वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध का पुनर्जन्म और धर्मचक्रप्रवर्तन

वन में वैशाख पूर्णिमा को जन्मा राजकुमार फिर वन की तरफ चल दिया। पुनः जन्म लेने हेतु। वह राजगृह के घने वनों में भटकता रहा।…

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लगता है, हम सब एक टाइटैनिक में इस समय सवार हैं और जहाज डूब रहा है

यहाँ आसमान में कड़क बिजलियाँ चमक रही है। बादलों की गड़गड़ाहट में किसी की आवाज सुनाई नहीं देती। बरसात की बूंदें बड़े ओलों के रूप में…

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सिद्धार्थ के बुद्ध हो जाने की यात्रा की भूमिका कैसे तैयार हुई?

लगभग 2,600-2,700 वर्ष पूर्व भारत-भारती पर भासमान भास्कर का उदय हुआ। उसने भारत ही नहीं, सम्पूर्ण विश्व को प्रकाशित किया। यह सूर्योदय कपिलवस्तु के सिंहासन…

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विवादित होने पर भी चार्वाक दर्शन लोकप्रिय क्यों रहा है?

इस श्रृंखला में ‘चार्वाक दर्शन’ की यह अन्तिम कड़ी है, ऐसा विचार कर चार्वाक दर्शन के विषय में संक्षेप में कुछ बातें रखने का प्रयास करते हैं।…

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हिन्दी, हिंग्लिश, तमिलिश

देश के जाने-माने चित्रकार, कहानीकार, संपादक, आकाशवाणी अधिकारी और टेलीफिल्म निर्माता प्रभु जोशी जी ने इसी चार मई को हमेशा के लिए आँखें बन्द कर…

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दर्शन हमें परिवर्तन की राह दिखाता है, विश्वरथ से विश्वामित्र हो जाने की!

भौतिक उन्नति करना यानि आज के सन्दर्भ में कहें तो पैसा कमाना। सामान्य तौर पर इसे बुरा नहीं माना जाता। लेकिन हमें यह पता होना चाहिए कि जीवन…

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गुरुदेव कहते हैं, ‘एकला चलो रे’ और मैं एकला चलता रहा, चलता रहा…

पानी नीला था, पानी नदी में था। नदी धरती पर थी, धरती पर पेड़ थे। पर पेड़ हरे-भरे थे। धरती के ऊपर एक आसमान था।…

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यह वैश्विक महामारी कोरोना हमें किस ‘दर्शन’ से साक्षात् करा रही है?

अभी  22 अप्रैल को ‘पृथ्वी दिवस’ था। यह पहला अवसर है, जब पूरी दुनिया के ‘मानव’ एक ही समय में एक जैसी महामारी से पीड़ित है।…

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स्मृतियों के धागे से वक़्त को पकड़ता हूँ, ताकि पिंजर से आत्मा के निकलने का नाद गूँजे

यह भी शुरुआत ही है। लगता है कि सब कुछ ख़त्म हो गया है। जीवन कुल चार मकानों के इर्द-गिर्द समेट कर रख लिया है…

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‘द बिग बुल’ के बहाने, हेमन्त शाहों को पहचानें, जो हमारे सपनों का मोल-भाव कर रहे हैं

‘द बिग बुल’ अभिषेक बच्चन की फिल्म है। उन्होंने इसमें अपनी अभिनय क्षमता को खरा सोना साबित करने के लिए जी-तोड़ मेहनत की है। हालाँकि फिल्म…

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