जीने की सम्भावनाओं के बीच हम जीने के बजाय अमर होने की चाह लिए रहते हैं। अपने हर कर्म, विचार को इस कसौटी पर तौलते…
View More …पर क्या इससे उकताकर जीना छोड़ देंगे?Category: चुनिन्दा पन्ने
सम्यक् ज्ञान : …का रहीम हरि को घट्यो, जो भृगु मारी लात!
जो चीज जैसी है, उसे वैसे ही जानना, न कम, न ज़्यादा, अवस्था के अनुरूप जानना, उसका सम्यक् बोध होना ही सम्यक् ज्ञान है। सम्यक् ज्ञान…
View More सम्यक् ज्ञान : …का रहीम हरि को घट्यो, जो भृगु मारी लात!हम सब बेहद तकलीफ में है ज़रूर, पर रास्ते खुल रहे हैं
परछाइयाँ बहुत गहरी हैं। हम सब बहुत तकलीफ़ में हैं। उम्र का लम्बा पड़ाव बीत गया है और कुल जमा हासिल अगर यह था या…
View More हम सब बेहद तकलीफ में है ज़रूर, पर रास्ते खुल रहे हैंजीवन इसी का नाम है, ख़तरों और सुरक्षित घेरे के बीच से निकलकर पार हो जाना
भीड़भरे शहरों में अक्सर रहा हूँ, जहाँ ट्रैफिक सिग्नल को देखते-समझते ही उम्र के दशक गुजरते जाते हैं। हम भीड़ में फँसे हों और सामने…
View More जीवन इसी का नाम है, ख़तरों और सुरक्षित घेरे के बीच से निकलकर पार हो जानाजीवन में हमें ग़लत साबित करने वाले बहुत मिलेंगे, पर हम हमेशा ग़लत नहीं होते
एक मैयत में गया था आज। घर में तो सब ठीक था। रास्ते में भी दुख उमग रहा था। पर श्मशान में मुखाग्नि से कपाल क्रिया के…
View More जीवन में हमें ग़लत साबित करने वाले बहुत मिलेंगे, पर हम हमेशा ग़लत नहीं होतेस्वच्छता अभियान पर गैर-राजनीतिक चर्चा!
दो अधेड़ और काफ़ी हद तक प्रबुद्ध सुअर, हाँ भाई सुअर ही, अपनी किसी राष्ट्रीय समस्या पर चर्चा कर रहे हैं। चूँकि दोनों प्रबुद्ध हैं तो सुअर होने की…
View More स्वच्छता अभियान पर गैर-राजनीतिक चर्चा!ऊँचाईयाँ नीचे देखने से मना करती हैं
एक मीना बाज़ार लगता था, हर वर्ष नवरात्रि में। उसमें घूमने जाने का मज़ा ही कुछ और होता था। बड़े-बड़े झूले उसकी पहचान थी। कई…
View More ऊँचाईयाँ नीचे देखने से मना करती हैंस्मृतियों के जंगल मे यादें कभी नहीं मरतीं
दो बार फोन लगाया पर नहीं उठाया, आख़िर रख दिया। सोचा कि अगला ड्यूटी पर होगा और जब समय मिलेगा तो ख़ुद कर लेगा। आख़िर…
View More स्मृतियों के जंगल मे यादें कभी नहीं मरतींविचित्र हैं हम.. जाना भीतर है और चलते बाहर हैं, दबे पाँव
जिनसे उम्र भर लड़ते-भिड़ते रहते हैं, वे एक दिन हम सबसे दूर हो जाते हैं। सदा के लिए संसार त्याग देते हैं। हम दुख मनाते…
View More विचित्र हैं हम.. जाना भीतर है और चलते बाहर हैं, दबे पाँवराजनीति का पटाखा बाज़ार : मोदी बम, सिद्धू रॉकेट, केजरी तड़तड़ी.. और भी बहुत कुछ!
अब मार्केट में देवी-देवताओं के नाम वाले बम और पटाखे तो नहीं हैं, लेकिन नेताओं के नाम वाले पटाखों की भरमार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा है कि पटाखे पॉल्यूशन-फ्री होने चाहिए। यानि उनसे किसी तरह का प्रदूषण न फैले। लेकिन इन नेता छाप पटाखों पर ये दिशा-निर्देश लागू नहीं होते। इसलिए आम आदमी…
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