इससे पहले शायद ही कभी ऐसा हुआ हो। लेकिन #अपनीडिजिटलडायरी के सकारात्मक प्रयासों के क्रम में यह सम्भव हो पाया है। #अपनीडिजिटलडायरी के संस्थापकों में…
View More शिक्षक और शिष्या की लिखी दो कविताएँ पढ़िएगा… एक साथ!!Tag: अपना पन्ना
जनतंत्र में ‘जनता जनार्दन’ है, सभी को उसका निर्णय स्वीकार करना चाहिए
जनता या जनसमूह हमेशा भावना प्रधान माना जाता है। कुछ हद तक होता भी है। उसकी भावनाएँ छोटी-छोटी चीजों पर आहत हो जाती हैं। और…
View More जनतंत्र में ‘जनता जनार्दन’ है, सभी को उसका निर्णय स्वीकार करना चाहिएआम चुनाव का सबक : रास्ते चलने से ही बनते हैं!
कल आम चुनाव के नतीज़े आ गए। चुनाव आम था, सो हर आदमी ख़ास था। ख़ास थी उसकी बातें। चाय की टपरियों से लेकर दफ़्तरों…
View More आम चुनाव का सबक : रास्ते चलने से ही बनते हैं!‘पर्यावरण दिवस’ : इन ख़बरों पर ग़ौर करें, फिर ‘पर्यावरण की पीड़ा’ का जश्न मनाएँ!!
आज ‘पर्यावरण दिवस’ है। जैसे- हर साल होली, दीवाली, जैसे तीज-त्यौहार होते हैं न और उनमें कुछ रस्म-ओ-रिवाज़ के साथ जश्न होता है। वैसे ही,…
View More ‘पर्यावरण दिवस’ : इन ख़बरों पर ग़ौर करें, फिर ‘पर्यावरण की पीड़ा’ का जश्न मनाएँ!!आपके ‘ईमान’ की क़ीमत कितनी है? क्या इतनी कि कोई उसे आसानी से ख़रीद न सके?
आपके ‘ईमान’ या आपके ‘मूल्यों’ की क़ीमत कितनी है? सवाल विचित्र लग सकता है, लेकिन है नहीं। वास्तव में, हर किसी के ‘मूल्यों’ या ‘ईमान’…
View More आपके ‘ईमान’ की क़ीमत कितनी है? क्या इतनी कि कोई उसे आसानी से ख़रीद न सके?आश्चर्य इस पर कि लोग इतनी जल्दी भूल जाएँगे, इसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी!
अभी कुछ एक महीने पहले हमारी प्रधानाध्यापिका मैडम ने अपने घुटने का प्रत्यारोपण करवाया था, एम्स में। अब वे सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। कल अपने…
View More आश्चर्य इस पर कि लोग इतनी जल्दी भूल जाएँगे, इसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी!वीर सावरकर : मुझे मार सके, भला ऐसा कौन शत्रु पैदा हुआ है इस जगत में!
विनायक दामोदर सावरकर। लोकप्रिय नाम, ‘वीर सावरकर’ या स्वातंत्र्य वीर सावरकर’। भारतीय राजनीति के ऐसे उच्च व्यक्तित्त्व, जिनके हम साथ हो सकते हैं। उनके विरोध…
View More वीर सावरकर : मुझे मार सके, भला ऐसा कौन शत्रु पैदा हुआ है इस जगत में!गुजरात-दिल्ली की आग हमारे सीनों में क्यों नहीं झुलसती?
राजकोट गुजरात में बच्चों के लिए बनाए गए एक गेम जोन में आग लग गई। इस हादसे में 28 लोग मारे गए। इनमें 12 बच्चे…
View More गुजरात-दिल्ली की आग हमारे सीनों में क्यों नहीं झुलसती?भावनाओं के सामने कई बार पैसों की एहमियत नहीं रह जाती, रहनी भी नहीं चाहिए!
निकेश, आपको और कितने पैसे चाहिए? एक नई-नवेली कम्पनी के मानव संसाधन विभाग के मुखिया (सीएचआरओ) ने मुझसे सवाल किया था। वे चाहते थे कि…
View More भावनाओं के सामने कई बार पैसों की एहमियत नहीं रह जाती, रहनी भी नहीं चाहिए!तरबूज पर त्रिकोण : किताबों से परे हटकर कुछ नए उत्तरों के लिए तत्पर रहना चाहिए!
बच्चे इन दिनों मिट्टी से विभिन्न प्रकार के आकार बना रहे हैं। इन आकारों में लम्बाई, चौड़ाई के साथ-साथ ऊँचाई भी होगी। इस प्रकार वो…
View More तरबूज पर त्रिकोण : किताबों से परे हटकर कुछ नए उत्तरों के लिए तत्पर रहना चाहिए!