इस बार दिल्ली में यमुना ने त्राहिमाम् मचा दिया। सुर्ख़ियों में बताया गया कि क़रीब 45 साल बाद दिल्ली ऐसी बाढ़ में डूबी है। यमुना…
View More सँभलो हुक़्मरान ; यमुना ने नहीं, दिल्ली दरबार की चौखट पर ‘यमराज’ ने आमद दी है!Author: From Visitor
कितना बेहतर हो, अगर हम लड़कियों को उनकी सुरक्षा करना भी सिखाएँ!
आज मैं यह लेख एक ऐसे विषय पर लिख रही हूँ, जिसके बारे में जानना, समझना और अन्य लोगों को उसके लिए प्रेरित करना हमारे…
View More कितना बेहतर हो, अगर हम लड़कियों को उनकी सुरक्षा करना भी सिखाएँ!जिसने अपने लक्ष्य समझ लिया, उसने जीवन को समझ लिया, पर उस लक्ष्य को समझें कैसे?
जब भी किसी दुविधा में हों या मन खराब हो, तो हमें ध्यान करने की सलाह दी जाती है। ये चलन नया नहीं है, बल्कि…
View More जिसने अपने लक्ष्य समझ लिया, उसने जीवन को समझ लिया, पर उस लक्ष्य को समझें कैसे?क्या स्कूली बच्चों को पानी पीने तक का अधिकार नहीं?
आज-कल एक अहम खबर सुर्खियाँ बटोर रही है। यह कि पंजाब के फिरोजपुर के सरकारी विद्यालय में रोज़ तीन से चार बार घंटियाँ बजाई जा…
View More क्या स्कूली बच्चों को पानी पीने तक का अधिकार नहीं?शिक्षक वो अज़ीम शख़्सियत है, जो हमेशा हमें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है
ज़िन्दगी में दो ही लोग चाहते हैं कि हम उनसे ज्यादा कामयाब हों। पहले- हमारे माता-पिता और दूसरे हमारे शिक्षक। हम कितने भी अमीर या…
View More शिक्षक वो अज़ीम शख़्सियत है, जो हमेशा हमें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता हैसंस्कार हमारे जीवन में कैसे अच्छी या बुरी भूमिका निभाते हैं?
संस्कार एक ऐसा शब्द है, जो हम अपने बचपन से ही और अभी भी रोज कहीं न कहीं सुनते ही रहते हैं। संस्कार का हमारे…
View More संस्कार हमारे जीवन में कैसे अच्छी या बुरी भूमिका निभाते हैं?हो सके तो अपनी दिनचर्या में ज्यादा से ज्यादा हिन्दी का प्रयोग करें, ताकि….
हमारे द्वारा प्रयोग में लाने वाली भाषा न सिर्फ संचार का जरिया है बल्कि वह हमारी पहचान भी है। हमारा जन्म भारत जैसे महान देश…
View More हो सके तो अपनी दिनचर्या में ज्यादा से ज्यादा हिन्दी का प्रयोग करें, ताकि….खुद को पहचानिए, ताकि आप खुद ही खुद से महरूम न रह जाएँ
हमारा जीवन दिन-ब-दिन और ज़्यादा तनवभरा होता जा रहा है। इसके पीछे बहुत से कारण हैं। जैसे हमारा भोजन, दिनचर्या और सबसे महत्त्वपूर्ण हमारा वातावरण।…
View More खुद को पहचानिए, ताकि आप खुद ही खुद से महरूम न रह जाएँअनाज की बरबादी : मैं अपने सवाल का जवाब तलाशते-तलाशते रुआसी हो उठती हूँ
जब मैं देखती हूँ लोगों को कचरे में रोज़ खाना फेंकते हुए, तो सोच में पड़ जाती हूँ। क्या भोजन की कीमत सिर्फ कुछ रुपए…
View More अनाज की बरबादी : मैं अपने सवाल का जवाब तलाशते-तलाशते रुआसी हो उठती हूँलगा लगा लगा रे… सेल्फ़ प्रमोशन का रोग
आज बहुत दिन बाद फ़ेसबुक पर जाना हुआ। स्क्रॉल करना शुरू किया। ज़्यादातर पोस्ट तस्वीरों की। अपनी तस्वीरें। चूँकि जिस अकाउंट से फ़ेसबुक खोला था,…
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