हमने पिछली कड़ी में देखा था कि कैसे एक वस्तु को अलग-अलग दृष्टि से देखने वाला व्यक्ति अलग व्याख्या करता है। प्रत्येक समग्रता से वस्तु…
View More जो दिख रहा हो वास्तव में उतना ही सच नहीं होताTag: अपना पन्ना
आओ, कोई इस तन के तम्बूरे में तार जोड़ दो!
आज फिर अमावस है और मैं गर्म ऊँची चट्टानों पर खड़ा तेज सूरज की रोशनी में जीवन का वृन्दगान सुन रहा हूँ। एक छोर पर…
View More आओ, कोई इस तन के तम्बूरे में तार जोड़ दो!यहाँ बिल्कुल अलग समाज दिखाई देता है, सामान्यतया तो ऐसे लोग दिखाई नहीं देते!
अभी कुछ रोज पहले मुंबई हवाईअड्डे पर था। उड़ान में देरी हो गई। 45 मिनट की। बिना किसी पूर्व सूचना के। यहाँ भीड़ थी। कुर्सियाँ…
View More यहाँ बिल्कुल अलग समाज दिखाई देता है, सामान्यतया तो ऐसे लोग दिखाई नहीं देते!सिक्के के कितने पहलू होते हैं.. एक, दो या ज्यादा.. जवाब यहाँ है!
मानव के मन में विचारों को श्रृंखला जन्म लेती है। और विविध विचारों के जन्म का कारण उसका परिवेश होता है। हम जैसे परिवेश में…
View More सिक्के के कितने पहलू होते हैं.. एक, दो या ज्यादा.. जवाब यहाँ है!सब भूलकर अपनी गठरी खोलो और जी लो, बस
जीवन के उत्तरार्ध में हम सब का मूल्याँकन रुपए-पैसे से होता है। कितनी पेंशन बनी, कितनी बचत थी, फंड कितना मिला, बच्चों को सैटल कर…
View More सब भूलकर अपनी गठरी खोलो और जी लो, बसबेटी के नाम चौथी पाती : तुम्हारा होना जीवन की सबसे ख़ूबसूरत रंगत है
प्रिय मुनिया, मेरी जान, तुम्हारे जन्मोत्सव के बाद मुझे तुम्हें यह चौथा पत्र लिखने में तनिक विलम्ब हो गया है। मैं तुम्हें यह पत्र तुम्हारे…
View More बेटी के नाम चौथी पाती : तुम्हारा होना जीवन की सबसे ख़ूबसूरत रंगत हैहम सब कुछ पाने के लिए ही करते हैं पर सुख क्यों नहीं मिलता?
एक सेठ जी को एक बार यह जानने की चिन्ता हुई कि मेरी सम्पत्ति कितनी है? इसका उपभोग और कितने दिन किया जा सकता है? सो, तत्काल उन्होंने अपने अकाउंटेंट को बुलवा भेजा और उससे जानना चाहा। बदले में लेखाधिकारी ने कुछ समय माँगा। कुछ दिनों बाद लेखाधिकारी सेठ जी को बताता है कि यह सम्पत्ति आपकी अगली आठ पीढ़ियों तक के लिए पर्याप्त है। फिर क्या था सेठ जी चिन्ता में डूब गए….
View More हम सब कुछ पाने के लिए ही करते हैं पर सुख क्यों नहीं मिलता?एक पिता की बेटी के नाम तीसरी पाती : तुम्हारा रोना हमारी आँखों से छलकेगा
प्रिय मुनिया, तुम्हें ये तीसरा पत्र लिखते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। मैं तुम्हें ये पाती तब लिख रहा हूँ, जब तुम ठीक…
View More एक पिता की बेटी के नाम तीसरी पाती : तुम्हारा रोना हमारी आँखों से छलकेगाकर्म केवल शरीर से कहीं होना नहीं है….
दो मित्र थे। वे हर शनिवार की शाम एक वेश्या के पास जाया करते थे। एक शाम जब वे वेश्या के घर जा रहे थे,…
View More कर्म केवल शरीर से कहीं होना नहीं है….एक पिता की बेटी के नाम दूसरी पाती….मैं तुम्हें प्रेम की मिल्कियत सौंप जाऊँगा
प्रिय मुनिया, तुम्हें यह दूसरी पाती लिखते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है, क्योंकि तुम चार दिन के बाद बीते रविवार 30 जनवरी को अस्पताल से…
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