पुणे के लालमहाल में जिजाऊ साहब और पश्चिमी महाराष्ट्र के पहाड़ी दर्रों में, मावल में, दादाजी पन्त की निगरानी में शिवाजी राजे पल रहे थे।…
View More शिवाजी ‘महाराज’ : दुष्टों को सजा देने के लिए शिवाजी राजे अपनी सामर्थ्य बढ़ा रहे थेTag: सरोकार
शिवाजी ‘महाराज’ : आदिलशाही फौज ने पुणे को रौंद डाला था, पर अब भाग्य ने करवट ली थी
शिवाजी राजे शुक्ल पक्ष की चन्द्रलेखा की तरह बढ़ रहे थे। रामायण, महाभारत, शास्त्र-पुराण वह एकतानता से सुन रहे थे। महारुद्र हनुमानजी की शक्ति और…
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क्या आपको भी फरवरी में पसीना आ रहा हैं? अगर हाँ तो यह आपकी नहीं, बल्कि पर्यावरण की खराब सेहत का नतीज़ा है। यह महज…
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सह्याद्रि के माथे और तलहटी में फैला मावल का आँचल उफनते नदी-नालों तथा तुकाराम महाराज की तेजस्वी अभंगवाणी से सिंचित था। गुलामी एवं गँवारपन के…
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शिवाजी राजे शिवनेरी किले पर झूल रहे थे। झूला झुलाती जिजाऊ की आँखों में भी सतरंगी सपने झूल रहे थे। शिवबा की घुड़दौड़ के सीमोल्लंघन…
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बीजापुर के आदिलशाह ने कुछ ही समय में शहाजी राजे की स्वतंत्र रूप से राज करने की कोशिश नाकाम कर दी। रायाराव नामक सरदार को…
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लखुजी और शहाजी (श्वसुर-दामाद) में सदा के लिए मनमुटाव हो गया। वे एक-दूसरे के बैरी हो गए। लेकिन शहाजी राजे और जिजाऊ साहब में पहले…
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शूर मराठा सरदार रिश्तों में बँधकर एक हो जाते। फिर भी आँखों पर पट्टी बाँधकर अँधेरे को बुलावा भेजते। और सभी उस अँधेरे में गिरते-पड़ते…
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अमावस की काली रात गहरा रही थी। यातनाओं से छुटकारा दिलानेवाला भी तो कोई हो। किसको टेरें? सुनकर दौड़ आने वाले श्रीहरि भी तो अब…
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महाराष्ट्र के यादव राजाओं की राजधानी थी देवगिरि (आज का दौलताबाद, औरंगाबाद)। मराठों का गरुड़ध्वज देवगिरी पर शान से फहरा रहा था। यादव राजा अपने…
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