ऐसे बढ़िया उच्चारण के साथ ‘श्रीगणेश स्तोत्र’ सुनने मिलना वास्तव में सुखद अनुभूति देता है

चेतन वेदिया, दिल्ली से; 23/8/2020

पूरा देश इन दिनों गणपति बप्पा की आराधना में जुटा है। उनसे कामना कर रहा है, विनती कर रहा है कि वे अपने ‘विघ्नहर्ता’ स्वरूप के प्रभाव से देश और दुनिया को कोरोना महामारी के संकट से मुक्ति दिलाएँ। ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामय:’ का सभी जीव-जनों आशीष दें। ऐसी कामनाओं, विनतियों के बीच ही अगर हमारी परिष्कृत भाषा ‘संस्कृत’ में भगवान गणेश की स्तुति, वह भी बढ़िया और सधे हुए उच्चारण के साथ सुनने मिल जाए तो क्या कहने। उससे होने वाली सुखद अनुभूति को शब्दों में बयान करना आसान नहीं है। पर इस अनुभूति से गुजरना सम्भव हो पाया है।

मूल रूप से जयपुर, राजस्थान के रहने वाले चेतन वेदिया ने ‘संकष्टनाशं गणेश स्तोत्र’ का वाचन कर इसे सम्भव बनाया है। यह स्तोत्र ‘नारद पुराण’ में उल्लिखित बताया जाता है। चेतन ने गणेश चतुर्थी के दिन इसकी रिकॉर्डिंग कर इसे अपने कुछ मित्रों के साथ साझा  किया था। उन्हीं में से एक मित्र ने इसे #अपनीडिजिटलडायरी को भेजा है (ऑडियो फाइल साथ में दी गई है)। ताकि ‘डायरी’ के साथ जुड़े सभी सदस्य भी इसे सुन सकें। क्योंकि ये आख़िर सबके ‘सरोकार’ से जुड़ने वाला मामला भी है। चेतन इन दिनों दिल्ली में रहते हैं। वहाँ संस्कृत शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं। 

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