पवनेश कौशिक, दिल्ली
देश के किसी भी सरकारी अस्पताल में चले जाइए अधिकतर (शब्द ‘अधिकतर’ पर गौर कीजिएगा) चिकित्सकों का मरीजों के प्रति व्यवहार रुखा ही देखने को मिलता है। बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में और भी बुरा हाल होता है। सुबह से कई घंटे लाइन में खपकर धक्के खाता हुआ मरीज जब चिकित्सक के सामने पहुँचता है, तो उसे डॉक्टर साहब का बमुश्किल दो-चार मिनट का वक्त ही मिलता है। इस दौरान भी वह अपनी बात पूरी करे, इससे पहले ही चिकित्सक उसे जाँचें कराने का सुझाव देकर या कुछ दवाएँ लिखकर अगली तारीख़ दे चुका होता है।
जाँच और अन्य कार्यों के लिए मिलनी वाली ‘तारीख़’ अधिकांशतः उसकी बीमारी की ज़रूरतों से कहीं आगे की होती हैं। और इस बीच, अपने लिए कुछ कहने की कोशिश कर रहे मरीजों को चिकित्सक से ‘डाँट’ भी नसीब होती है। यानी मरीज का बहुत अच्छा भाग्य हो तो ही उसे चिकित्सक का मानवीय चेहरा नसीब हो पाता है। ऐसा, जो ओपीडी में उसकी सारी बात सुन-समझकर रोग से अँधेरी होती उसकी दुनिया में थोड़ा उजास भर दे।
और, सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के इस रुखे व्यवहार को लेकर कई महानुभाव तर्क देते हैं कि उन पर काम का बेहद ज्यादा बोझ होता है। मरीजों की लम्बी क़तार निपटाने से लेकर ऑपरेशन, पढ़ाई और प्रशासनिक काम करने होते हैं। यही सब उन्हें ‘अमानवीयता’ की ओर ले जाता है। फिर इसी काम के बोझ की झल्लाहट की वजह से सेवाकाल में आगे बढ़ते-बढ़ते उनका मरीजों के प्रति हमदर्दी का भाव खत्म होता जाता है।
हो सकता है, यह बात कुछ हद तक सही भी हो। लेकिन पूरी तरह से नहीं। क्योंकि चिकित्सक अगर अपने काम के बोझ से ‘तनावग्रस्त’ है, तो इसमें बेचारे मरीज का क्या दोष? वह तो ख़ुद गरीबी से दबा-कुचला, बीमारी से लड़ता हुआ पहले से लाचार होता है। सहारे के लिए सरकारी अस्पताल की चौखट पर दस्तक देता है। लिहाज़ा, चिकित्सक को समझना चाहिए कि इस तरह से काम के बोझ की खीज को पहले से पीड़ित मरीज पर निकालकर उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा। हाँ, लोगों की नज़र में ‘दूसरे भगवान’ वाला उनका दर्ज़ा ज़रूर ख़तरे में पड़ेगा।
———–
(पवनेश मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हैं। दिल्ली में एक निजी कम्पनी में नौकरी करते हैं। #अपनीडिजिटलडायरी को उन्होंने यह लेख वॉट्सएप सन्देश के तौर पर भेजा है।)
अभी इसी शुक्रवार, 13 दिसम्बर की बात है। केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लोकसभा… Read More
देश में दो दिन के भीतर दो अनोख़े घटनाक्रम हुए। ऐसे, जो देशभर में पहले… Read More
सनातन धर्म के नाम पर आजकल अनगनित मनमुखी विचार प्रचलित और प्रचारित हो रहे हैं।… Read More
मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर को इन दिनों भिखारीमुक्त करने के लिए अभियान चलाया जा… Read More
इस शीर्षक के दो हिस्सों को एक-दूसरे का पूरक समझिए। इन दोनों हिस्सों के 10-11… Read More
आकाश रक्तिम हो रहा था। स्तब्ध ग्रामीणों पर किसी दु:स्वप्न की तरह छाया हुआ था।… Read More