बेटा! नाहक गरमी मत दिखा, हमने इसे घर की लक्ष्मी को निकालते देखा है

घटना बहुत पुरानी नहीं है। लेकिन समय वह था, जब देश में धन-समृद्धि अधिक थी। मग़र फिर भी किसी ब्राह्मण का धनवान होना तो एक…

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जब देश के गृह मंत्री बोल रहे हैं तो ख़बरदार, डरना सख़्त मना है!

अगर देश के गृह मंत्री बोल रहे हैं कि अब किसी को डरने की ज़रूरत नहीं है तो फिर वाक़ई डरने की ज़रूरत नहीं ही…

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बौद्ध अपनी ही ज़मीन से छिन्न होकर भिन्न क्यों है?

अभी तक विविध कड़ियों के माध्यम से बुद्ध के सिद्धान्तों, उपदेशों, उनके जीवन की घटनाओं का परिचय प्राप्त किया। इन विविध प्रसंगों से यह ज्ञात होता…

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किसी के भी अतीत में जाएँगे तो कीचड़ के सिवा कुछ नहीं मिलेगा

किसी के भी अतीत में जाएँगे तो कीचड़ के सिवा कुछ भी नहीं मिलेगा। मेरे से लेकर तुम्हारे अतीत तक इतना कीचड़ है कि हम…

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निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोग बड़ी संख्या में नौकरियाँ क्यों छोड़ रहे हैं? 

भारत के बड़े समाचार चैनल में काम करने वाली युवा पत्रकार सौम्या सिंह ने अभी ही नौकरी छोड़ी है। वैसे, यह कोई बड़ी बात नहीं।…

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आधा-अधूरा रह जाना एक सच्चाई है, वह भी दर्शनीय हो सकती है

बहुत पुरानी बात है। बोलपुर (पश्चिम बंगाल) के स्टेशन पर आधी रात थी। छोटा सा स्टेशन और मुसाफ़िरख़ाने में सात-आठ यात्री इन्तज़ार कर रहे थे।…

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…और रावण ने आत्महत्या कर ली!

जैसे-जैसे विजयादशमी नज़दीक आती है, बड़े रावण की छोटे वाले से कोफ़्त बढ़ती जाती है। विजयादशमी के दिन तो वह फूटी आँख नहीं सुहाता। सोचता, यह जितनी…

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लगातार भारहीन होते जाना ही जीवन है

‘न्यूटन’ फिल्म में अभिनेता राजकुमार राव दूरस्थ आदिवासी गाँव में चुनाव करवा रहे हैं। वे बूथ पर अपने सहयोगियों से पूछते हैं कि क्या वे…

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महामारी सिर्फ वह नहीं जो दिखाई दे रही है!

हम सब स्तब्ध हैं। निशब्द हैं। दिमाग़ पंगु हो गया है। यदि कोई इस समय ज़रूरी मुद्दे या काम की बात कर ज्ञान-विज्ञान, समाज, संस्कृति,…

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भारत की मुक्ति के लिए आज क्यों गाँधी जी के उद्धार की ज़रूरत है?

गाँधी जी भारत की तरह चिरन्तन हैं। वे भारत की महानता, बल, कमजोरी, सीमाएँ और सम्भावनाओं के प्रतीक हैं। जयन्ती के बहाने एक बार फिर…

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