‘द बिग बुल’ के बहाने, हेमन्त शाहों को पहचानें, जो हमारे सपनों का मोल-भाव कर रहे हैं

‘द बिग बुल’ अभिषेक बच्चन की फिल्म है। उन्होंने इसमें अपनी अभिनय क्षमता को खरा सोना साबित करने के लिए जी-तोड़ मेहनत की है। हालाँकि फिल्म…

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स्वयं को जानना है तो वेद को जानें, वे समस्त ज्ञान का स्रोत है

पिछली तीन कड़ियाें में चार्वाक दर्शन के बारे में थोड़ा कुछ जानने-समझने की कोशिश की। जबकि उससे पहले दो कड़ियों में इन प्रश्नों पर विचार किया…

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माँ की ममता से बड़ी कोई शक्ति नहीं

आज शाम गायत्री मन्दिर जाना हुआ। वहाँ जाता हूँ तो अक्सर कोई न कोई बुज़ुर्ग मिल जाता है। उनसे बातें करता हूँ, तो कुछ नया…

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बंगाल, भाजपा और क्लबहाउस

क्लबहाउस (ऐपल यूजर्स के लिए बतकही का अड्डा) पर चुनाव रणनीतिकार प्रशान्त किशोर के साथ चुनिन्दा पत्रकारों (पढ़ना चाहिए, मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी के आलोचक) की बातचीत लीक…

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शान्ति और स्थिरता व्यक्तित्व में गहराई से आती है..

अक्सर कहा जाता है, ‘गहरी नदी का बहाव हमेशा शान्त होता है।’ एकदम सही है। लेकिन क्या इसी ‘कहन’ का दूसरा पहलू ये नहीं है…

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कुमार गन्धर्व : जिनके गाए ‘निर्गुण’ से गुण-अवगुण परिभाषित कर पाता हूँ!

भारतीय मनीषा, विलक्षण संगीतकार और महान गायक पंडित कुमार गंधर्व का आज जन्मदिन है। कर्नाटक से मालवा के देवास में आ बसे। फिर यहीं जीवनभर…

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‘मत कर तू अभिमान’ सिर्फ गाने से या कहने से नहीं चलेगा!

पूरा जीवन राय बनाने में, विचारों को संश्लित करने में, सघन अनुभूतियों की जमीन को उर्वरा बनाने में ही निकलता नज़र आ रहा है। यह…

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आचार्य चार्वाक के मत का दूसरा नाम ‘लोकायत’ क्यों पड़ा?

भरत अपने ननिहाल से वापस अयोध्या पहुँचते हैं। अयोध्या में स्थितियाँ बहुत विकट थीं। एक तरफ राज सिंहासन प्रतीक्षा कर रहा था। दूसरी तरफ पिता की…

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चार्वाक हमें भूत-भविष्य के बोझ से मुक्त करना चाहते हैं, पर क्या हम हो पाए हैं?

आचार्य चार्वाक बड़ी सुन्दर बात कहते हैं। उनकी बातें आज वर्तमान युग के एकदम अनुकूल हैं। बल्कि एक विचार तो यह भी हो सकता है कि वर्तमान बैंकिंग प्रणाली में प्रचलित…

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रातभर नदी के बहते पानी में पाँव डालकर बैठे रहना…फिर याद आता उसे अपना कमरा

उजालों में अँधेरे देखने का आदी था वो। जब दुनिया जागती, उसे लगता कि अब सूरज ढला है। रातभर नदी के बहते पानी में पाँव डालकर बैठे रहना…फिर…

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