंत्री भूल गए…इंसाफ दफन करने के इंतजाम उन्हीं की पार्टी ने किए थे!
5. एंडरसन को जब फैसले की जानकारी मिली होगी तो उसकी प्रतिक्रिया कैसी रही होगी?
4. हादसे के जिम्मेदारों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए थी, जो मिसाल बनती, लेकिन…
3. फैसला आते ही आरोपियों को जमानत और पिछले दरवाज़े से रिहाई
2. फैसला, जिसमें देर भी गजब की और अंधेर भी जबर्दस्त!
1. गैस त्रासदी…जिसने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को सरे बाजार नंगा किया! 

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