परोपकार : फिर भी छपी नहीं किसी अख़बार में अब तक ये ख़बरें…!

टीम डायरी, 13/10/2022

एक ख़ूबसूरत कविता। एक उतनी ही सुकून भरी आवाज़।

इन दो कलाकारों में लिखने वाले एक हैं, आशीष मोहन ठाकुर। ये मध्य प्रदेश पुलिस में आरक्षक के पद पर तैनात हैं। सिवनी, मध्य प्रदेश में रहते हैं। साहित्यिक अभिरुचि वाले हैं। कविताएँ, लेख, लघुकथाएँ आदि लिखा करते हैं। ओडि़या, पंजाबी, अंग्रेजी जैसी भाषाओं में अनुवाद भी करते हैं। बड़े चाव से अपनी यह कविता ‘परोपकार’ इन्होंने ‘अपनी डिजिटल डायरी’ को भेजी है। सुनिएगा ज़रूर, अच्छा महसूस होगा।  

कविता सुनते हुए तिहरा सुकून मिलेगा। पहला- इसके लफ़्ज़ों से, जो हमें कृतज्ञ होने का सन्देश देते चलेंगे। दूसरा- मुरली की धुन से, जिसमें ‘शिवरंजनी’ सुनाई देगी। हाँ, क्योंकि ये रागिनी है। और तीसरा- कविता में लफ़्ज़-दर-लफ़्ज़ पढ़ते, ठहरते, बढ़ते हुए विकास सुनाई देंगे। लम्बे वक़्त बाद, कानों के रास्ते मन की गहराई में उतरते हुए। विकास, जिनका परिचय देने की ज़रूरत कम से ‘डायरी’ से जुड़े लोगों के लिए तो नहीं ही है।    

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