“हाँ! तुम्हारी बहन ने मुझे यह भेंट दी थीं,” फिर कुछ ठहर कर बोली, “और ये चाँदी की पायल भी। मुझे हमेशा पता होता है…
View More ‘मायावी अंबा और शैतान’ : मुझे अपना ख्याल रखने के लिए किसी ‘डायन’ की जरूरत नहीं!Tag: सरोकार
सँभलो हुक़्मरान ; यमुना ने नहीं, दिल्ली दरबार की चौखट पर ‘यमराज’ ने आमद दी है!
इस बार दिल्ली में यमुना ने त्राहिमाम् मचा दिया। सुर्ख़ियों में बताया गया कि क़रीब 45 साल बाद दिल्ली ऐसी बाढ़ में डूबी है। यमुना…
View More सँभलो हुक़्मरान ; यमुना ने नहीं, दिल्ली दरबार की चौखट पर ‘यमराज’ ने आमद दी है!‘मायावी अंबा और शैतान’ : वह उस दिशा में बढ़ रहा है, जहाँ मौत निश्चित है!
नकुल जानता था कि वह बागियों के दल में सक्रिय सदस्य के तौर पर शामिल होने के लिए कभी पूरी तरह तैयार नहीं था। अभी…
View More ‘मायावी अंबा और शैतान’ : वह उस दिशा में बढ़ रहा है, जहाँ मौत निश्चित है!प्रकृति की विनाश-लीला अस्ल में हमारी विकास-लीला का ज़वाब है, चेत जाइए!
आज, 11 जुलाई को पूरी दुनिया में ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाया गया। भारत में इस बार यह अवसर दो अर्थों में ख़ास रहा। पहला- इसलिए…
View More प्रकृति की विनाश-लीला अस्ल में हमारी विकास-लीला का ज़वाब है, चेत जाइए!‘मायावी अंबा और शैतान’ : सुअरों की तरह हम मार दिए जाने वाले हैं!
कुछ मर्दों के सीने में न, जैसे कोई किरच होती है। इससे उनका दिल ऐसे ठंडा हो जाता है, जैसे बर्फ का लौंदा। लेकिन तारा…
View More ‘मायावी अंबा और शैतान’ : सुअरों की तरह हम मार दिए जाने वाले हैं!‘दिल्ली रोबोटिक्स लीग’ : स्कूली बच्चों के लिए एक सरकारी आयोजन… कभी, कहीं सुना है?
शिक्षा या ज्ञान मानव जीवन में हासिल की जाने वाली सबसे उत्कृष्ट और सबसे अद्भुत चीज है। अगर मानव को शिक्षित होने का अवसर मिल…
View More ‘दिल्ली रोबोटिक्स लीग’ : स्कूली बच्चों के लिए एक सरकारी आयोजन… कभी, कहीं सुना है?‘मायावी अंबा और शैतान’ : बुढ़िया, तूने उस कलंकिनी का नाम लेने की हिम्मत कैसे की!
……“तुम इस बच्ची के भीतर क्यों हो?” ओझन ने हम से सवाल किया लेकिन उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि हम उसे जवाब…
View More ‘मायावी अंबा और शैतान’ : बुढ़िया, तूने उस कलंकिनी का नाम लेने की हिम्मत कैसे की!‘मायावी अंबा और शैतान’ : “मर जाने दो इसे”, ये पहले शब्द थे, जो उसके लिए निकाले गए
# उसे # “मर जाने दो उसे”, ये पहले शब्द थे, जो जन्म के समय उसके लिए निकाले गए। हमें पता है क्योंकि हम वहीं…
View More ‘मायावी अंबा और शैतान’ : “मर जाने दो इसे”, ये पहले शब्द थे, जो उसके लिए निकाले गए‘मायावी अंबा और शैतान’ : मौत को जिंदगी से कहीं ज्यादा जगह चाहिए होती है!
अब तक वहाँ का माहौल ऐसा हो चुका था जैसे कुछ बड़ा होने वाला हो। मगर वे लोग जिस प्राचीन ‘हबीशी’ जनजाति से ताल्लुक रखते…
View More ‘मायावी अंबा और शैतान’ : मौत को जिंदगी से कहीं ज्यादा जगह चाहिए होती है!मायावी अंबा और शैतान : “अरे ये लाशें हैं, लाशें… इन्हें कुछ महसूस नहीं होगा”
तभी तेज हवा का थपेड़ा अंबा के चेहरे से टकराया और उसके गले से होते हुए भीतर पेट तक उतर गया। इससे उसे ऐसा लगा…
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