अब सुनाई नहीं देगा… लखनऊ से कमाल खान, एनडीटीवी इंडिया के लिए

कमाल खान नहीं रहे… सुबह से इस ख़बर पर यकीन मुश्किल हो रहा है। अब भी जब ये टिप्पणी टाइप कर रहा हूँ तो समझ नहीं आ…

View More अब सुनाई नहीं देगा… लखनऊ से कमाल खान, एनडीटीवी इंडिया के लिए

इन्हें ज़िन्दा रहने की ज़रूरत क्या है?

एक बार फिर पुरानी फाइलों में से कुछ चौंकाने वाले खुलासे हुए।…गैस त्रासदी के मूल दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गई है। ऐसा मुजरिमों को बचाने…

View More इन्हें ज़िन्दा रहने की ज़रूरत क्या है?

प्लांट की सुरक्षा के लिए सब लापरवाह, बस, एंडरसन के लिए दिखाई परवाह

सीजेएम कोर्ट के फैसले का पूर्व जिला न्यायाधीश रेणु शर्मा ने अध्ययन किया। इसमें वे बता रही हैं कि यूनियन कार्बाइड में किस कदर तकनीकी…

View More प्लांट की सुरक्षा के लिए सब लापरवाह, बस, एंडरसन के लिए दिखाई परवाह

हाथ में हुनर है तो हम अपनी हर नकारात्मकता से पार पा सकते हैं!

उस दम्पति को शादी-शुदा जीवन में करीब 60 साल हो चुके थे। वे आपस में हर बात एक-दूसरे से साझा करते थे। हर चीज पर…

View More हाथ में हुनर है तो हम अपनी हर नकारात्मकता से पार पा सकते हैं!

हर आँकड़े का सच प्रजा को मालूम होना ही चाहिए, राजन!

सुबह नित्य कर्म, योगासन और ध्यान-स्नान से फ़ारिग होते ही वे अपने बालों को सँवारने के लिए हमेशा की तरह दर्पण के सामने थे। लेकिन…

View More हर आँकड़े का सच प्रजा को मालूम होना ही चाहिए, राजन!

जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?

उस समय लंदन में ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर थे सर जोसिया चाइल्ड। उनका मानना था कि भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखना कंपनी का कर्त्तव्य है। इसलिए उन्होंने 80,000 पाउंड अदा कर…

View More जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?

योग क्या है, कभी सोचकर देखा क्या हमने?

बीते छह सालों की तरह इस सातवें साल भी 21 जून को दुनियाभर में ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के आयोजन हुए। ख़ूब तस्वीरें दिखीं। तरह-तरह के आसन,…

View More योग क्या है, कभी सोचकर देखा क्या हमने?

संवेदना : एक कहानी, गाय-बछड़े और दो चादर में छिपी भावनाओं की

अख़बारों में अक्सर ही छपने वाली छोटी-छोटी कहानियों पर हम में से कितने लोग ध्यान देते हैं? शायद ही कुछ लोग देते हों। बावज़ूद इसके…

View More संवेदना : एक कहानी, गाय-बछड़े और दो चादर में छिपी भावनाओं की

रसूब, दिल बड़ा होने से बढ़ता है या दिमाग चढ़ा होने से?

निश्चित रूप से यह एक बड़ा सवाल है कि हमारा रसूख यानि ‘स्टेटस’ सही मायने में आखिर बड़ा कैसे होता है? हमारा दिल बड़ा होने…

View More रसूब, दिल बड़ा होने से बढ़ता है या दिमाग चढ़ा होने से?

शान्ति और स्थिरता व्यक्तित्व में गहराई से आती है..

अक्सर कहा जाता है, ‘गहरी नदी का बहाव हमेशा शान्त होता है।’ एकदम सही है। लेकिन क्या इसी ‘कहन’ का दूसरा पहलू ये नहीं है…

View More शान्ति और स्थिरता व्यक्तित्व में गहराई से आती है..