होलिका दहन को अभी चार दिन शेष थे। किन्तु फागुन की फागुआहट ने सबको सराबोर कर लिया था। काशी तो कुछ ज्यादा ही उत्सवी लहक…
View More भूत, पिशाच, बटोरी…. दिगम्बर खेलें मसाने में होरीTag: अपना पन्ना
एकान्त की अकुलाहट : मौत के तांडव में मुस्कान के मोती ढूँढने का नाम है जीवन
दुख बहुत आहिस्ते से आता है और लम्बे समय तक जीवन की झोली में पड़ाव डालता है। अपना दायरा बड़ा करता है। और एक दिन…
View More एकान्त की अकुलाहट : मौत के तांडव में मुस्कान के मोती ढूँढने का नाम है जीवनलड़कियों को भी खुले आसमान में उड़ने का हक है, हम उनसे ये हक नहीं छीन सकते
“लैंगिक समानता” (gender equality)। हम इसका मतलब अक्सर ये निकाल लेते हैं कि महिला वह काम करे, जो पुरुष करते हैं। उनकी आदतों को अपना…
View More लड़कियों को भी खुले आसमान में उड़ने का हक है, हम उनसे ये हक नहीं छीन सकतेउड़ान भरने का वक्त आ गया है, अब हमें निकलना होगा समाज की हथकड़ियाँ तोड़कर
क्या इंसान का वजूद महज़ एक पुतले जितना है? जो दुनिया के बनाए कानून और रस्मों का आँखें बन्द कर पालन करे, बस? आखिर क्यों…
View More उड़ान भरने का वक्त आ गया है, अब हमें निकलना होगा समाज की हथकड़ियाँ तोड़करकाँपते हाथों में बाँसुरी हिलती रहे और सुर थमे रहें, तो समझिए वे हाथ ‘हरि जी’ के हैं
एक क़िस्सा दिखाता हूँ। हाँ, दिखाता ही हूँ। देखिए। मध्य प्रदेश के शहर भोपाल में ‘भारत-भवन’ का अंतरंग सभागार। खचाखच भरा हुआ। यहाँ तीन-चार सौ…
View More काँपते हाथों में बाँसुरी हिलती रहे और सुर थमे रहें, तो समझिए वे हाथ ‘हरि जी’ के हैंदूसरे का साथ देने से ही कर्म हमारा साथ देंगे
बचपन से कोई भी अच्छा या बुरा काम करने पर हमने अपने बड़ों से अक्सर सुना है कि इंसान जैसा बोता है, वेसा ही काटता…
View More दूसरे का साथ देने से ही कर्म हमारा साथ देंगेसुनें उन बच्चों को, जो शान्त होते जाते हैं… कहें उनसे, कि हम हैं तुम्हारे साथ
हम एक ऐसे दौर में ज़िन्दगी गुजर रहे हैं, जहाँ हमारे करीबियों के पास भी हमारे लिए वक्त नहीं है। या कह लीजिए कि वे…
View More सुनें उन बच्चों को, जो शान्त होते जाते हैं… कहें उनसे, कि हम हैं तुम्हारे साथ…तो समझिए कि हम भी मर चुके हैं, हम सब माँस के पुतलेभर हैं!
मध्यप्रदेश के उज्जैन में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में एक महिला पत्रकार की साड़ी खींच ली जाती है। नोचा जाता है। ‘मुख्यमंत्री साहब’ सॉरी कहकर आगे…
View More …तो समझिए कि हम भी मर चुके हैं, हम सब माँस के पुतलेभर हैं!….देखो, मरना मत, कोशिश करना कि किसी और के मुक़म्मल इश्क़ की कहानी में तुम्हारा भी किरदार चमके
ख़ुशनसीब होते हैं वे लोग, जिन्हें उनकी मोहब्बत नसीब होती है, लेकिन उनसे ज्यादा ख़ुशनसीब वे प्रेमी होते हैं, जिन्हें उनकी मोहब्बत कभी नहीं मिल…
View More ….देखो, मरना मत, कोशिश करना कि किसी और के मुक़म्मल इश्क़ की कहानी में तुम्हारा भी किरदार चमकेवाल्मीकि-रामायण में पहले पाँच ही काण्ड थे, अयोध्याकाण्ड से युद्धकाण्ड तक!
मूल वाल्मीकीय रामायण में “रामायण” के शब्दार्थ “राम की यात्रा” के अनुरूप बालकाण्ड और उत्तरकाण्ड की प्रक्षिप्तता की स्थापना करनेवाले विद्वानों में वासुदेव शरण अग्रवाल…
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