नई दिल्ली में मेट्रो की ‘यलो लाइन’ के पटेल चौक स्टेशन पर दोपहर को जैसे ही मैं उतरकर स्टेशन से बाहर निकला कि सामने से…
View More लुटियंस की दिल्ली में 2,000 का नोट बदलवाने वाले ‘लपकों की मौज़’Tag: अपना पन्ना
घर में बच्चों को ‘लैंगिक समानता’ के बारे में भी बताएँ, ताकि वे आगे कोई भेद न करें
वैसे तो हम सब इस विषय से भली-भाँति परिचित हैं, लेकिन मैं आपको फिर से याद दिला दूँ। ‘लैंगिक समानता’ का मतलब पुरुषों, महिलाओं सहित…
View More घर में बच्चों को ‘लैंगिक समानता’ के बारे में भी बताएँ, ताकि वे आगे कोई भेद न करें‘संस्कृत की संस्कृति’ : भाषा और व्याकरण का स्रोत क्या है?
मानव अपनी माता के गर्भ से ही भाषा से परिचित होना शुरू कर देता है। कोई ऐसा नहीं जो अपने विचारों को व्यक्त नहीं करता…
View More ‘संस्कृत की संस्कृति’ : भाषा और व्याकरण का स्रोत क्या है?देश में अदालतें क्या एक बन्द प्रणाली की तरह काम कर रही हैं?
हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था में ऐसी ढाँचागत त्रुटियाँ हैं, जिसके चलते वह समाज को नैतिक और सदाचारपरक मूल्य आधारित समर्थन प्रणाली देने में अक्षम…
View More देश में अदालतें क्या एक बन्द प्रणाली की तरह काम कर रही हैं?हम ‘काम’ और ‘नौकरी’ में फ़र्क नहीं जानते और नारायण मूर्ति जी की निन्दा करते हैं!
अभी 26 अक्टूबर को सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बड़ी भारतीय कम्पनी ‘इन्फोसिस’ के संस्थापक नारायण मूर्ति जी का बयान आया। इसमें उन्होंने कहा, “अगर भारत को…
View More हम ‘काम’ और ‘नौकरी’ में फ़र्क नहीं जानते और नारायण मूर्ति जी की निन्दा करते हैं!सत्य, विश्वसनीयता और नैरेटिव पर वर्चस्व के लिए मीडिया व सोशल मीडिया की भिड़न्त शुरू
पारम्परिक मीडिया और सोशल मीडिया के बीच लोकरंजक नैरेटिव पर नियंत्रण के लिए संघर्ष शुरू हो गया है। तकाजा चूँकि सत्य का या चाहे कह…
View More सत्य, विश्वसनीयता और नैरेटिव पर वर्चस्व के लिए मीडिया व सोशल मीडिया की भिड़न्त शुरूइस तरह कैसे बचेगा डॉक्टरों का ‘दूसरे भगवान’ का दर्ज़ा?
देश के किसी भी सरकारी अस्पताल में चले जाइए अधिकतर (शब्द ‘अधिकतर’ पर गौर कीजिएगा) चिकित्सकों का मरीजों के प्रति व्यवहार रुखा ही देखने को…
View More इस तरह कैसे बचेगा डॉक्टरों का ‘दूसरे भगवान’ का दर्ज़ा?‘संस्कृत की संस्कृति’ : मिलते-जुलते शब्दों का अर्थ महज उच्चारण भेद से कैसे बदलता है!
उच्चारण के महत्त्व को दर्शाता उदाहरण हमने पिछली कड़ी में देखा था कि एक अच्छे पाठक, वक्ता को उसी तरह शब्दों का उच्चारण करना चाहिए…
View More ‘संस्कृत की संस्कृति’ : मिलते-जुलते शब्दों का अर्थ महज उच्चारण भेद से कैसे बदलता है!ये ‘झल्लाहट और चिड़चिड़ाहट’ हमारे भीतर के रावण हैं, इन्हें मारिए!
‘झल्लाहट और चिड़चिड़ाहट’ से आज हर दूसरा इंसान त्रस्त मिलेगा। ये हमारे शरीर के भीतर बैठे रावण की तरह हैं। क्योंकि इनके भी 10-10 सिर…
View More ये ‘झल्लाहट और चिड़चिड़ाहट’ हमारे भीतर के रावण हैं, इन्हें मारिए!childhood was the real gold….
When I see a child I start to go wild I remember my old days When I was happy in many ways Once my grandmother…
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