पहले मुर्गी आई या अंडा, ये महज़ एक पहेली नहीं है!

उसके घर के बाहर चबूतरे पर कुछ बच्चे बैठे-ठाले पहेलियाँ बुझा रहे थे। इन्हीं में से एक पहेली थी, “मुर्गी पहले आई या अंडा आया।” पूछने…

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हम अपने रत्नों का सही सम्मान करना कब सीखेंगे?

ये तस्वीर अपने आप में बहुत कुछ कहती है। वाराणसी की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र। शहनाई का दूसरा नाम कहे जाने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह…

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कबीर की वाणी, कोरोना की कहानी…साधो ये मुर्दों का गाँव…!

आज संत कबीरदास जी की जयन्ती है। ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि। सन् 1398 में कबीरदास जी का जन्म हुआ, ऐसा बताया जाता है। मतलब आज…

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प्रश्न है, सदियाँ बीत जाने के बाद भी बुद्ध एक ही क्यों हुए भला?

त्यागना। इसे सामान्य भाषा में हमेशा के लिए किसी चीज को छोड़ देना कह देते हैं। जैसे दान देना भी त्याग है। वैसे, अक्सर हम धन त्यागने…

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धर्म-पालन की तृष्णा भी कैसे दु:ख का कारण बन सकती है?

भगवान बुद्ध दुःख के कार्य-कारण बताते हैं। इसमें दुःख समुदाय, यह दूसरा आर्यसत्य है। दुःख है तो दुःख के कारण भी होते ही हैं। इन कारणों को…

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बाबू , तुम्हारा खून बहुत अलग है, इंसानों का खून नहीं है…

देवास के जवाहर चौक में एक ही बड़ी सी दुकान थी झँवर सुपारी सेंटर। मंगरोली सुपारी वहीं मिलती थी, जिसे काटो तो नारियल जैसी लगती थी। घर में एक…

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हम भोजन को भगवान मानते हैं और रोज उनका तिरस्कार करते हैं!

उसका घर कॉलोनी के नुक्कड़ पर है। सामने तीन तरफ़ जाने वाले रास्ते तिकोने से जुड़ते हैं। वहीं एक तरफ़ उस रिहाइश (कॉलोनी) का दरवाज़ा है।…

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रास्ते की धूप में ख़ुद ही चलना पड़ता है, निर्जन पथ पर अकेले ही निकलना होगा

रास्ते की धूप में ख़ुद ही चलना पड़ता है। चाहे नरम धूप हो या कड़क। सब देह को ही सहना है। धूप जब भीतर आत्मा तक छनकर…

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क्या हम पर्यावरण जैसे विषय पर इतने गैर-ज़िम्मेदार हैं?

जूही चावला अपने समय की लोकप्रिय अभिनेत्री हैं। उन्होंने अभी हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। समाजसेवी, स्तम्भकार वीरेश…

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बीती जा रही है सबकी उमर पर हम मानने को तैयार ही नहीं हैं

अड़सठ घाट भीतर हैं। कहाँ जाना है? न गंगा, न यमुना, सुमिरन कर ले मेरे मना, मन चंगा तो कठौती में ही गंगा है। बीती जा रही है…

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