एक मीना बाज़ार लगता था, हर वर्ष नवरात्रि में। उसमें घूमने जाने का मज़ा ही कुछ और होता था। बड़े-बड़े झूले उसकी पहचान थी। कई…
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सोचिए कि जो हुआ, जो कहा, जो जाना, क्या वही अंतिम सत्य है
तैत्तिरीय उनिषद् में एक प्रसंग है। ऋषि भृगु और उनके पिता का। ऋषि भृगु अपने पिता वरुण के पास जाते हैं और पूछते हैं, परमात्मा…
View More सोचिए कि जो हुआ, जो कहा, जो जाना, क्या वही अंतिम सत्य हैस्मृतियों के जंगल मे यादें कभी नहीं मरतीं
दो बार फोन लगाया पर नहीं उठाया, आख़िर रख दिया। सोचा कि अगला ड्यूटी पर होगा और जब समय मिलेगा तो ख़ुद कर लेगा। आख़िर…
View More स्मृतियों के जंगल मे यादें कभी नहीं मरतींजो क्षमा करे वो महावीर, जो क्षमा सिखाए वो महावीर…
एक सेठ ने अपने छोटे भाई को व्यापार शुरू करने के लिए कुछ धन दिया। लेकिन छोटे भाई ने व्यापार जमने के बाद धन वापस…
View More जो क्षमा करे वो महावीर, जो क्षमा सिखाए वो महावीर…विचित्र हैं हम.. जाना भीतर है और चलते बाहर हैं, दबे पाँव
जिनसे उम्र भर लड़ते-भिड़ते रहते हैं, वे एक दिन हम सबसे दूर हो जाते हैं। सदा के लिए संसार त्याग देते हैं। हम दुख मनाते…
View More विचित्र हैं हम.. जाना भीतर है और चलते बाहर हैं, दबे पाँवबौद्ध अपनी ही ज़मीन से छिन्न होकर भिन्न क्यों है?
अभी तक विविध कड़ियों के माध्यम से बुद्ध के सिद्धान्तों, उपदेशों, उनके जीवन की घटनाओं का परिचय प्राप्त किया। इन विविध प्रसंगों से यह ज्ञात होता…
View More बौद्ध अपनी ही ज़मीन से छिन्न होकर भिन्न क्यों है?किसी के भी अतीत में जाएँगे तो कीचड़ के सिवा कुछ नहीं मिलेगा
किसी के भी अतीत में जाएँगे तो कीचड़ के सिवा कुछ भी नहीं मिलेगा। मेरे से लेकर तुम्हारे अतीत तक इतना कीचड़ है कि हम…
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प्राचीन काल में काशी राज्य पर ब्रह्मदत्त नाम के राजा राज्य करते थे। कहते हैं, उन्हीं के समय में एक पहाड़ी पर बोधिसत्त्व (बुद्ध) ने…
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बहुत पुरानी बात है। बोलपुर (पश्चिम बंगाल) के स्टेशन पर आधी रात थी। छोटा सा स्टेशन और मुसाफ़िरख़ाने में सात-आठ यात्री इन्तज़ार कर रहे थे।…
View More आधा-अधूरा रह जाना एक सच्चाई है, वह भी दर्शनीय हो सकती हैहमेशा सौम्य रहने वाले बुद्ध अन्तिम उपदेश में कठोर क्यों होते हैं?
भगवान बुद्ध अपने अन्तिम उपदेश में बड़ी कठोर बात करते हैं। हालाँकि अभी तक हम बुद्ध को जहाँ भी देखते हैं हमेशा सौम्य, शान्त, सहज…
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