ये आभूषण चारुदत्त के घर से चुराए गए हैं, ऐसा पता चलते ही वसंतसेना और मदनिका बेहोश हो जाती हैं। शर्विलक मदनिका को सचेत करने…
View More मृच्छकटिकम्-11 : गुणवान निर्धन गुणहीन अमीर से ज्यादा बेहतर होता हैCategory: चहेते पन्ने
मृच्छकटिकम्-9 : पति की धन से सहायता करने वाली स्त्री, पुरुष-तुल्य हो जाती है
सोए हुए ‘मैत्रेय’ द्वारा कसम देने से ‘शर्विलक’ आभूषणों की पेटी ले लेता है। तभी वहाँ ‘रदनिका’ के आने की आहट सुनाई देती है। इससे…
View More मृच्छकटिकम्-9 : पति की धन से सहायता करने वाली स्त्री, पुरुष-तुल्य हो जाती हैमृच्छकटिकम्-8 : चोरी वीरता नहीं…
‘वसंतसेना’ से ‘कर्णपूरक’ फिर कहता है, “आप इस दुपट्टे को ओढ़कर बहुत अच्छी लग रही हैं।” लेकिन इस बात पर ध्यान दिए बगैर ‘वसंतसेना’ पूछती…
View More मृच्छकटिकम्-8 : चोरी वीरता नहीं…मृच्छकटिकम्-7 : दूसरों का उपकार करना ही सज्जनों का धन है
“आर्य चारुदत्त का नाम लेने से मेरी इतनी सेवा हो रही है। धन्य हो आर्य चारुदत्त, धरती पर मात्र आप जीवित हैं। बाकी तो बस…
View More मृच्छकटिकम्-7 : दूसरों का उपकार करना ही सज्जनों का धन हैपरोपकार : फिर भी छपी नहीं किसी अख़बार में अब तक ये ख़बरें…!
एक ख़ूबसूरत कविता। एक उतनी ही सुकून भरी आवाज़। इन दो कलाकारों में लिखने वाले एक हैं, आशीष मोहन ठाकुर। ये मध्य प्रदेश पुलिस में…
View More परोपकार : फिर भी छपी नहीं किसी अख़बार में अब तक ये ख़बरें…!मृच्छकटिकम्-6 : जो मनुष्य अपनी सामर्थ्य के अनुसार बोझ उठाता है, वह कहीं नहीं गिरता
‘माथुर’ और ‘संवाहक’ के मध्य जुए में हारे सोने के सिक्कों के लिए लड़ाई होती है। ‘माथुर’ अपने सिक्के पाने के लिए बेचने के उद्देश्य…
View More मृच्छकटिकम्-6 : जो मनुष्य अपनी सामर्थ्य के अनुसार बोझ उठाता है, वह कहीं नहीं गिरतामृच्छकटिकम्-4 : धरोहर व्यक्ति के हाथों में रखी जाती है न कि घर में
‘चारुदत्त’ को ‘मैत्रेय’ बताता है, “शकार बलात् वसंतसेना का पीछा करते हुए यहाँ आया था। और वह न्यायालय में वाद दायर करने की बात कहते…
View More मृच्छकटिकम्-4 : धरोहर व्यक्ति के हाथों में रखी जाती है न कि घर मेंमृच्छकटिकम्-2 : व्यक्ति के गुण अनुराग के कारण होते हैं, बलात् आप किसी का प्रेम नहीं पा सकते
‘मैत्रेय’ का प्रश्न ‘चारुदत्त’ के सामने यथावत् है, ‘मरण और निर्धनता में तुम्हें क्या अच्छा लगेगा?’ गहरी श्वांस लेकर ‘चारुदत्त’ उत्तर देता है, “निर्धनता और…
View More मृच्छकटिकम्-2 : व्यक्ति के गुण अनुराग के कारण होते हैं, बलात् आप किसी का प्रेम नहीं पा सकतेख़ुदकुशी के ज्यादातर मामलों में लोग मरना नहीं चाहते… वे बस चाहते हैं कि उनका दर्द मर जाए
अभी 10 सितम्बर को ‘वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे’ था। यानी ‘विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस’। ऐसे मौकों पर अक्सर चर्चा आत्महत्या के बारे में ही होती…
View More ख़ुदकुशी के ज्यादातर मामलों में लोग मरना नहीं चाहते… वे बस चाहते हैं कि उनका दर्द मर जाएमृच्छकटिकम्-1 : बताओ मित्र, मरण और निर्धनता में तुम्हें क्या अच्छा लगेगा?
‘शिव, कल्याण करने वाले शिव। शिव, पूर्ण शिव। समाधिस्त शिव, जो समस्त चेतना के कारक हैं, जो समस्त विश्व का केन्द्र हैं, जो परमब्रह्म हैं,…
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