काबुलीवाला से संयुक्त राष्ट्र- हम अफ़ग़ानिस्तान के ड्रायफ्रूट्स के लिए चिन्तित हैं!

काबुलीवाला … हाँ, वही काबुलीवाला। याद ही होगा सबको। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ की कहानी का पात्र काबुलीवाला। पाँच साल की बच्ची मिनी का अधेड़ दोस्त काबुलीवाला।…

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संस्कृति को किसी कानून की ज़रूरत कहाँ होती है?

उस वक्त शाम के 5.25 बज रहे थे। मैं जर्मनी में अपने एक ग्राहक के साथ उनके दफ़्तर में बैठा हुआ था। बातचीत जारी थी कि…

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इंसान की असली परख कैसे होती है?

एक पुरानी कहानी है। एक राजा हुआ करता था। उसका नियम था कि उसके शहर के हाट-बाजार में जो भी सामान नहीं बिकता, उसे वह खरीद…

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आज़ादी का 75वां साल : तंत्र और जन के बीच अब भी एक डंडे का फ़ासला!

और उस दिन ‘तंत्र’ की ‘जन’ से मुलाकात हो गई। पाठकों को लग सकता है कि भाई ‘तंत्र’ और ‘जन’ दोनों की मुलाकात का क्या चक्कर…

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हिन्दी के मुहावरे, बड़े ही बावरे

हिन्दी का थोडा़ आनन्द लेते हैं। हिन्दी के मुहावरों की भाषा, उनकी अहमियत, उनकी ख़ासियत समझने की कोशिश करते हैं। हालाँकि इस ख़ूबसूरती से इन मुहावरों को चन्द…

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“बापू, अब तो मुझे आत्मग्लानि होने लगी है। ख़ुद पर ही शर्म आने लगी है।”

अरसा हो गया। इतने वर्षों से बापू को एक ही पोजिशन में बैठे हुए देखते-देखते। झुके हुए से कंधे। बंद आँखें। भावविहीन चेहरा। कहने की जरूरत…

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दो जासूस, करें महसूस कि जमाना बड़ा खराब है…

दो जासूस, दोनों के दोनों प्रगतिशील किस्म के। देश-दुनिया की समस्याओं पर घंटों चर्चा करके कन्क्लूजन को अपनी तशरीफ़ वाली जगह पर छोड़कर जाने वाले। दोनों…

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अपने बच्चों से हमें बाज की परवाज़ सी उम्मीद कब करनी चाहिए?

बड़ी मौज़ूँ है ये कहानी। अभी जब जापान की राजधानी में टोक्यो में ओलम्पिक खेल चल रहे हैं, तब ख़ास तौर पर। बाज या शाहीन, जिसे…

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जगन्नाथ की मूर्तियों का सन्देश, अधीरता का हासिल अधूरापन होता है

उस ज़माने में ओडिशा या उत्कल प्रदेश के राजा हुआ करते थे इन्द्रद्युम्न। भगवान नीलमाधव, यानि श्रीहरि, श्रीकृष्ण के भक्त थे। कहते हैं, उन्हें एक रोज…

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एक किस्सा..पीठ पीछे की बातों में दिलचस्पी लेने, यकीन करने वालों के लिए!

प्राचीन ग्रीस की कहानी है। वहाँ के एक बड़े दार्शनिक हुए हैं, सुकरात। एक बार कोई परिचित उनके पास आए। आते ही बड़ी आतुरता से कहने लगे,…

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