अपनी ‘आरामदायक स्थिति’ को न छोड़ पाना ही सबसे बड़ी बाधा है!

निकेश जैन, इन्दौर मध्य प्रदेश

भारतीय प्रबन्धन संस्थान (आईआईएम) इन्दौर के विद्यार्थियों के साथ बातचीत का अवसर बना। बातचीत का विषय था, ‘व्यवसाय को शुरू करने और उसे विस्तार देने की चुनौतियाँ’।

संवाद का सत्र लगभग दो घंटे चला और बहुत अच्छा रहा। इस दौरान विद्यार्थियों ने कई सवाल किए। मैंने भी कोशिश की कि उनकी जिज्ञासाएँ शान्त कर सकूँ। इसमें मैंने पूर्व में जो कम्पनी खोलकर कुछ सालों में बन्द कर दी थी और अभी वर्तमान में जिसे चला रहा हूँ, उन दोनों से मिले अनुभव मेरे काम आए। 

इस संवाद-सत्र का अनुभव बिन्दुवार कुछ इस तरह रहा : 

  • व्यवसाय शुरू करने के रास्ते में सबसे बड़ी चुनौती है – क्यों? क्योंकि मोटी तनख़्वाह वाली नौकरी छोड़ना, अपनी आरामदायक स्थिति को छोड़ना, यह सबसे बड़ी बाधा सामने दिखती है।
  • व्यवसाय की शुरुआत का सबसे सही समय है – अभी। भारत इस समय अद्भुत दौर से गुजर रहा है। इसमें किसी को भी अपना व्यवसाय जमाने के लिए 10 से 15 साल का समय मिलने वाला है। 
  • आइडिया (विचार या योजना) से ज़्यादा महत्त्व इस बात का है कि उस पर अमल कैसे किया जाता हैं।
  • व्यवसाय शुरू करना है तो कम से कम 4-5 साल के ख़र्च लायक पैसा ज़ेब में होना चाहिए। क्योंकि यह यात्रा अक़्सर हौसला तोड़ने वाली होती है। और हौसला छोड़ने या हार मानने का विकल्प नहीं होता।
  • शुरुआत में बड़ी चुनौती होती है, कुछ ऐसे ग्राहकों का मिलना जो पैसे देकर सेवा या उत्पाद लेने को तैयार हों।
  • कम्पनी में पहले दिन से एक कार्यसंस्कृति विकसित करना चाहिए। क्योंकि जब व्यवसाय का विस्तार करने का मौक़ा आता है, तो यही कार्यसंस्कृति सबसे ज़्यादा काम आती है।
  • व्यवसाय में कम से कम एक सह-संस्थापक होना ज़रूरी है। काम बाँट लेने में वह हमेशा सहायक होता है।
  • किसी भी संगठन में संस्थापकों के बीच तालमेल हमेशा ही बहुत महत्त्वपूर्ण होता है।

सच कहता हूँ, इस सत्र का मैंने भरपूर आनन्द उठाया। उम्मीद करता हूँ, भविष्य में ऐसे कुछ और सत्र भी होंगे। फिलहाल मुझे बातचीत के लिए बुलाने और यह अवसर देने के लिए आईआईएम इन्दौर का शुक्रिया।

——–

निकेश का मूल लेख

Interacted with students at Indian Institute of Management, Indore. (IIM Indore)

The topic was “starting-up and scaling-up challenges”.

It was a highly interactive two hour session where students asked many questions and I tried to answer their questions based on my experiences with my past startup journey and current startup.

Below are a few of the points that I talked about:

– Biggest challenge is to start itself. Why? Because leaving a high paying job; leaving your comfort zone is the biggest hurdle.

– The right time is NOW to startup. India is going through an amazing period and it gives everyone golden 10 to 15 years.

– Execution is more important than idea.

– Have at least 4 to 5 years of money in your kitty before you startup. It’s going to be a draining journey and giving up is not an option.

– Getting first few paid clients will be the biggest challenge.

– Focus on building the right culture from Day 1. It’s the culture which will come into play when you scale up.

– Have at least one co-founder with you. It always helps to divide the work.

– Chemistry between founders is most critical to run the organization.

I thoroughly enjoyed this conversation and look forward to many more such sessions!

Thank you IIM Indore for inviting me for this guest talk! 

#IIM_Indore

——- 

(निकेश जैन, शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी- एड्यूरिगो टेक्नोलॉजी के सह-संस्थापक हैं। उनकी अनुमति से उनका यह लेख #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में उन्होंने इसे लिंक्डइन पर लिखा है।)

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निकेश के पिछले 10 लेख

21 – टी-20 क्रिकेट विश्वकप : अमेरिका के सॉफ्टवेयर इंजीनियरों ने पाकिस्तान को हरा दिया!
20- आपके ‘ईमान’ की क़ीमत कितनी है? क्या इतनी कि कोई उसे आसानी से ख़रीद न सके?
19 – भावनाओं के सामने कई बार पैसों की एहमियत नहीं रह जाती, रहनी भी नहीं चाहिए!
18 – सब छोड़िए, लेकिन अपना शौक़, अपना ‘राग-अनुराग’ कभी मत छोड़िए
17 – क्रिकेट से दूर रहने के इतने सालों बाद भी मैं बल्लेबाज़ी करना भूला कैसे नहीं?
16 – सिर्फ़ 72 घंटे में पीएफ की रकम का भुगतान, ये नया भारत है!
15 – भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग अब अमेरिका से भी बेहतर हैं, कैसे?
14 – छोटे कारोबारी कैसे स्थापित कारोबारियों को टक्कर दे रहे हैं, पढ़िए अस्ल कहानी!
13 – सिंगापुर वरिष्ठ कर्मचारियों को पढ़ने के लिए फिर यूनिवर्सिटी भेज रहा है और हम?
12 – जल संकट का हल छठवीं कक्षा की किताब में, कम से कम उसे ही पढ़ लें!

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