क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 28/9/2021

मई 1944 में महात्मा गाँधी को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य के आधार पर जेल से रिहा किया गया। बाहर आते ही उन्होंने सबसे पहले मुस्लिम लीग के मोहम्मद अली जिन्ना से बातचीत की। लेकिन इस वार्ता का कोई नतीज़ा नहीं निकला। फिर मार्च 1945 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड वॉवेल नए प्रस्ताव के साथ लंदन से भारत लौटे। इसके मुताबिक वायसराय की कार्यकारी परिषद में अब सिर्फ़ भारतीय सदस्य रहेंगे। बस, कमांडर-इन-चीफ को छोड़कर। परिषद के सदस्य सभी राजनैतिक दलों से होंगे। इसमें हिंदु, मुसलमानों का बराबर प्रतिनिधित्व होगा। इस प्रस्ताव पर बातचीत के लिए जून 1945 में शिमला सम्मेलन हुआ। मग़र इसमें कोई नतीज़ा नहीं निकला क्योंकि कांग्रेस और मुसलिम लीग के बीच सहमति नहीं बनी। इसके कुछ समय बाद ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार बनी तो उसने भारत में नए चुनाव कराने का फ़ैसला किया। ये चुनाव 1946 की शुरुआत में हुए। इनमें सामान्य सीटों पर कांग्रेस को एकतरफ़ा जीत मिली। वहीं मुसलिम लीग मुसलिमों के लिए आरक्षित सीटों पर ही जीती। 

फिर मार्च 1946 में ब्रिटेन के मंत्रियों का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया। यहाँ उसने कांग्रेस और मुसलिम लीग के नेताओं से बातचीत की। हालाँकि नतीज़ा नहीं निकला। लिहाज़ा प्रतिनिधिमंडल ने 16 मई को अपनी तरफ से सिफ़ारिशों की घोषणा कर दी। इनमें प्रमुख थीं। (1) एक केंद्रीय सरकार बनेगी। इसमें रियासतों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। (2) हिंदुस्तान को तीन प्रांतों में बाँटा जाएगा। पहले में पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत, सिंध, बलूचिस्तान और पंजाब होंगे। दूसरे में असम और बंगाल। तीसरा शेष भारत। (3) प्रांतों की विधानपरिषदें संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव करेंगी। यह भारत का संविधान बनाएगी। (4) प्रांत चाहें तो चुनाव के बाद भारतीय संघ को छोड़ भी सकेंगे। (5) नई व्यवस्था लागू होने तक अस्थायी राष्ट्रीय सरकार बनेगी।…यह प्रस्ताव मुसलिम लीग ने स्वीकार किया, लेकिन कांग्रेस ने नहीं। हालाँकि वह संविधान सभा में शामिल होने के लिए राजी हो गई। ताकि संविधान के निर्माण में भूमिका निभा सके।

इधर ब्रिटेन के प्रतिनिधिमंडल के लौटते ही मुसलिम लीग माँग करने लगी कि वायसराय अस्थायी राष्ट्रीय सरकार के गठन की दिशा में आगे बढ़ें। जबकि कांग्रेस ऐसी सरकार में शामिल होने को तैयार नहीं थी। ऐसे में ज़ाहिर तौर पर कोई एकराय नहीं बनी। इसके बाद मुसलिम लीग ने भी ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल की सिफ़ारिशों पर अपनी सहमति वापस ले ली। फिर वायसराय ने अपनी कार्यकारी परिषद का पुनर्गठन किया तो इसमें सिर्फ कांग्रेस सदस्यों को शामिल किया। इससे मुसलिम लीग भड़क गई। उसने 16 अगस्त 1946 को ‘सीधी कार्रवाई’ का ऐलान कर दिया। इस दिन अधिकांश जगहों पर हुए प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे, पर कलकत्ता में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए। कई हिंदुओं को मारा गया। उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया गया। आत्मरक्षा में हिंदुओं ने भी हथियार उठाए। बंगाल में तब मुसलिम लीग की सरकार थी। उसने कोई कार्रवाई नहीं की। प्रांत के ब्रिटिश गवर्नर और केंद्र सरकार ने भी कुछ नहीं किया। 

इसके बाद वायसराय की कार्यकारी परिषद में शामिल कांग्रेस के सदस्यों ने जब शपथ ली तो देश के दूसरे हिस्सों में भी दंगे भड़क उठे। हालॉंकि इसी बीच वायसराय मुसलिम लीग के नेताओं से बात भी कर रहे थे। बातचीत थोड़ी-बहुत सफल रही और लीग के सदस्य परिषद में शामिल होने को तैयार हो गए। वायसराय ने कांग्रेस को बताया कि लीग संविधान सभा में भी शामिल होने के लिए तैयार है। हालाँकि परिषद में माहौल कभी सद्भावनापूर्ण नहीं रहा। इसी बीच मालूम हुआ कि लीग संविधान सभा में शामिल होने की वास्तव में, मंशा ही नहीं रखती तो हालात बिगड़ते गए।

इन्हीं हालात में ब्रिटेन सरकार ने 20 फरवरी 1947 को घोषणा कर दी कि वह भारत को पूरी तरह आज़ाद कर रही है। इसके लिए उसने लॉर्ड माउंटबेटन को हिंदुस्तान का वायसराय बनाया। उन्हें आज़ाद भारत की सरकार को सत्ता हस्तांतरित करनी थी। लेकिन यह घोषणा होते ही मुसलिम लीग ने फिर दंगे भड़का दिए। पंजाब तथा पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत ख़ासकर जल उठे। हालात इतने बिगड़ गए कि कांग्रेस को मानना पड़ा कि भारत को अगर आज़ादी चाहिए तो उसे दो हिस्सों में बाँटना जरूरी है। इसके बाद तीन जून को वायसराय ने ब्रिटेन सरकार की नीति से संबंधित घोषणा पत्र जारी किया। इसका पूरे देश में रेडियो पर प्रसारण हुआ। इसका सारांश कुछ इस तरह था… 

(1) मुसलिम-बहुल इलाके चाहेंगे तो उन्हें अलग देश के गठन की इजाज़त दी जाएगी। उस स्थिति में नई संविधान सभा बनेगी। हालाँकि इस स्थिति में भी बंगाल और पंजाब को दो हिस्सों में विभाजित किया जाएगा। अगर उन प्रांतों की विधानपरिषदों में शामिल हिंदु-बहुल जिलों के विधायक माँग करते हैं तो। (2) पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत में इस पर जनमत-संग्रह होगा कि वह नए देश (पाकिस्तान) का हिस्सा बनना चाहता है या नहीं। (3) इसी तरह सिलहट जिले को बंगाल के मुसलिम-बहुल इलाकों का हिस्सा बना दिया जाएगा, अगर जनमत-संग्रह में वहाँ के लोग चाहेंगे तो। (4) एक सीमा आयोग गठित किया जाएगा, जो बंगाल और पंजाब में हिंदु तथा मुसलिम बहुल इलाकों की सीमाएँ निर्धारित करेगा। (5) ब्रिटेन की संसद के जारी सत्र में ही इस बाबत विधेयक लाया जाएगा। इसके तहत भारत को तुरंत आज़ादी देने का बंदोबस्त किया जाएगा। बँटवारे पर सहमति बनी तो दो अलग देशों को। 

इस प्रस्ताव को अंतत: कांग्रेस और मुसलिम लीग दोनों ने स्वीकार किया। इसके बाद ब्रिटेन की संसद में एक जुलाई 1947 को भारत की आज़ादी से संबंधित अधिनियम पारित किया गया। देश के बँटवारे पर सहमति बनी। तारीख़ 15 अगस्त 1947 की मुकर्रर की गई, जब भारत, पाकिस्तान को सत्ता हस्तांतरित की जानी थी। इस दिन दिल्ली में संविधान सभा में घोषणा की गई कि भारत ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के तहत स्वतंत्र राष्ट्र होगा। यहाँ लॉर्ड माउंटबेटन को ही देश का पहला गवर्नर जनरल (राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक प्रमुख) बनाया गया। जबकि कराँची में जिन्ना पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बनाए गए।

(जारी…..)

अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ : 
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

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