साफ़-सफ़ाई सिर्फ सरकारों की ज़िम्मेदारी नहीं, देश के हर नागरिक की है

ज़ीनत ज़ैदी, दिल्ली

सफ़ाई हमारी ज़िन्दगी का वह अहम हिस्सा है, जो हमारे व्यक्तित्त्व की पहचान भी कराता है। एक सफ़ाई पसन्द व्यक्ति ही अस्ल में ज़िम्मेदार शख़्स माना जाता है। लेकिन सफ़ाई से हमारा मतलब क्या सिर्फ़ अपने घर को चमकाना, साफ़-सुथरे कपड़े पहनना और स्वच्छता का नारा लगाना महज़ है? नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। साफ़-सफ़ाई का मसला इससे भी कहीं आगे का है। यह दरअस्ल, सोच से जुड़ी बात है।

मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर की मिसाल सामने है। वह सात साल से लगातर भारत के सबसे साफ़ शहरों की सूची में पहले नम्बर पर क़ाबिज़ हैl कैसे? वास्तव में, वहाँ के लोगों ने साफ़-सफ़ाई की सोच को काफ़ी हद तक अपनी शख़्सियत में शामिल कर लिया है। वे ख़ुद के घर की तरह अपने शहर की साफ़-सफ़ाई का ख़्याल रखते हैं। शहर से बाहर कहीं आते-जाते हैं, तो वहाँ भी इस आदत को बरक़रार रखते हैं। लेकिन अफ़सोस कि देश के दूसरे शहरों में रहने वाले अधिकांश लोगों में अभी इस तरह की सोच विकसित नहीं हुई है। 

देश की राजधानी दिल्ली को ही लीजिए, जहाँ मैं रहती हूँ। वहाँ की सड़कों, गलियों, मोहल्लों में जगह-जगह नज़र आने वाले कूड़े के ढेर दिल्ली में रहने वालों के ग़ैरज़िम्मेदार रवैए की गवाही देते हैं। जबकि पूरे देश में ‘स्वच्छ भारत’ का नारा बुलन्द करने वाली सरकार यहीं बैठती है। और तो और जिस पार्टी का चुनाव चिह्न ही झाड़ू है, वह भी दिल्ली में ही राज्य की सरकार चलाती है। लेकिन मज़े की बात है कि लोग तो लोग, ये दोनों सरकारें भी मिलकर अब तक दिल्ली में साफ़-सुथरे माहौल को अमली ज़ामा पहचाने में क़ामयाब नहीं हो सकी हैं। और इसका कारण क्या? सिर्फ़ एक कि दिल्ली के लोगों की सोच में ही साफ़-सुथरे शहर की एहमियत अब तक घर नहीं कर सकी है। वे अब भी उन लोगों में शुमार हैं, जो सरकार को ही हर काम के लिए दोष देते हैं। उसे ही सभी चीज़ों के लिए ज़िम्मेदार मानते हैं।   

जबकि तथ्य यह है कि साफ़-सफ़ाई सिर्फ सरकारों की ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर उस नागरिक का काम है जो जहाँ रह रहा है। इसलिए ज़रूरी है कि हम ख़ुद में सुधार लाए। अपनी सोच बदलें। क्योंकि जब हम सुधरेंगे तो हमारा शहर, हमारा राज्य, हमारा देश ख़ुद-बा-ख़ुद सुधर जाएगा।

जय हिन्द
——
(ज़ीनत #अपनीडिजिटलडायरी के सजग पाठक और नियमित लेखकों में से हैं। दिल्ली के आरपीवीवी, सूरजमलविहार स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ती हैं। लेकिन इतनी कम उम्र में भी अपने लेखों के जरिए गम्भीर मसले उठाती हैं।अच्छी कविताएँ भी लिखती है। वे अपनी रचनाएँ सीधे #अपनीडिजिटलडायरी के ‘अपनी डायरी लिखिए’ सेक्शन या वॉट्स एप के जरिए भेजती हैं।)
——-
ज़ीनत के पिछले 10 लेख

22 – कविता : ख़ुद के अंदर कहीं न कहीं, तुम अब भी मौजूद हो 
21 – धूम्रपान निषेध दिवस : अपने लिए खुशी या अपनों के लिए आँसू, फ़ैसला हमारा!
20 – बच्चों से उम्मीदें लगाने में बुराई नहीं, मगर उन पर अपेक्षाएँ थोपना ग़लत है
19- जानवरों के भी हुक़ूक हैं, उनका ख़्याल रखिए
18 – अपने मुल्क के तौर-तरीक़ों और पहनावे से लगाव रखना भी देशभक्ति है
17- क्या रेस्टोरेंट्स और होटल भी अब ‘हनी ट्रैप’ के जरिए ग्राहक फँसाने लगे हैं?
16- ये ‘झल्लाहट और चिड़चिड़ाहट’ हमारे भीतर के रावण हैं, इन्हें मारिए!
15- असफलता झेलने के लिए ख़ुद को पहले से तैयार रखें, इसमें कोई बुराई नहीं
14- जी-20 के लिए चमचमाती दिल्ली की पर्दों से ढँकी स्याह हक़ीक़त!
13- क्या हम पारसियों और उनके नए साल के बारे में जानते हैं? जान लीजिए, न जानते हों तो!

सोशल मीडिया पर शेयर करें
From Visitor

Share
Published by
From Visitor

Recent Posts

कोशिश तो खूब कर रहे हैं, मगर अमेरिका को ‘ग्रेट’ कितना बना पा रहे हैं ट्रम्प?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लगभग वह सब कर रहे हैं, जो उनसे अपेक्षित था।… Read More

1 day ago

समाचार चैनलों को सर्कस-नौटंकी का मंच बनाएँगे तो दर्शक दूर होंगे ही!

आज रविवार, 18 मई के एक प्रमुख अख़बार में ‘रोचक-सोचक’ सा समाचार प्रकाशित हुआ। इसमें… Read More

2 days ago

गाँव की दूसरी चिठ्ठी : रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ…!!

मेरे प्यारे बाशिन्दे, मैं तुम्हें यह पत्र लिखते हुए थोड़ा सा भी खुश नहीं हो… Read More

4 days ago

ट्रम्प की दोस्ती का अनुभव क्या मोदीजी को नई सोच की ओर प्रेरित करेगा?

पाकिस्तान के ख़िलाफ़ चलाए गए भारत के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ का नाटकीय ढंग से पटाक्षेप हो… Read More

5 days ago

ईमानदारी से व्यापार नहीं किया जा सकता, इस बात में कितनी सच्चाई है?

अगर आप ईमानदार हैं, तो आप कुछ बेच नहीं सकते। क़रीब 20 साल पहले जब मैं… Read More

6 days ago

जो हम हैं, वही बने रहें, उसे ही पसन्द करने लगें… दुनिया के फ़रेब से ख़ुद बाहर आ जाएँगे!

कल रात मोबाइल स्क्रॉल करते हुए मुझे Garden Spells का एक वाक्यांश मिला, you are… Read More

7 days ago