मृच्छकटिकम्-18 : सत्य कहिए, सत्य बोलने से सुख प्राप्त होता है

अनुज राज पाठक, दिल्ली से

चारुदत्त न्यायाधीश से विदूषक को अपने निर्दोष होने की गवाही के लिए बुलाने का अनुरोध करता है। इसके बाद विदूषक के आने की प्रतीक्षा करते हुए न्यायाधीश से कहता है, “मैंने विदूषक को वसंतसेना का समाचार जानने और उसने जो आभूषण रोहसेन को गाड़ी बनवाने को दिए थे, वे वापस करने भेजा है। लेकिन अभी तक आया नहीं। जबकि बहुत देर हो गई है।”

विदूषक किसी कारणवश वसंतसेना को आभूषण पहुँचाने नहीं जा पाता क्योंकि उसे मार्ग में ही सेवक से यह ज्ञात होता है कि “चारुदत्त को न्यायालय बुलाया है”। इसलिए वह पहले न्यायालय की तरफ चल देता है।

कुछ प्रतीक्षा के बाद विदूषक के पहुँचने पर चारुदत्त पूरी घटना का वर्णन करता है। इससे विदूषक क्रोधित हो वहीं शकार को डंडे से मारने के लिए तैयार हो जाता है। विदूषक न्यायाधीश से चारुदत्त के पूर्व में किए अच्छे कामों की सराहना करते हुए दोषमुक्त करने का अनुरोध करता है। उसी दौरान विदूषक के पास से कुछ आभूषण नीचे गिर जाते हैं। जिन्हें देख “वसंतसेना के आभूषण विदूषक के पास हैं, इसलिए चारुदत्त दोषी है”, ऐसा शकार बार-बार कहता है।

विदूषक चरुदत्त से सच बताने को कहता है।

चारुदत्त : मित्र! राजा के अधिकारियों की आँखें कमजोर होती हैं। वे सही बातें नहीं देख पातीं। इनके सामने दीनतायुक्त वचन बोलना मेरे लिए मरण के समान है। (दुर्बलं नृपतेश्चक्षुर्नैतत् तत्त्वं निरीक्षते। केवलं वदतो दैन्यमश्लाघ्यं मरणं भवेत्।)

न्यायाधीश (वसंतसेना की माता से) : देखकर बताओ ये आभूषण वसंतसेना के हैं?

वृद्धा : नहीं, वे उनकी तरह नहीं हैं।

न्यायाधीश (चारुदत्त से) : आप इन आभूषणों को पहचनाते हैं?

चारुदत्त : हाँ, ये आभूषण वसंतसेना के हैं।

न्यायाधीश : सत्य कहिए, सत्य बोलने से सुख प्राप्त होता है। सत्य बोलने से पाप नहीं होता।

चारुदत्त : ये आभूषण वे ही हैं। यह तो मैं नहीं जानता, लेकिन मेरे घर से आए हैं।

शकार : सत्य बोलो, तुमने उसे मार डाला।

चारुदत्त : पापरहित कुल में जन्म लिया है, इसलिए मुझ में पाप की संभावना नहीं है।

न्यायाधीश शकार के कहने पर चरुदत्त को पकड़ने को कह, शोधनक से घटना की सूचना राजा ‘पालक’ को देने का आदेश देता है।

राजा चारुदत्त को शूली पर चढ़ाने का आदेश दे देता है। इसे सुनकर चारुदत्त कहता है “विवेकहीन राजा निश्चित नष्ट हो जाते हैं”

चांडाल सैनिकों के साथ चारुदत्त को बाँधकर श्मशान की तरफ ले चलते हैं।

जारी….
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(अनुज राज पाठक की ‘मृच्छकटिकम्’ श्रृंखला हर बुधवार को। अनुज संस्कृत शिक्षक हैं। उत्तर प्रदेश के बरेली से ताल्लुक रखते हैं। दिल्ली में पढ़ाते हैं। वहीं रहते हैं। #अपनीडिजिटलडायरी के संस्थापक सदस्यों में एक हैं। इससे पहले ‘भारतीय-दर्शन’ के नाम से डायरी पर 51 से अधिक कड़ियों की लोकप्रिय श्रृंखला चला चुके हैं।)

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