अपूर्वी वशिष्ठ, दिल्ली से
आज युवा दिवस है। स्वामी विवेकानंद की जयन्ती। और इस मौके पर दिल्ली में पाँचवी कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची अपूर्वी ने पर्यावरण से जुड़े मसले पर समानुभूति दर्शाती एक खूबसूरत कविता पढ़ी है। बिल्कुल उसी सम्वेदना के साथ, जिस वेदना को महसूस करते हुए सुशील शुक्ल जी ने इसे लिखा होगा।
और आज जब उत्तराखंड में जोशीमठ नाम का एक प्राचीन क़स्बा पर्यावरण के साथ किए जा रहे खिलवाड़ के नतीजे में अतीत होने के मुहाने पर खड़ा है, हिमालय दरकने लगा है, तो यह वेदना कितनी बड़ी हो जाती है। सम्वेदना कितनी मौज़ूँ हो जाती है।
ऑडियो में है, सुनिएगा और महसूस कीजिएगा, इन शब्दों और भावनाओं को… छोटे-छोटे बच्चे महसूस कर सकते हैं तो हम, आप क्यों नहीं?
Nice kabita apoorvi
👍
Very nice beta 👍