सही है, भारतीय संस्कृति तभी विकसित हो सकी, जब जीवन व्यवस्थित था!

#अपनीडिजिटलडायरी पर भारतीय दर्शन श्रृंखला का पहला लेख पढ़ा। शुरुआत बहुत अच्छी है। मेरी भी यही मान्यता है कि भारतीय संस्कृति अपने उदातग स्वरूप में, समृद्ध…

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किसी ने पूछा कि पेड़ का रंग कैसा हो, तो मैंने बहुत सोचकर देर से ज़वाब दिया – नीला!

एक दीवार है, जो गाढ़ी नीली रँगी है। जब कमरा बना था, तो इस पिछली दीवार को गाढ़ा नीला रंग लगाया था। ठीक पिछले पड़ोसी की दीवार से लगकर इसे कंक्रीट की छत पर उठाया था, जो अब इस कमरे की ज़मीन बन गई…

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क्यों आज हमें एक समतामूलक समाज की बड़ी ज़रूरत है?

जिस विषय में बहुत लिखा गया हो, उसके बारे में लिखना कठिन होता है। जिस सम्बन्ध में सबको खूब ज्ञान हो, उस बारे कुछ समझाना…

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कोई दिवस – महिला दिवस नहीं – हर दिन तुम्हारा है…

सुबह उठो, अपने आपको च्यूँटी काटो जागो, अपने उन दो पाँवों को निहारो जो आगे बढ़ते हैं सदैव इन्हीं पाँवों पर तन – मन और आत्मा…

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गुलामी का सुख…‘पाश’ से बँधा, सो पशु!

अख़बारी दफ़्तर में शनिवार-इतवार को अमूमन काम कुछ कम ही हुआ करता है। विशेष तौर पर अगर कोई घटना-दुर्घटना न हो ताे। लिहाज़ा, इसी शनीचर की रात…

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झुकन झुकन से जानिए, झुकन झुकन पहचान!

बड़े बुज़ुर्ग पहले जो बातें कहावतों में कह जाया करते थे, उनकी मार दूर तक होती थी। सटीक निशाने पर लगती थी। शायद इसीलिए किसी ने…

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संगीत और साहित्य का नगरकीर्तन

नगर कीर्तन, सदियों पुरानी एक विशुद्ध भारतीय परम्परा। सुबह-सुबह कुछ लोग जब हरिनाम संकीर्तन, भक्तिपद गाते हुए हमारे दिन को ‘सुदिन’ बनाने के मकसद से…

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13 फरवरी 2021 : तारीख, कंकर के शंकर हो जाने की!

हर पहलू से रोचक-सोचक है, ये दास्तां। दास्तां, एक मजदूर की। दास्तां, उस मजदूर के सबसे सम्मानित शख़्सियतों में शुमार होने की। दास्तां, कंकर के शंकर हो…

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‘कमाल की पाकीज़ा’ का 50वाँ साल

कमाल यूँ ही नहीं होते। सालों-साल लगते हैं, उनके होने में। गढ़ने में, बढ़ने में। लेकिन जब होते हैं, तो यक़ीनी तौर पर सालों-साल ही…

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क्रिकेट मैच ही नहीं, जीवन-संघर्ष में टिके रहने के गुर सिखाता है ‘ब्लॉकेथॉन’

क्रिकेट से तो हम में से तमाम लोग वाकिफ़ हैं, लेकिन क्या ‘ब्लॉकेथॉन’ (Blockathon) को जानते-समझते हैं? सम्भव है, क्रिकेट से ताल्लुक रखने वाले कई…

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