डायरी की सबसे पठनीय श्रृंखलाओं में से एक, एकांत की अकुलाहट का दिन बदला

जाने-माने लेखक संदीप नाईक जी की ‘एकांत की अकुलाहट’ श्रृंखला का हम दिन बदल रहे हैं। इस श्रृंखला की अगली कड़ियॉ॑ अब हर शनिवार को…

View More डायरी की सबसे पठनीय श्रृंखलाओं में से एक, एकांत की अकुलाहट का दिन बदला

माँ की ममता, घर की विवशता और डॉक्टर का फ़र्ज़

जीवन में कई बार छोटी-छोटी कहानियाँ बड़ी सीख दे जाती हैं। लेकिन वे कहानियाँ सबसे सुन्दर होती हैं, जो इंसानियत का पाठ पढ़ाती हैं। इस छोटी-सी कहानी…

View More माँ की ममता, घर की विवशता और डॉक्टर का फ़र्ज़

भेदभावविनाशकं खलु दिव्यभाषा संस्कृतम्

धर्म, जाति, भाषा के नाम पर एक-दूसरे के ख़िलाफ़ खड़े होने की सूचना-सामग्री अथाह है। समाचार माध्यमों और कथित सामाजिक माध्यमों (Social Media) पर ऐसा…

View More भेदभावविनाशकं खलु दिव्यभाषा संस्कृतम्

कुमार गन्धर्व : जिनके गाए ‘निर्गुण’ से गुण-अवगुण परिभाषित कर पाता हूँ!

भारतीय मनीषा, विलक्षण संगीतकार और महान गायक पंडित कुमार गंधर्व का आज जन्मदिन है। कर्नाटक से मालवा के देवास में आ बसे। फिर यहीं जीवनभर…

View More कुमार गन्धर्व : जिनके गाए ‘निर्गुण’ से गुण-अवगुण परिभाषित कर पाता हूँ!

‘मत कर तू अभिमान’ सिर्फ गाने से या कहने से नहीं चलेगा!

पूरा जीवन राय बनाने में, विचारों को संश्लित करने में, सघन अनुभूतियों की जमीन को उर्वरा बनाने में ही निकलता नज़र आ रहा है। यह…

View More ‘मत कर तू अभिमान’ सिर्फ गाने से या कहने से नहीं चलेगा!

पंडित रविशंकर, एक प्रेरक शख़्सियत, जिसने ‘ज़िन्दगी’ को थामा तो उसके मायने बदल दिए

पंडित रविशंकर आज 101 साल के हो गए। ऐसा इसलिए कहना ठीक है, क्योंकि उनके जैसे लोगों की सिर्फ़ देह ही दुनिया छोड़ती है। शख़्सियत…

View More पंडित रविशंकर, एक प्रेरक शख़्सियत, जिसने ‘ज़िन्दगी’ को थामा तो उसके मायने बदल दिए

क्या हम प्रतिभाओं को परखने में गलती करते हैं?

क्या हम प्रतिभाओं को परखने में, उनका आकलन करने में गलती करते हैं? मेरे दिमाग में यह सवाल अक्सर ही आता है। बीते दो-ढाई दशक…

View More क्या हम प्रतिभाओं को परखने में गलती करते हैं?

हिन्दी में लिखना ही तुम्हारी शरण अर्हता का प्रमाण है!

हिन्दी के लेखक लोग #NoToFree चला रहे हैं, माने मुफ़्त में कुछ नहीं। इसके विरोध में मेरा #YesToFree है। मैं सभी तरह के कार्यक्रमों, मंचों,…

View More हिन्दी में लिखना ही तुम्हारी शरण अर्हता का प्रमाण है!

‘चारु-वाक्’…औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होए!

बुद्ध दर्शन। ये परवर्ती दर्शन है। लेकिन बुद्ध दर्शन परम्परा का आदि दर्शन है, ‘चार्वाक दर्शन’। सवाल हो सकता है कि यह बौद्ध परम्परा का…

View More ‘चारु-वाक्’…औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होए!

जब कोई विमान अपने ताकतवर पंखों से चीरता हुआ इसके भीतर पहुँच जाता है तो…

हम सब अपने एकांत में बेहद क्रूर और दुराचारी होते हैं। भीड़ में बेहद डरपोक और शिष्ट। याद आता है कि कैसे एक शान्त नदी अपने…

View More जब कोई विमान अपने ताकतवर पंखों से चीरता हुआ इसके भीतर पहुँच जाता है तो…