मैं अगर चाय छोड़ सकता हूँ, तो यक़ीन करना चाहिए- कोई कुछ भी कर सकता है

चाय। चाय केवल इसीलिए नहीं पी जाती कि अच्छी लगती है। चाय पीने के और भी कई कारण हो सकते हैं। चाय आदर-सत्कार की अनिवार्य…

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काश, चाँद की आभा भी नीली होती, सितारे भी और अंधेरा भी नीला हो जाता!

इसी गाढ़ी नीली दीवार के पीछे लटका है, माघ के शुक्ल पक्ष का चाँद, जो पूनम से होते हुए आज चौथ पर एक चौथाई कम हो गया…

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‘चारु-वाक्’…औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होए!

बुद्ध दर्शन। ये परवर्ती दर्शन है। लेकिन बुद्ध दर्शन परम्परा का आदि दर्शन है, ‘चार्वाक दर्शन’। सवाल हो सकता है कि यह बौद्ध परम्परा का…

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मैं 70-80 के दशक का बचपन हूँ…

ये लाइनें किसने लिखीं, पता नहीं। लेकिन जिसने भी लिखीं, क्या खूब और कितनी सच्ची लिखी हैं। दिल से लिखी हैं। सीधे दिल तक पहुँचती…

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जब कोई विमान अपने ताकतवर पंखों से चीरता हुआ इसके भीतर पहुँच जाता है तो…

हम सब अपने एकांत में बेहद क्रूर और दुराचारी होते हैं। भीड़ में बेहद डरपोक और शिष्ट। याद आता है कि कैसे एक शान्त नदी अपने…

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परम् ब्रह्म को जानने, प्राप्त करने का क्रम कैसे शुरू हुआ होगा?

क्या है कि बहुत से मनुष्यों की प्रकृति बेचैन रहने की होती है। उनको कुछ ना कुछ चाहिए, जिसमें वे उलझे रहें। ऐसे ही कुछ लोगों…

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सही है, भारतीय संस्कृति तभी विकसित हो सकी, जब जीवन व्यवस्थित था!

#अपनीडिजिटलडायरी पर भारतीय दर्शन श्रृंखला का पहला लेख पढ़ा। शुरुआत बहुत अच्छी है। मेरी भी यही मान्यता है कि भारतीय संस्कृति अपने उदातग स्वरूप में, समृद्ध…

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किसी ने पूछा कि पेड़ का रंग कैसा हो, तो मैंने बहुत सोचकर देर से ज़वाब दिया – नीला!

एक दीवार है, जो गाढ़ी नीली रँगी है। जब कमरा बना था, तो इस पिछली दीवार को गाढ़ा नीला रंग लगाया था। ठीक पिछले पड़ोसी की दीवार से लगकर इसे कंक्रीट की छत पर उठाया था, जो अब इस कमरे की ज़मीन बन गई…

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भारतीय दर्शन की उत्पत्ति कैसे हुई होगी?

भारतीय संस्कृति में समस्त विद्याओं का स्रोत यानि पैदा होने का स्थान वेद को माना जाता है। इसीलिए यह निश्चित है भारतीय दर्शन का मूल…

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महिला जब इरादा ठान लेती है, तो सबको उसके साथ कदमताल करनी पड़ती है!

महान् गुणों से ओत-प्रोत महिलाएँ समर्थ थीं, हैं और रहेंगी भी। क्योंकि उनमें तमाम विपरीतताओं के बावज़ूद उस सामर्थ्य को हासिल कर लेने का इरादा…

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