जनता या जनसमूह हमेशा भावना प्रधान माना जाता है। कुछ हद तक होता भी है। उसकी भावनाएँ छोटी-छोटी चीजों पर आहत हो जाती हैं। और…
View More जनतंत्र में ‘जनता जनार्दन’ है, सभी को उसका निर्णय स्वीकार करना चाहिएCategory: चुनिन्दा पन्ने
‘मायावी अम्बा और शैतान’ : मात्रा ज्यादा हो जाए, तो दवा जहर बन जाती है
“तुमने तो हमें डरा ही दिया था। क्या लगा था तुम्हें? इतनी रात को जोतसोमा के घने जंगलों में तुम कहाँ तक पहुँच पाती? ऐसी…
View More ‘मायावी अम्बा और शैतान’ : मात्रा ज्यादा हो जाए, तो दवा जहर बन जाती हैजो दिखता है, वही हमेशा सही नहीं होता, चाहे तो देख लीजिए!
जो दिखता है, वही हमेशा सही नहीं होता। जैसे कि इस वीडियो में। इसे पहली नज़र में देखने पर लगता है, जैसे कोई सिर कटा…
View More जो दिखता है, वही हमेशा सही नहीं होता, चाहे तो देख लीजिए!‘मायावी अम्बा और शैतान’ : डायनें भी मरा करती हैं, पता है तुम्हें
जल्द ही अंबा के सामने जोतसोमा का अथाह घना जंगल था और पीछे भयानक पंजों, दाँतों वाला कोई शिकारी जानवर था शायद, क्रूर मौत की…
View More ‘मायावी अम्बा और शैतान’ : डायनें भी मरा करती हैं, पता है तुम्हेंगुजरात-दिल्ली की आग हमारे सीनों में क्यों नहीं झुलसती?
राजकोट गुजरात में बच्चों के लिए बनाए गए एक गेम जोन में आग लग गई। इस हादसे में 28 लोग मारे गए। इनमें 12 बच्चे…
View More गुजरात-दिल्ली की आग हमारे सीनों में क्यों नहीं झुलसती?मेहनती और संवेदनशील होने के बावज़ूद गधे को ‘गधा’ ही कहते हैं, क्योंकि…
बीते दिनों एक बच्ची ने अपनी माँ से पूछा था, “माँ गधा कितना सीधा-सादा सा जानवर लगता है न? मेहनत भी वह सबसे ज़्यादा करता…
View More मेहनती और संवेदनशील होने के बावज़ूद गधे को ‘गधा’ ही कहते हैं, क्योंकि…भावनाओं के सामने कई बार पैसों की एहमियत नहीं रह जाती, रहनी भी नहीं चाहिए!
निकेश, आपको और कितने पैसे चाहिए? एक नई-नवेली कम्पनी के मानव संसाधन विभाग के मुखिया (सीएचआरओ) ने मुझसे सवाल किया था। वे चाहते थे कि…
View More भावनाओं के सामने कई बार पैसों की एहमियत नहीं रह जाती, रहनी भी नहीं चाहिए!‘मायावी अम्बा और शैतान’ : वह खुद अपना अंत देख सकेगी… और मैं भी!
तहखाने में जंगली पौधे बोल्डो की अजीब सी गंध भरी थी। उसमें अम्लीय नमक और रात भर खौलते सरसों के तेल में डुबोई गईं बादाम…
View More ‘मायावी अम्बा और शैतान’ : वह खुद अपना अंत देख सकेगी… और मैं भी!सब छोड़िए, लेकिन अपना शौक़, अपना ‘राग-अनुराग’ कभी मत छोड़िए
घर से काम करने की सुविधा (वर्क फ्रॉम होम- डब्ल्यूएफएच) ने मुझे मेरे शौक़, मेरे ‘राग-अनुराग’, यानी क्रिकेट के साथ जुड़े रहने की गुंजाइश दी…
View More सब छोड़िए, लेकिन अपना शौक़, अपना ‘राग-अनुराग’ कभी मत छोड़िए‘मायावी अम्बा और शैतान’ : उसने बंदरों के लिए खासी रकम दी थी, सबसे ज्यादा
कैंडी के नजदीक आते ही मथेरा उसकी उम्र का अंदाज लगाने लगा। वह अधेड़ महिला थी, लेकिन उसे देखकर उसकी उम्र का सटीक अनुमान लगाना…
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