सरल नैसर्गिक जीवन मतलब अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी!

समीर शिवाजी राव पाटिल, भोपाल, मध्य प्रदेश

मानव एक समग्र घटक है। विकास क्रम में हम आज जिस पायदान पर हैं, उसमें अन्य प्राकृतिक सहयोगियों की भूमिका जितनी अहम है, उसको हम समझते नहीं। केवल उपयोगी लगने वाले वृक्ष-वनस्पति, पशु-पक्षी जलचर की बात तो एक बहुत स्थूल और उथली दृष्टि है। सच्चाई तो यह है कि सृष्टि पर सम्पूर्ण जीवन ही एक पारस्परिक विनिमय है। दु:ख की बात यह है कि आधुनिक विज्ञान जिस भोगवादी औद्योगिक अर्थतंत्र से परिचालित होता है, वह इस नाजुक पारिस्थितिकीय तंत्र के महत्व को नीति स्तर पर प्रभावशाली होने नहीं देता।

‘हमारा’ (इस सर्वनाम से तात्पर्य सभी जीव-जन्तुओं से है) शरीर असंख्य सूक्ष्मजीवियों की सहायता से चलता है। इन्हें माइक्रोबायोम कहा जाता है। यह बैक्टीरिया, विषाणु, फंगी व उनके जीन के रूप में हमारे सारे शरीर में त्वचा, मुँह, नाक, कान, आँत, धमनियाँ, ऊतक, माँसपेशी और रक्त में रहकर यह हमारे स्वास्थ्य को परिचालित करते हैं। इनका हमारे स्वास्थ्य से अभिन्न सम्बन्ध है। जब ये स्वस्थ रहते हैं तो हम स्वस्थ अनुभव करते हैं, जब इसका तंत्र बिगड़ता है, हम बीमार हो जाते हैं। यानी हमारे जीवन के सभी महत्वपूर्ण कार्य जैसे,चया-पचय, माँसपेशियों का स्वास्थ्य, रोग प्रतिरक्षा, विटामिन, मिनरल्स निर्माण और अवशोषण आदि इन्हीं माइक्रोबायोम द्वारा होता है। संक्षेप में कहें तो जिसे हम स्वस्थ शरीर कहते हैं, वह इस विनिमय का ही परिणाम है।

आधुनिक विज्ञान अभी इसमें से किंचित विस्तार के साथ पेट (गट) में रहने वाले बैक्टीरिया का अध्ययन कर पाया है। और सिर्फ इनके असर को ही गहराई से देखें तो यह आश्चर्यचकित कर देने वाला जान पड़ता है। पेट में रहने वाले गट-बैक्टीरिया मजबूत पाचन, बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता, हृदय रोग, स्थूलता के जोखिम में कमी, मस्तिष्क के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करते हैं। साथ ही मानव के मूड, मानसिक स्थास्थ्य और स्मृति को भी ठीक रखते हैं। जब इतना अधिक असर सिर्फ गट-बैक्टीरिया का है, तो हम सहज अंदाज लगा सकते है कि त्वचा, रक्त, लार, ऊतक में रहने वाले माइक्रोबायोम हमारे जीवन और स्वास्थ्य को हजारों-लाखों तरीकों से कितना गहरे स्तर तक प्रभावित करते होंगे।

इस बात की ओर विज्ञान की नजरें काफी देरी से पड़ी है। ताजातरीन शोध बताता है कि नियमित उचित शारीरिक श्रम, प्राणायाम, निद्रा और विचारों से इनकी गतिविधि बेहतर रहती है। उदाहरण के लिए प्राणायाम में प्राणवायु, आसन, और मन की वृत्ति को साधने से गट-बैक्टिरिया सकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। स्वस्थ गट-बैक्टिरिया सारे शरीर को स्वास्थ्य देता है। यह प्राणायाम का सूक्ष्म विज्ञान है।

ये सूक्ष्मजीवी नैसर्गिक आहार-विहार और विचार से पुष्ट होते हैं। प्राकृतिक स्थानीय जलवायु के अनाज, दाल, दाना, फल-फूल, शाक-भाजी, दूध-दही को यदि न्यूनतम प्रसंस्करण कर उपयोग में लिया जाता है, तो वह इन माइक्रोबायोम के अनुकूल होता है। जब ये फलते-फूलते हैं तो शरीर स्वस्थ रहता है। यह सब स्वास्थ्य और जीवन के एक समग्र दृष्टिकोण काे स्थापित करता है। वास्तव में जिसे हम मानव स्वास्थ्य कहते हैं, वह इन माइक्रोबायोम के स्वास्थ्य का प्रतिफल मात्र है, जो सरल नैसर्गिक जीवन से हासिल होता है।

…शेष

अगले भाग में हम देखेंगे किस तरह आधुनिक विज्ञान जिस भोगवादी औद्योगिक अर्थतंत्र के परिवेश में परिचालित होता है, वह इस स्वास्थ्य के सरल प्राकृतिक मार्ग के विपरीत है और कैसे हम अपना जीवन सरल नैसर्गिक रख सकते हैं।

—-

(नोट : समीर #अपनीडिजिटलडायरी की स्थापना से ही साथ जुड़े सुधी-सदस्यों में से एक हैं। भोपाल, मध्य प्रदेश में नौकरी करते हैं। उज्जैन के रहने वाले हैं। पढ़ने, लिखने में स्वाभाविक रुचि हैं। विशेष रूप से धर्म-कर्म और वैश्विक मामलों पर वैचारिक लेखों के साथ कभी-कभी उतनी ही विचारशील कविताएँ, व्यंग्य आदि भी लिखते हैं। डायरी के पन्नों पर लगातार उपस्थिति दर्ज़ कराते हैं। समीर ने सनातन धर्म, संस्कृति, परम्परा पर हाल ही में डायरी पर सात कड़ियों की अपनी पहली श्रृंखला भी लिखी है।) 

—– 

समीर के पिछले लेख

3- सवाल है कि 21वीं सदी में भारत को भारतीय मूल्यों के साथ कौन लेकर जाएगा?
2 – यू्क्रेन-रूस युद्ध का पटाक्षेप कैसे विश्व इतिहास का अप्रत्याशित मोड़ बनने वाला है?
1 – भारत को भी अब शिद्दत से ‘अपना भारतीय एलन मस्क’ चाहिए, है कोई?

सोशल मीडिया पर शेयर करें
From Visitor

Share
Published by
From Visitor

Recent Posts

भारत ने फेंका पासा और पाकिस्तान का पैर कुल्हाड़ी पर, गर्दन फन्दे में! जानिए कैसे?

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला तो करा दिया, लेकिन उसे शायद ऐसी… Read More

22 hours ago

चिट्ठी-पत्री आज भी पढ़ी जाती हैं, बशर्ते दिल से लिखी जाएँ…ये प्रतिक्रियाएँ पढ़िए!

महात्मा गाँधी कहा करते थे, “पत्र लिखना भी एक कला है। मुझे पत्र लिखना है,… Read More

2 days ago

वास्तव में पहलगाम आतंकी हमले का असल जिम्मेदार है कौन?

पहलगाम की खूबसूरत वादियों के नजारे देखने आए यात्रियों पर नृशंसता से गोलीबारी कर कत्लेआम… Read More

2 days ago

चिट्ठी, गुमशुदा भाई के नाम : यार, तुम आ क्यों नहीं जाते, कभी-किसी गली-कूचे से निकलकर?

प्रिय दादा मेरे भाई तुम्हें घर छोड़कर गए लगभग तीन दशक गुजर गए हैं, लेकिन… Read More

3 days ago

पहलगााम आतंकी हमला : इस आतंक के ख़ात्मे के लिए तुम हथियार कब उठाओगे?

उसने पूछा- क्या धर्म है तुम्हारा?मेरे मुँह से निकला- राम-राम और गोली चल गई।मैं मर… Read More

4 days ago

पहलगाम आतंकी हमला : कायराना धर्मनिरपेक्षता का लबादा उतार फेंकिए अब!

लोग कह रहे हैं कि यह, पहलगाम का आतंकी हमला कश्मीरियत को बदनाम करने की… Read More

4 days ago