आज विश्व हिन्दी दिवस है… और ये विश्व ‘विधालय’ अनुदान आयोग है!

टीम डायरी

आज ‘विश्व हिन्दी दिवस’ है। दुनिया भर के हिन्दी विशेषज्ञ, मीडिया और सोशल मीडिया वग़ैरा के मंचों पर भर-भर के ज्ञान दिया जा रहा है। हिन्दी की महत्ता बताई जा रही है। हिन्दी की सहजता, सुलभता समझाई जा रही है। हिन्दी को प्रोत्साहन देने की बातें हो रही है। यक़ीनी तौर पर ऐसे मंचों में ‘विश्व विद्यालय अनुदान आयोग’ (यूजीसी) भी शामिल होगा ही, क्योंकि उस पर तो देश में उच्च शिक्षा के प्रसार की भारी-भरकम ज़िम्मेदारी है। 

लेकिन इसी यूजीसी की इस तस्वीर पर ग़ौर कीजिए। ये संस्थान के दिल्ली स्थित दफ़्तर के बाहर लगा पटल है। इस पर हिन्दी में विद्यालय को ‘विधालय’ लिखा गया है और रोड को ‘रोड़’। बरसों से यह पटल ऐसा ही टँगा है। हिन्दी दिवस जैसे मौकों पर बड़े-बड़े विशेषज्ञ यहाँ आते हैं, ज्ञान देते हैं, चले जाते हैं। लेकिन भाषा की सामान्य त्रुटियों पर किसी का ध्यान नहीं जाता। और तिस पर भी इस संस्थान का तुर्रा वह ध्येय वाक्य है, जिसका अर्थ है- ज्ञान-विज्ञान व्यक्ति को मुक्त करता है- “ज्ञान-विज्ञानम् विमुक्तये”। ज़रा सोचिए, ऐसे ज्ञान-विज्ञान से किसी को मुक्ति कैसे ही मिलेगी? 
—-
ये तस्वीर दिल्ली से डायरी के एक पाठक अनुज ने खींचकर भेजी है। #अपनीडिजिटलडायरी उनकी आभारी है।
—-
(अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में लिख भेजिए। ऐसी तस्वीरें जहाँ कहीं मिलें, तो उन्हें भी #अपनीडिजिटलडायरी तक पहुँचाने का कष्ट कीजिए। अपनी भाषा की शुद्धता के लिए यह एक अभियान है। इसमें सबका साथ चाहिए।)

 

सोशल मीडिया पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *