‘न्यूटन’ फिल्म में अभिनेता राजकुमार राव दूरस्थ आदिवासी गाँव में चुनाव करवा रहे हैं। वे बूथ पर अपने सहयोगियों से पूछते हैं कि क्या वे…
View More लगातार भारहीन होते जाना ही जीवन हैTag: अपना पन्ना
बुद्ध तो मतभिन्नता का भी आदर करते थे, तो उनके अनुयायी मतभेद क्यों पैदा कर रहे हैं?
जब भी बुद्ध को पढ़ता हूँ तो पाता हूँ, आधुनिक भारत के बौद्ध व्याख्याकारों और बौद्धधर्मियों ने बुद्ध को सनातन के विरुद्ध खड़ा कर दिया…
View More बुद्ध तो मतभिन्नता का भी आदर करते थे, तो उनके अनुयायी मतभेद क्यों पैदा कर रहे हैं?महामारी सिर्फ वह नहीं जो दिखाई दे रही है!
हम सब स्तब्ध हैं। निशब्द हैं। दिमाग़ पंगु हो गया है। यदि कोई इस समय ज़रूरी मुद्दे या काम की बात कर ज्ञान-विज्ञान, समाज, संस्कृति,…
View More महामारी सिर्फ वह नहीं जो दिखाई दे रही है!भारत की मुक्ति के लिए आज क्यों गाँधी जी के उद्धार की ज़रूरत है?
गाँधी जी भारत की तरह चिरन्तन हैं। वे भारत की महानता, बल, कमजोरी, सीमाएँ और सम्भावनाओं के प्रतीक हैं। जयन्ती के बहाने एक बार फिर…
View More भारत की मुक्ति के लिए आज क्यों गाँधी जी के उद्धार की ज़रूरत है?“गए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास”
बुद्ध की विशेषता है कि वे एकदम उपदेश देना शुरू नहीं कर देते। घूमते-फिरते बैठे सामान्य पर्यावरण में सहज होकर मित्रवत् बातें करते हुए…
View More “गए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास”देखना सहज है, उसे भीतर उतार पाना विलक्षण, जिसने यह साध लिया वह…
आसमान में जब भी देखा, एक नहीं हजार आकार नजर आए। भिन्न-भिन्न प्रकार के। किसी ने उनके हू-ब-हू चित्र बना दिए। किसी ने मिट्टी से…
View More देखना सहज है, उसे भीतर उतार पाना विलक्षण, जिसने यह साध लिया वह…कोई है ही नहीं ईश्वर, जिसे अपने पाप समर्पित कर हम मुक्त हो जाएँ!
बुद्ध बड़े मनोवैज्ञानिक व्यक्ति हैं। उन्होंने मनुष्य के मन को समझा और पाया कि मनुष्य हर समय पाप-पुण्य के फेर में पड़ा रहता है। इसलिए…
View More कोई है ही नहीं ईश्वर, जिसे अपने पाप समर्पित कर हम मुक्त हो जाएँ!पहचान खोना अभेद्य किले को जीतने सा है!
अभी धूप भी थी और बरसात भी। बचपन में ऐसी स्थिति में हम कहते थे चिड़ा-चिड़ी का ब्याह हो रहा है। बड़ा प्रतीक है, मौसम…
View More पहचान खोना अभेद्य किले को जीतने सा है!बुद्ध कुछ प्रश्नों पर मौन हो जाते हैं, मुस्कुरा उठते हैं, क्यों?
एक बार बुद्ध के पास मौलुंकपुत्त नामक व्यक्ति आया। उसने बुद्ध से पूछा कि क्या वाक़ई ईश्वर है? बुद्ध ने ज़वाब दिया, “क्या वाक़ई में…
View More बुद्ध कुछ प्रश्नों पर मौन हो जाते हैं, मुस्कुरा उठते हैं, क्यों?पूर्णता ही ख़ोख़लेपन का सर्वोच्च और अनन्तिम सत्य है!
सुनता है गुरु ज्ञानी, गगन में आवाज़ हो रही झीनी-झीनी। —— अड़सठ घाट भीतर हैं, कहाँ जाना है? न गंगा, न यमुना, सुमिरन कर ले…
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